काश कि इस आकंठ प्रेम में डूबी प्रकृति और आकाश सा विशाल हृदय संपूर्ण मानव आत्मसात कर पाता। अतिशयोक्ति ही सही पर मासूम सा प्यारा ख्वाब ही तो हमें जीने की प्रेरणा देता है।

नीलिमा कुमार

Hindi Thought by Neelima Kumar : 111211012
Neelima Kumar 5 year ago

बहुत खूब लिखा है कुबेर जी... वाह

Kuber Mishra 5 year ago

मात्र गम में ही सिमट सकती नहीं है जिन्दगी प्रकृति का उल्लास देखो और खुदा की बंदगी

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