hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • सोफ़ी

    “सोफ़ी ई,ई,अरी, ओ सोफ़ी! कहाँ चली गई? कब से आवाज़ें मार रही हूँ, पर मजाल क...

  • बत्तखें

    बत्तखें मेरी नजर में पहले वह खिड़की उतरी थी|  दो संलग्न आड़ी दीवारों के बीच ए...

  • मुस्कुराती वसीयत 

    सुरेश पाल जी को रात को अचानक हार्ट अटैक हुआ । रात के दो बजे उन्हें लेकर अस्पताल...

एक दुनिया अजनबी - 33 By Pranava Bharti

एक दुनिया अजनबी 33- "ये भी एक अलग कहानी है दीदी ---"संकोच से वह चुप हो गई थी लेकिन उसे सब कुछ खुलकर बताना था, वह चाहती थी कि अपने मन की सारी बातें इनसे साँझा करे | कुछ देर चुप रही,...

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बदलते प्यार की परिभाषा - 2 By Aarav Ki Kalam

अहाना से फोन लेकर महिमा उसका टिंडर प्रोफाइल चेक करती है। "Ahana,21 0 km away verified profile । Fashionblogger । designertobe । । moody । beaches । verified profile? क्या बात है अह...

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एक दूजे के लिए - (भाग 2) By Kishanlal Sharma

"मै भी यहाँ---- - -उमेश ने भी रचना को अपने बारे में बताया था।"अभी कहा से आ रहै हो?""किराये के मकान की तलाश में गया था,"उमेश अपनी परेशानी रचना से शेयर करते हुए बोला,"कुंवारा हूँ इसल...

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अपने-अपने कारागृह - 25 By Sudha Adesh

अपने-अपने कारागृह -25सुबह उसने अजय का मनपसंद दलिया और आलू पोहा के साथ थोड़ी पनीर भुजिया भी बना ली ।' क्या हो गया है आज आपको यह स्पेशल ट्रीटमेंट !!' अजय ने कहा ।' स्पेश...

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सोफ़ी By Jyotsana Singh

“सोफ़ी ई,ई,अरी, ओ सोफ़ी! कहाँ चली गई? कब से आवाज़ें मार रही हूँ, पर मजाल क्या कि कान पर जूँ भी रेंग जाए? बैठी होगी वहीं कोठा चढ़ कर” बड़बड़ाती हुई अम्मी घुटनें सम्भालती...

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कैथार्सिस - 1 By Amita Neerav

अमिता नीरव 1 धनक.... कितना सुंदर नाम है। वह उसे बार-बार प्रोनाउंस कर रहा था। देर रात अथर्व होटल के रूम में पहुँचा था। सोमवार को वह कंपनी ज्वाइन करने वाला है और इसलिए आज सुबह की फ्ल...

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बत्तखें By Deepak sharma

बत्तखें मेरी नजर में पहले वह खिड़की उतरी थी|  दो संलग्न आड़ी दीवारों के बीच एक बुर्ज की भांति खड़ी|  बाहर की ओर उछलती हुई|  आगे बढ़ी तो देखा बाबूजी उस खिड़की पर खड़े थे|&n...

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मुस्कुराती वसीयत  By Anju Kharbanda

सुरेश पाल जी को रात को अचानक हार्ट अटैक हुआ । रात के दो बजे उन्हें लेकर अस्पताल भागे । शहर के सबसे अच्छे अस्पताल में एडमिट करवाया जहाँ दुनिया भर की सुविधाएँ थी । फिर भी पम्मी घर बच...

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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 25 By Pradeep Shrivastava

भाग - २५ 'लेकिन! जब निश्चिंत हो गई हो तो फिर मन में लेकिन क्यों बना हुआ है?' 'नहीं मेरा मतलब है कि तुम्हारे घर वाले हमारे रिश्ते को मान लेंगे, अगर ना माने तो, तब क्या ह...

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राग का अंतर्राग - 3 - अंतिम भाग By Amita Neerav

अमिता नीरव 3 वृंदा एकदम खिन्न हो गई थी। वह नहीं समझ पा रही थी कि आखिर वह क्या कहे, करे? उसे यह दुख भी होने लगा था कि आखिर उसका अधूरापन शुभ के सामने भी जाहिर हो ही गया। लेकिन वह क्य...

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आत्मनिर्भरता और वसुधैव कुटुम्बकम! By Anil Patel_Bunny

नमस्कार मित्रो, उम्मीद है आप सभी कुशल मंगल होंगे। कुछ महीनों पहले हमारे माननीय प्रधानमंत्रीजी ने अपने देश हित के संबोधन में 'आत्मनिर्भर' शब्द का प्रयोग किया। कोरो...

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सौ हाथ का कलेजा By Deepak sharma

पंजाब मेल मैंने लखनऊ से पकड़ी थी। शाम गहराने पर मैंने अपने नए-पुराने सहयात्रियों से उनके स्लीपर का पता लगाना चाहा। ‘मेरी बच्ची नीचे सोना पसन्द करेगी’, एक युवक ने पास बैठ...

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यादों के झरोखों से-निश्छल प्रेम (3) By Asha Saraswat

यादों के झरोखों से-निश्छल प्रेम (1)और(2)आपके लिए प्रस्तुत है । जीवन में बहुत से लोगों से हम सब का मिलना होता है ।उनमें कुछ लोग नकारात्मक सोच के होते है,कुछ सकारात्मक सोच के साथ हमा...

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अधूरापन By Sumit Vig

सुमित विग सुबह के नौ बजे थे। सड़क के दोनों ओर से वाहन आ-जा रहे थे। सड़क के एक किनारे से एक व्हीलचेयर पर एक 23-24 वर्ष का युवक जा रहा था। उस युवक ने सफ़ेद कमीज़ और काला कॉट पेंट पहना...

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BOYS school WASHROOM - 14 By Akash Saxena "Ansh"

"यश अपने पैसे अपने पास रख विहान मेरे भी तो भाई जैसा ही है, आइसक्रीम मैंने ली है तो पैसे भी मे ही दे देता हूँ"हर्षित यश की आँखों मे आंखे डालकर बोला और उसके बाजू मे खड़ा विशाल हँसने ल...

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तीसरे लोग - 18 - अंतिम भाग By Geetanjali Chatterjee

18. किसना की कविताओं का संग्रह 'झरोखे जिंदगी के' बहुत सुर्खियां बटोर रहा था। उसकी अंतिम इच्छा के अनुसार मिलनेवाली रॉयल्टी एड्स से मरनेवालो मरीज़ों के परिवार की सहायता हेतु द...

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गुम हो चुकी लड़की... By Amita Neerav

अमिता नीरव दिसंबर जा रहा था..... वो गुजरते साल का एक और छोटा-सा दिन था...... गुलमोहर के पेड़ के नीचे धूप और छाह से बुने कालीन पर वो मेरे सामने बैठी थी। उसके सिर और कंधों पर धूप के...

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विश्वास By Neelima Tikku

दरवाज़े की घण्टी जिस तरह से लगातार बज रही थी मैं समझ गई थी कि मनोज ही आए होंगे। दरवाज़ा खोलते ही उनके हाथ में मोबाइल पकड़ा दिया था। "इसे लेने ही इतनी दूर से वापिस आए हैं ना?" मुझे...

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कब्ज़े पर By Deepak sharma

कब्ज़े पर अपनी दूसरी शादी के कुछ समय बाद पापा मुझे मेरी नानी के घर से अपने पास लिवा ले गए. “यह तुम्हारी स्टेप-मॉम है,” अपने टॉयलेट के बाद जब मैं लाउन्ज में गई तो पापा ने...

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लाल दुपट्टा मलमल का By Abdul Gaffar

लाल दुपट्टा मलमल का(कहानी)लेखक - अब्दुल ग़फ़्फ़ार _______तेतरी देवी की सबसे छोटी बेटी के जन्म के साथ ही घर में मातम पसर गया। गांव में लोगों के घर गोबर के उपले पाथने का काम करने वाल...

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आंसुओं के रिश्ते By Amita Neerav

डॉ. अमिता नीरव ‘हमारे बीच अब कुछ भी नहीं रहा...।’ – सपाट चेहरे और चुराती नज़रों से उसने संयुक्ता से कहा। अवाक् और आहत संयुक्ता की आँखों में आँसू आए तो लेकिन फिर प...

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लता सांध्य-गृह - 11 - अंतिम अध्याय By Rama Sharma Manavi

पूर्व कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें। अंतिम अध्याय----------------- गतांक से आगे…. --------------- हमारे सांध्य-गृह के सभी सदस्य यहाँ स्वेच्छा से आए हुए हैं,अतः किस...

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धुन्‍ध By Ramnarayan Sungariya

कहानी— धुन्‍ध आर. एन. सुनगरया,...

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मां की ममता By Poonam Gujrani Surat

कहानीकामिनी निर्विकार भाव से बैठी शून्य में ताक रही थी। सामने रखी हुई चाय कब की ठंडी हो चुकी थी।कल तक जिस घर में हंसी-मजाक, ठहाकों की आवाजें गूंजती थी, रसोई खूशबू से तर रहती, कहीं...

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बेचारी गृहस्वामिनी By Archana Anupriya

"बेचारी गृहस्वामिनी"जब हम नारी मुक्ति और नारी उत्कर्ष की बात करते हैं तब हम नारियों को अपने अंदर भी झाँकना चाहिए कि समाज की अन्य स्त्रियाँ इस आजादी और अधिकारों का गलत उपयोग तो नहीं...

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एक दुनिया अजनबी - 33 By Pranava Bharti

एक दुनिया अजनबी 33- "ये भी एक अलग कहानी है दीदी ---"संकोच से वह चुप हो गई थी लेकिन उसे सब कुछ खुलकर बताना था, वह चाहती थी कि अपने मन की सारी बातें इनसे साँझा करे | कुछ देर चुप रही,...

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बदलते प्यार की परिभाषा - 2 By Aarav Ki Kalam

अहाना से फोन लेकर महिमा उसका टिंडर प्रोफाइल चेक करती है। "Ahana,21 0 km away verified profile । Fashionblogger । designertobe । । moody । beaches । verified profile? क्या बात है अह...

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एक दूजे के लिए - (भाग 2) By Kishanlal Sharma

"मै भी यहाँ---- - -उमेश ने भी रचना को अपने बारे में बताया था।"अभी कहा से आ रहै हो?""किराये के मकान की तलाश में गया था,"उमेश अपनी परेशानी रचना से शेयर करते हुए बोला,"कुंवारा हूँ इसल...

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अपने-अपने कारागृह - 25 By Sudha Adesh

अपने-अपने कारागृह -25सुबह उसने अजय का मनपसंद दलिया और आलू पोहा के साथ थोड़ी पनीर भुजिया भी बना ली ।' क्या हो गया है आज आपको यह स्पेशल ट्रीटमेंट !!' अजय ने कहा ।' स्पेश...

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सोफ़ी By Jyotsana Singh

“सोफ़ी ई,ई,अरी, ओ सोफ़ी! कहाँ चली गई? कब से आवाज़ें मार रही हूँ, पर मजाल क्या कि कान पर जूँ भी रेंग जाए? बैठी होगी वहीं कोठा चढ़ कर” बड़बड़ाती हुई अम्मी घुटनें सम्भालती...

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कैथार्सिस - 1 By Amita Neerav

अमिता नीरव 1 धनक.... कितना सुंदर नाम है। वह उसे बार-बार प्रोनाउंस कर रहा था। देर रात अथर्व होटल के रूम में पहुँचा था। सोमवार को वह कंपनी ज्वाइन करने वाला है और इसलिए आज सुबह की फ्ल...

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बत्तखें By Deepak sharma

बत्तखें मेरी नजर में पहले वह खिड़की उतरी थी|  दो संलग्न आड़ी दीवारों के बीच एक बुर्ज की भांति खड़ी|  बाहर की ओर उछलती हुई|  आगे बढ़ी तो देखा बाबूजी उस खिड़की पर खड़े थे|&n...

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मुस्कुराती वसीयत  By Anju Kharbanda

सुरेश पाल जी को रात को अचानक हार्ट अटैक हुआ । रात के दो बजे उन्हें लेकर अस्पताल भागे । शहर के सबसे अच्छे अस्पताल में एडमिट करवाया जहाँ दुनिया भर की सुविधाएँ थी । फिर भी पम्मी घर बच...

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बेनज़ीर - दरिया किनारे का ख्वाब - 25 By Pradeep Shrivastava

भाग - २५ 'लेकिन! जब निश्चिंत हो गई हो तो फिर मन में लेकिन क्यों बना हुआ है?' 'नहीं मेरा मतलब है कि तुम्हारे घर वाले हमारे रिश्ते को मान लेंगे, अगर ना माने तो, तब क्या ह...

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राग का अंतर्राग - 3 - अंतिम भाग By Amita Neerav

अमिता नीरव 3 वृंदा एकदम खिन्न हो गई थी। वह नहीं समझ पा रही थी कि आखिर वह क्या कहे, करे? उसे यह दुख भी होने लगा था कि आखिर उसका अधूरापन शुभ के सामने भी जाहिर हो ही गया। लेकिन वह क्य...

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आत्मनिर्भरता और वसुधैव कुटुम्बकम! By Anil Patel_Bunny

नमस्कार मित्रो, उम्मीद है आप सभी कुशल मंगल होंगे। कुछ महीनों पहले हमारे माननीय प्रधानमंत्रीजी ने अपने देश हित के संबोधन में 'आत्मनिर्भर' शब्द का प्रयोग किया। कोरो...

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सौ हाथ का कलेजा By Deepak sharma

पंजाब मेल मैंने लखनऊ से पकड़ी थी। शाम गहराने पर मैंने अपने नए-पुराने सहयात्रियों से उनके स्लीपर का पता लगाना चाहा। ‘मेरी बच्ची नीचे सोना पसन्द करेगी’, एक युवक ने पास बैठ...

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यादों के झरोखों से-निश्छल प्रेम (3) By Asha Saraswat

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"यश अपने पैसे अपने पास रख विहान मेरे भी तो भाई जैसा ही है, आइसक्रीम मैंने ली है तो पैसे भी मे ही दे देता हूँ"हर्षित यश की आँखों मे आंखे डालकर बोला और उसके बाजू मे खड़ा विशाल हँसने ल...

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तीसरे लोग - 18 - अंतिम भाग By Geetanjali Chatterjee

18. किसना की कविताओं का संग्रह 'झरोखे जिंदगी के' बहुत सुर्खियां बटोर रहा था। उसकी अंतिम इच्छा के अनुसार मिलनेवाली रॉयल्टी एड्स से मरनेवालो मरीज़ों के परिवार की सहायता हेतु द...

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अमिता नीरव दिसंबर जा रहा था..... वो गुजरते साल का एक और छोटा-सा दिन था...... गुलमोहर के पेड़ के नीचे धूप और छाह से बुने कालीन पर वो मेरे सामने बैठी थी। उसके सिर और कंधों पर धूप के...

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विश्वास By Neelima Tikku

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कब्ज़े पर By Deepak sharma

कब्ज़े पर अपनी दूसरी शादी के कुछ समय बाद पापा मुझे मेरी नानी के घर से अपने पास लिवा ले गए. “यह तुम्हारी स्टेप-मॉम है,” अपने टॉयलेट के बाद जब मैं लाउन्ज में गई तो पापा ने...

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लाल दुपट्टा मलमल का By Abdul Gaffar

लाल दुपट्टा मलमल का(कहानी)लेखक - अब्दुल ग़फ़्फ़ार _______तेतरी देवी की सबसे छोटी बेटी के जन्म के साथ ही घर में मातम पसर गया। गांव में लोगों के घर गोबर के उपले पाथने का काम करने वाल...

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आंसुओं के रिश्ते By Amita Neerav

डॉ. अमिता नीरव ‘हमारे बीच अब कुछ भी नहीं रहा...।’ – सपाट चेहरे और चुराती नज़रों से उसने संयुक्ता से कहा। अवाक् और आहत संयुक्ता की आँखों में आँसू आए तो लेकिन फिर प...

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लता सांध्य-गृह - 11 - अंतिम अध्याय By Rama Sharma Manavi

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धुन्‍ध By Ramnarayan Sungariya

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मां की ममता By Poonam Gujrani Surat

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बेचारी गृहस्वामिनी By Archana Anupriya

"बेचारी गृहस्वामिनी"जब हम नारी मुक्ति और नारी उत्कर्ष की बात करते हैं तब हम नारियों को अपने अंदर भी झाँकना चाहिए कि समाज की अन्य स्त्रियाँ इस आजादी और अधिकारों का गलत उपयोग तो नहीं...

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