hindi Best Women Focused Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Women Focused in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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दूसरी औरत By Ranjana Jaiswal

यह सच है कि दूसरी औरत को भारतीय समाज ने अभी तक मान्यता नहीं दी है,फिर भी दूसरी स्त्री सदियों से समाज का हिस्सा रही है |साहित्य,संगीत,कला,फिल्म जैसे क्षेत्रों में तो कई ऐसे पुरूष-ना...

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वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 9 By Pooja Singh

उधर बरखा इशिता के पास पहुंचती है...... इशिता बहुत गौर से कुछ फोटोग्राफस को देख रही थी तभी बरखा उसके पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखती है जिससे इशिता तुरंत आंसू पोछकर पीछे घुमती है.......

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स्त्री का सच By Ranjana Jaiswal

स्त्री जब तक गुलाम बनी रहती है, तब तक पुरूष की प्रिय बनी रहती है पर जब वह अपनी बुद्धि,तर्क के सहारे अपने वजूद को साबित करती है ।अपने होने को दिखती है ,पुरूष उसका दुश्मन हो जाता है...

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समझौता प्यार का दूसरा नाम - 8 By Neerja Pandey

वसुधा की व्यस्तता बढ़ती ही जा रही थी। अरुण जैसे जैसे बड़ा हो रहा था उसकी शरारतें भी बढ़ती जा रही थी। वसुधा के घर ना रहने पर तो रागिनी और जयंती उसे संभाल लेती थी, पर वापस घर आने पर...

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छिछोरों का छिछियाना By Ranjana Jaiswal

छिछोरों का छिछियानाआजकल बच्चियों से बलात्कार की खबरों से समाचार-पत्र भरे रहते हैं | कितना गिर गया है पुरूष समाज !कौन-सी वजह है इसके पीछे ?एड्स जैसे यौन रोगों से बचाव कि यौन का भ्रा...

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एक मुलाकात By NEELKAMAL GAUTAM

आज से 5 वर्ष पहले मुझे एक लड़की मिली देखने मै सुन्दर जिसका 2 लड़के पीछा कर रहे थे वो लड़की घबराई हुई थी मैंने पूछा क्या हुआ लड़की बोली वो दो लड़के मेरा पीछा कर रहे है मैने कहा कोई...

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस By Pranava Bharti

'नारी तू नारायणी' कहने वाले क्या यह समझते व स्वीकार भी करते हैं कि वास्तव में स्त्री का सम्मान कितना आवश्यक है अथवा जीवन में स्त्री कितनी महत्वपूर्ण है ? यदि इसका उत्तर &#3...

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स्त्री विमर्श बनाम मानवाधिकार By Ranjana Jaiswal

मैं हुआ करती थी /एक ठंडी पतली धारा /बहती हुई जंगलों ,पर्वतों और वादियों में /मैंने जाना कि ठहरा हुआ पानी /भीतर से मारा जाता है /जाना कि समुद्र की लहरों से मिलना धाराओं को नयी जिंदग...

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गुलाबो - भाग 7 By Neerja Pandey

भाग 7आपने पिछले भाग में पढ़ा की गुलाबो परिवार वालों के साथ गांव आती है। उसके मां बनने की जानकारी होने पर जगत रानी बहुत खुश होती है। अब वो इस हालत में गुलाबो को शहर नही भेजना चाहती...

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भारतीय सिनेमा में स्त्री की छवि By Ranjana Jaiswal

आजादी से पहले बाल-विवाह,बेमेल विवाह ,पर्दा-प्रथा और अशिक्षा पर केन्द्रित कई फिल्में बनाई गईं |दुनिया ना माने ,अछूत कन्या,आदमी ,देवदास ,इन्दिरा एम ए ,बालयोगिनी आदि फिल्में स्त्री –...

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स्त्री कविता की दुश्वारियां By Ranjana Jaiswal

कविता कविता होती है ,उसे स्त्री या पुरूष कविता के रूप में बांटकर नहीं देखना चाहिए ,यह तर्क अक्सर विद्वान देते रहते हैं |वे भूल जाते हैं कि इसी तर्क के कारण स्त्री कविता का सही आकलन...

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गांधारी By Pushp Saini

लघुकथा ( गांधारी )*******************प्रीति = नीलम तुमने मुझे अचानक से ऐसे मिलने क्यों बुलाया, सब ठीक है न ?नीलम = मन बेचैन था, सोचा तुमसे बात करुँ। अच्छा हुआ तुम आ गयी, यह...

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दूसरी औरत - 1 By Naziya Ansari

रसोई में खड़े खड़े कब गैस पर से दूध उफन गया उसे पता ही नहीं लगा। पता उसे तब लगा जब उसे दूध जलने की महक आई।आजकल ऐसे ही तो ख्यालों में खो जाती है वो जिससे कभी तो सब्जी जल जाती है या...

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औरत (एक दृष्टि) By Ranjana Jaiswal

औरत को हीन मानना समाज के संस्कारों में रच-बस गया है ,दिलो-दिमाग पर हावी है जहां से उसे खुरच कर हटाना और इसी खुरची हुई जगह पर नयी इबारत लिखना आसान नहीं है ,इसके लिए वक्त भी बहुत चाह...

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सुरमयी आंखों वाली - 5 - अंतिम भाग By Jyoti Prajapati

अबतक मैंने जिस सुरमयी को जाना था ये उससे बिल्कुल अलग थी ! इतना दुखद और भयावह अतीत ! सुनकर ही दिल मे अजीब सी घबराहट मच गई ! जब पढ़कर ही हम सबका ये हाल था तो सुरमयी पर तो ये सब बीती थ...

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कोख का कारोबार - (लेख) By Ranjana Jaiswal

कोख स्त्री को प्रकृति द्वारा दिया गया अनुपम उपहार है पर सदियों से इस पर पुरूष का अधिकार रहा है |अपनी ही कोख के बारे में स्त्री निर्णय नहीं ले सकती थी |उसकी कोख में क्या पले ,कितना...

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माँ By Pushp Saini

कहानी --- माँ •••••••••••••••••••आज नैना की शादी पर उसकी एक नहीं दो-दो माँ उसका कन्यादान कर रही थी और उसे आशीर्वाद दे रही थी ।तबादले के बाद जब हम इस बड़े से शहर में आए तब पलक से मे...

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नई सुबह - 2 By Pallavi Pandey

पापा कार निकाल कर दोनो को छोड़ने गए तो मैंने दांतों से जीभ काट ली। क्या मूढ़ता कर बैठी थी मैं? कौन सी सुखद स्मृति थी उस घर की इन दोनो के पास ?उन दोनों के जाने के बाद मां अन्यमनस्क...

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क्या ये ही मेरी जीत थी  By Ratna Pandey

"नहीं, नहीं, नहीं…एक बार मना कर दिया फिर भी समझ में नहीं आता क्या राधा ? क्या ज़रूरत है अभी मायके जाने की ? बार-बार जाने की ज़िद करके, फिर नाराजी दिखाती हो। 25 साल भी तुम्हें कम पड...

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नारी जग पहचान अधिकारी By Kamal Bhansali

माना, मनुस्मृति एक विवादास्पद गंर्थ के रुप में स्वीकृत किया जाता है, क्योंकि उसमें कुछ हिन्दु नियम कानूनों का ऐसा समाहित है, जो आज के परिवेश अनुसार उचित नहीं लगते, पर बात जब हम नार...

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पश्चाताप - 2 By Sagar

अध्याय 1 यों तो सभी मेहनत करते हैं किंतु सोहन की मेहनत अलग ही है।कहने को तो वह एक मामूली किसान है।किंतु मेहनत क...

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बारिश और एक हादसा.... By Saroj Verma

शाम का समय... सुन दरवाजा बंद कर लें,मैं राशन का सामान और सब्जियांँ लेने जा रही हूँ,प्रियम्वदा ने अपने बेटे कुनाल से कहा.... लेकिन मम्मा ! बाहर बारिश हो रही है,कुनाल बोला।। लेकिन हल...

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आखरी प्रश्न By Narayan Menariya

आखरी प्रश्न - तुम क्यों अपनी आवाज़ नही उठाती ? मेरी लिखी हुई कविताओं मेसे एक सबसे प्रिय कविता है, जो कि समाज में औरत की स्थिती का वर्णन करती हैं। इस कविता मे मैने एक औरत के जन्म से...

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वो गंगा ही तो थी... By Saroj Verma

सुलोचना के पति गजेन्द्र फोरेस्ट आँफिसर थे और इस बार उनके साथ वो भी गई,बड़ा सरकारी डाक बंगला था अंग्रेजों के जमाने का, गाँव से कुछ दूर जंगल के पास,उस जगह आदिवासियों की संख्या बहुत ही...

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वो बूढ़ी औरत... By Saroj Verma

ओ...कौशल्या जीजी! शाम के हमार घरे आ जइओ,न्यौता है तुम्हार!माल्ती ने अपनी पड़ोसन कौशल्या से कहा... काहे! का बात है? कौशल्या ने पूछा।। हमार बहु की गोद भराई है,माल्ती बोली।। बधाई...

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रिले रेस–स्त्री जीवन की इनफ़िनिट बैटन रेस By Neelam Kulshreshtha

प्रोफ़ेसर डॉ. के. वनजा, कोचीन नीलम कुलश्रेष्ठ द्वारा संपादित ‘रिले रेस’ कहानी संग्रह स्त्री विमर्श की दृष्टि से उल्लेखनीय है । अनंत काल से अपने जीवन में स्त्री कई कष्टों...

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मुझे डर लगता है.... By Saroj Verma

हैलो !अंकल! मैने ये शब्द सुनकर अनसुना कर दिया,मुझे लगा उसने किसी और को पुकारा होगा,फिर जब मैने नहीं सुना तो उसने एक बार फिर से पुकारा,मुझे हार कर पीछे मुड़ना ही पड़ा,चूँकि मैं बाँलकन...

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डूबता दिल... By Saroj Verma

अपराजिता उदास सी खिड़की के पास बैठी थी,बाहर हो रही बारिश भी उसके जलते मन को ठंडा नहीं कर पा रहीं थीं,अभी यहाँ राजीव और बच्चे होते तो फौरन पकौड़ों और चाय की फरमाइश कर बैठते,लेकिन मैं...

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बरखा बहार आई - (अन्तिम भाग) By Saroj Verma

मैं ये सोच ही रही थी कि मेरे पति ने मुझे झापड़ क्यों मारा? तभी मेरे पति ने मेरे बाल पकडे़ और मुझे खड़ा करके पूछा.... तूने माँ को क्यों बताया कि रात मैं घर नहीं लौटा। उन्होंने पूछा...

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दूसरी औरत By Ranjana Jaiswal

यह सच है कि दूसरी औरत को भारतीय समाज ने अभी तक मान्यता नहीं दी है,फिर भी दूसरी स्त्री सदियों से समाज का हिस्सा रही है |साहित्य,संगीत,कला,फिल्म जैसे क्षेत्रों में तो कई ऐसे पुरूष-ना...

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वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 9 By Pooja Singh

उधर बरखा इशिता के पास पहुंचती है...... इशिता बहुत गौर से कुछ फोटोग्राफस को देख रही थी तभी बरखा उसके पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखती है जिससे इशिता तुरंत आंसू पोछकर पीछे घुमती है.......

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स्त्री का सच By Ranjana Jaiswal

स्त्री जब तक गुलाम बनी रहती है, तब तक पुरूष की प्रिय बनी रहती है पर जब वह अपनी बुद्धि,तर्क के सहारे अपने वजूद को साबित करती है ।अपने होने को दिखती है ,पुरूष उसका दुश्मन हो जाता है...

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समझौता प्यार का दूसरा नाम - 8 By Neerja Pandey

वसुधा की व्यस्तता बढ़ती ही जा रही थी। अरुण जैसे जैसे बड़ा हो रहा था उसकी शरारतें भी बढ़ती जा रही थी। वसुधा के घर ना रहने पर तो रागिनी और जयंती उसे संभाल लेती थी, पर वापस घर आने पर...

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छिछोरों का छिछियाना By Ranjana Jaiswal

छिछोरों का छिछियानाआजकल बच्चियों से बलात्कार की खबरों से समाचार-पत्र भरे रहते हैं | कितना गिर गया है पुरूष समाज !कौन-सी वजह है इसके पीछे ?एड्स जैसे यौन रोगों से बचाव कि यौन का भ्रा...

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एक मुलाकात By NEELKAMAL GAUTAM

आज से 5 वर्ष पहले मुझे एक लड़की मिली देखने मै सुन्दर जिसका 2 लड़के पीछा कर रहे थे वो लड़की घबराई हुई थी मैंने पूछा क्या हुआ लड़की बोली वो दो लड़के मेरा पीछा कर रहे है मैने कहा कोई...

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स्त्री विमर्श बनाम मानवाधिकार By Ranjana Jaiswal

मैं हुआ करती थी /एक ठंडी पतली धारा /बहती हुई जंगलों ,पर्वतों और वादियों में /मैंने जाना कि ठहरा हुआ पानी /भीतर से मारा जाता है /जाना कि समुद्र की लहरों से मिलना धाराओं को नयी जिंदग...

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गुलाबो - भाग 7 By Neerja Pandey

भाग 7आपने पिछले भाग में पढ़ा की गुलाबो परिवार वालों के साथ गांव आती है। उसके मां बनने की जानकारी होने पर जगत रानी बहुत खुश होती है। अब वो इस हालत में गुलाबो को शहर नही भेजना चाहती...

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भारतीय सिनेमा में स्त्री की छवि By Ranjana Jaiswal

आजादी से पहले बाल-विवाह,बेमेल विवाह ,पर्दा-प्रथा और अशिक्षा पर केन्द्रित कई फिल्में बनाई गईं |दुनिया ना माने ,अछूत कन्या,आदमी ,देवदास ,इन्दिरा एम ए ,बालयोगिनी आदि फिल्में स्त्री –...

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स्त्री कविता की दुश्वारियां By Ranjana Jaiswal

कविता कविता होती है ,उसे स्त्री या पुरूष कविता के रूप में बांटकर नहीं देखना चाहिए ,यह तर्क अक्सर विद्वान देते रहते हैं |वे भूल जाते हैं कि इसी तर्क के कारण स्त्री कविता का सही आकलन...

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गांधारी By Pushp Saini

लघुकथा ( गांधारी )*******************प्रीति = नीलम तुमने मुझे अचानक से ऐसे मिलने क्यों बुलाया, सब ठीक है न ?नीलम = मन बेचैन था, सोचा तुमसे बात करुँ। अच्छा हुआ तुम आ गयी, यह...

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दूसरी औरत - 1 By Naziya Ansari

रसोई में खड़े खड़े कब गैस पर से दूध उफन गया उसे पता ही नहीं लगा। पता उसे तब लगा जब उसे दूध जलने की महक आई।आजकल ऐसे ही तो ख्यालों में खो जाती है वो जिससे कभी तो सब्जी जल जाती है या...

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औरत (एक दृष्टि) By Ranjana Jaiswal

औरत को हीन मानना समाज के संस्कारों में रच-बस गया है ,दिलो-दिमाग पर हावी है जहां से उसे खुरच कर हटाना और इसी खुरची हुई जगह पर नयी इबारत लिखना आसान नहीं है ,इसके लिए वक्त भी बहुत चाह...

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सुरमयी आंखों वाली - 5 - अंतिम भाग By Jyoti Prajapati

अबतक मैंने जिस सुरमयी को जाना था ये उससे बिल्कुल अलग थी ! इतना दुखद और भयावह अतीत ! सुनकर ही दिल मे अजीब सी घबराहट मच गई ! जब पढ़कर ही हम सबका ये हाल था तो सुरमयी पर तो ये सब बीती थ...

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कोख का कारोबार - (लेख) By Ranjana Jaiswal

कोख स्त्री को प्रकृति द्वारा दिया गया अनुपम उपहार है पर सदियों से इस पर पुरूष का अधिकार रहा है |अपनी ही कोख के बारे में स्त्री निर्णय नहीं ले सकती थी |उसकी कोख में क्या पले ,कितना...

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माँ By Pushp Saini

कहानी --- माँ •••••••••••••••••••आज नैना की शादी पर उसकी एक नहीं दो-दो माँ उसका कन्यादान कर रही थी और उसे आशीर्वाद दे रही थी ।तबादले के बाद जब हम इस बड़े से शहर में आए तब पलक से मे...

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नई सुबह - 2 By Pallavi Pandey

पापा कार निकाल कर दोनो को छोड़ने गए तो मैंने दांतों से जीभ काट ली। क्या मूढ़ता कर बैठी थी मैं? कौन सी सुखद स्मृति थी उस घर की इन दोनो के पास ?उन दोनों के जाने के बाद मां अन्यमनस्क...

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क्या ये ही मेरी जीत थी  By Ratna Pandey

"नहीं, नहीं, नहीं…एक बार मना कर दिया फिर भी समझ में नहीं आता क्या राधा ? क्या ज़रूरत है अभी मायके जाने की ? बार-बार जाने की ज़िद करके, फिर नाराजी दिखाती हो। 25 साल भी तुम्हें कम पड...

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नारी जग पहचान अधिकारी By Kamal Bhansali

माना, मनुस्मृति एक विवादास्पद गंर्थ के रुप में स्वीकृत किया जाता है, क्योंकि उसमें कुछ हिन्दु नियम कानूनों का ऐसा समाहित है, जो आज के परिवेश अनुसार उचित नहीं लगते, पर बात जब हम नार...

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पश्चाताप - 2 By Sagar

अध्याय 1 यों तो सभी मेहनत करते हैं किंतु सोहन की मेहनत अलग ही है।कहने को तो वह एक मामूली किसान है।किंतु मेहनत क...

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बारिश और एक हादसा.... By Saroj Verma

शाम का समय... सुन दरवाजा बंद कर लें,मैं राशन का सामान और सब्जियांँ लेने जा रही हूँ,प्रियम्वदा ने अपने बेटे कुनाल से कहा.... लेकिन मम्मा ! बाहर बारिश हो रही है,कुनाल बोला।। लेकिन हल...

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आखरी प्रश्न By Narayan Menariya

आखरी प्रश्न - तुम क्यों अपनी आवाज़ नही उठाती ? मेरी लिखी हुई कविताओं मेसे एक सबसे प्रिय कविता है, जो कि समाज में औरत की स्थिती का वर्णन करती हैं। इस कविता मे मैने एक औरत के जन्म से...

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वो गंगा ही तो थी... By Saroj Verma

सुलोचना के पति गजेन्द्र फोरेस्ट आँफिसर थे और इस बार उनके साथ वो भी गई,बड़ा सरकारी डाक बंगला था अंग्रेजों के जमाने का, गाँव से कुछ दूर जंगल के पास,उस जगह आदिवासियों की संख्या बहुत ही...

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वो बूढ़ी औरत... By Saroj Verma

ओ...कौशल्या जीजी! शाम के हमार घरे आ जइओ,न्यौता है तुम्हार!माल्ती ने अपनी पड़ोसन कौशल्या से कहा... काहे! का बात है? कौशल्या ने पूछा।। हमार बहु की गोद भराई है,माल्ती बोली।। बधाई...

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प्रोफ़ेसर डॉ. के. वनजा, कोचीन नीलम कुलश्रेष्ठ द्वारा संपादित ‘रिले रेस’ कहानी संग्रह स्त्री विमर्श की दृष्टि से उल्लेखनीय है । अनंत काल से अपने जीवन में स्त्री कई कष्टों...

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मुझे डर लगता है.... By Saroj Verma

हैलो !अंकल! मैने ये शब्द सुनकर अनसुना कर दिया,मुझे लगा उसने किसी और को पुकारा होगा,फिर जब मैने नहीं सुना तो उसने एक बार फिर से पुकारा,मुझे हार कर पीछे मुड़ना ही पड़ा,चूँकि मैं बाँलकन...

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डूबता दिल... By Saroj Verma

अपराजिता उदास सी खिड़की के पास बैठी थी,बाहर हो रही बारिश भी उसके जलते मन को ठंडा नहीं कर पा रहीं थीं,अभी यहाँ राजीव और बच्चे होते तो फौरन पकौड़ों और चाय की फरमाइश कर बैठते,लेकिन मैं...

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बरखा बहार आई - (अन्तिम भाग) By Saroj Verma

मैं ये सोच ही रही थी कि मेरे पति ने मुझे झापड़ क्यों मारा? तभी मेरे पति ने मेरे बाल पकडे़ और मुझे खड़ा करके पूछा.... तूने माँ को क्यों बताया कि रात मैं घर नहीं लौटा। उन्होंने पूछा...

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