गुरु चरणों में अपना शीश,
झुका ले प्यारे,
पावन चरणों से थोड़ी प्रीत,
लगा ले प्यारे।।
देवता भी हैं पूजते जिसको,
ऊंचा स्थान है मिला उसको,
जिसकी करती है वन्दना सृष्टि,
जो ज्ञान रस की सदा करे वृष्टि,
मन में तू सागर रूप उसका बसा ले प्यारे,
पावन चरणों से थोड़ी,
प्रीत लगा ले प्यारे।।
-राकेश सागर