#काव्योत्सव #प्रेम

प्रेम के सागर को ,
प्रेम की गहराई को ,
प्रेम के लम्हों को ,
कब कोई बाँध पाया है ..


पर इक मीठा सा एहसास ,
दिल के कोने में ..
दस्तक देने लगता है
जब मैं तुम्हारे करीब होती हूँ


कि काश ..
प्यार की हर मुद्रा में
हम खुजराहो की मूरत जैसे
बस वही थम जाए

लम्हे साल ,युग बस
यूँ ही प्यार करते जाए

मूरत दिखे ,अमूर्त सी हर कोण से
और कभी जुदा न होने पाये

काश ..........

बरसो से खड़े इन प्रेम युगल से
हम एक प्रेम चिन्ह बन जाए!!!!

Hindi Poem by Ranju Bhatia : 111160462
Ranju Bhatia 5 year ago

धन्यवाद☺️?

Sharad Maloo 5 year ago

रंजू जी, इस काव्य में प्रेम का वर्णन अद्वितीय है।।

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