कल फिर १५ अगस्त है,हमारा ७२ स्वतंत्र दिवस और साथ में रक्षा बंधन भी. इस बार ख़ास है १५ अगस्त , ३७० अब नहीं है और पूरा देश में एक विधान है। ये सब ठीक है, पर अब हम को स्वतंत्रा को भी समझना होगा, स्वतंत्रा माने सिर्फ जश्न नहीं, स्वतंत्रा माने जिम्मेदारी भी है.जिम्मेदारी अपनी, परिवार की ही नहीं बल्कि समाज की और देश की भी। जब तक हमारे अंदर ये भावना घर नहीं करेगी की हमको कुछ भी ऐसा नहीं करना है जिस से कही पर हमारा स्वारथ्य तो सिद्ध हो रहा हो पर देश के हिट में नहीं है वो तो हमें नहीं करना है हुमक विकसित राष्ट्र की श्रेणी में नहीं आ पाएंगे हित
तो आइये इस स्वतंत्रा दिवस सिर्फ वंदे मातरम गाये ना बल्कि अपने आचरण को भी वंदनीय बनाये देश हित मे अपने आचरण को भी वंदनीय बनाये।