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पढ़ना लिखना मेरा शौक ....
तुम न जाने , किस जहाँ में खो गए , हम भरी दुनिया में , तनहा हो गए ।।
बहुत खूबसूरत होती हैं , ये कल्पनायें , पहुँच जाती हैं , जहाँ मन चाहे , चाहे जब बात कर लो , मिल लो , किसी के रोके ,रुकती नहीं , ये कल्पनाएँ , रूठों को मना दें और बेजान दिलों में जान डाल दें , ये कल्पनायें ।।
कभी कभी अचानक से , कोई खोया मिल जाता है , फिर अचानक से ग़ुम हो जाता है , कभी खोना ,कभी पाना , शायद यही है जिंदगी का अफसाना ।।
मैं जानती हूँ कि तुम खामोश हो , पर फिर भी बात कर रहे हो , मैं जानती हूँ कि तुम मुझे देख रहे हो , मैं भी तुम्हें देख रही हूँ , इन बंद आँखों से मन की कल्पनाओं से , जिनसे तुमने मुझे जीना सिखाया ।।
जब भी ये दिल उदास होता है , जाने कौन आस पास होता है ? कोई वादा नहीं किया लेकिन , क्यूँ तेरा इंतज़ार रहता है ?
क्यूँ लौट आईं अर्श से टकराकर , सदायें मेरी , शायद मेरी पुकार ही , मुकल्लम नहीं रही होगी ।।
क्यूँ ख़ामोशियाँ सी पसरी हैं , इस किनारे से उस किनारे तक , गर ग़म में डूबे हो तो , सीने से लगाकर , हर ग़म को छुपा लूँ , अपने सीने में , मगर , गर भुला के मुझे खुश हो तो , तो तुम्हारी खुशियों को , दुआ दे दूं उम्र भर के लिए ।।
माना कि तेरी महफ़िल के , काबिल नहीं थे हम , पर तेरे ही बुलाने से , यहाँ आये थे हम , खुद ही कहीं छुपे हो , बुलाकर हमें यहाँ । ऐसी क्या खता हुई , जो रूठ गए तुम ।।
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