hindi Best Fiction Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Fiction Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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  • स्वर्ण मुद्रा और बिजनेसमैन - भाग 5

    मैं एक वैज्ञानिक भी हूं. मैंने एक ऐसी धातु की खोज की जो बहुत मजबूत और टिकाऊ थी....

  • मिड डे मील - 15

    पंचायत के पंच ने बोलना शुरू किया। हम सबको बहुते दुःख है कि तेरे साथ अच्छा नहीं ह...

  • बेपनाह - 4

    4 उसकी सारी चिंताएँ लगभग खत्म सी हो गयी थी, अब वो बेफिक्र होकर प्ले में जाने की...

स्वर्ण मुद्रा और बिजनेसमैन - भाग 5 By Shakti Singh Negi

मैं एक वैज्ञानिक भी हूं. मैंने एक ऐसी धातु की खोज की जो बहुत मजबूत और टिकाऊ थी. साथ ही मनुष्य के मांस से मिलती जुलती थी. मैंने इस धातु से अपने शरीर के लिए एक खोल का निर्माण किया. इ...

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मिड डे मील - 15 By Swati Grover

पंचायत के पंच ने बोलना शुरू किया। हम सबको बहुते दुःख है कि तेरे साथ अच्छा नहीं हुआ। मगर कल जो लोग आकर खुले में धमका कर गए और फिर तेरा मकान जल गया। यह कोई अच्छा संकेत नहीं हैं, समझे...

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बेपनाह - 4 By Seema Saxena

4 उसकी सारी चिंताएँ लगभग खत्म सी हो गयी थी, अब वो बेफिक्र होकर प्ले में जाने की तैयारी कर रही थी । निश्चित दिन सब लोग निकल गए । उसके घर में सर ने अपनी एक सेविका भेज दी जो उनके घर म...

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स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 17 - 1 By Nirav Vanshavalya

जवाब एक ही है कि पूरा देश एकजुट हो कर सारे भुगतान बैंक से ही करने शुरू कर दे. महंगाई ओके मापदंड चीज वस्तुओं की अछत नही है, बल्कि करंसी ओके अंडर पास को रखता है. एक काना पै...

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पहले कदम का उजाला - 8 By सीमा जैन 'भारत'

लम्बी बीमारी… घर आकर एक बार फिर रोली को बहुत तेज बुख़ार आया। पूरी रात उसको सहलाते हुए बीती। अगले तीन दिनों तक मैं एक ही दुआ कर रही थी कि रोली का ये बुख़ार कोई बड़ा रूप नहीं ले...

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विश्वासघात--(सीजन-२)--भाग(१९) By Saroj Verma

विश्वनाथ ने पीटर से कहा.... इन दोनों को अपने अड्डे पर ले चलो,अभी बताता हूँ इन्हें कि विश्वनाथ से पंगा लेने का क्या अन्जाम होता है? रंगा!अड्डे पर ही इसके भाई को फोन करके कह दो कि...

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कालिदास के साहित्य में श्रंगार रस By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

शब्दों के देवी संगीत और लय मे संजोया वह मानव जीवन जो मानो विधाता ने शंख से खोद कर, मुक्ता से सींच कर, मृणाल तंतु से सॅवार कर, कुरज कुंद और सिंधुवार पुष्पों की धवल कांति से सजाकर ,...

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वो अनकही बातें - 22 By RACHNA ROY

अगले दिन सुबह समीर तैयार हो कर जाने लगा और उसने कहा कि शाम को शापिंग करने जाना है। तैयार रहना। शालू ने आंखें मलते हुए कहा अच्छा ठीक है। फिर शालू सो गई। समीर अस्पताल पहुंच कर सारी ब...

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देहखोरों के बीच - भाग - पाँच By Ranjana Jaiswal

भाग पांचअर्चना को अपने ननिहाल के गांव में आकर बहुत सुकून मिला था।खेतों में लहलहाती फसलें,बाग- बगीचों की फलदार हरियाली ,शुद्ध हवा ने उसका मन मोह लिया। यहां के ग्रामीण लोगों से उसे भ...

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टापुओं पर पिकनिक - 49 By Prabodh Kumar Govil

आगोश पहचान में नहीं आ रहा था। महीने भर में ही गेटअप पूरी तरह बदल गया था। बालों के रंग से लेकर जूतों के ढंग तक। सब बदल गया था। उसकी ट्रेनिंग सप्ताह में पांच दिन होती थी। उन पांच दिन...

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गुनाहों का देवता - 21 By Dharmveer Bharti

भाग 21 ''खाओ न!'' सुधा ने कहा और एक कौर बनाकर चन्दर को देने लगी। ''तुम जाओ!'' चन्दर ने बड़े रूखे स्वर में कहा, ''मैं खा लूँगा!'' सुध...

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टेढी पगडंडियाँ - 19 By Sneh Goswami

टेढी पगडंडियाँ 19 अवतार सिंह और चन्न कौर ने जंगीर और सतबीर को शांत करने की भरसक कोशिश की । भई होनी को कौन बदल सकता है । शायद यही सब होना किस्मत में लिखा था । जो होना था , सो...

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नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 19 By Pranava Bharti

19 “ज़िंदगी केवल वहीं नहीं होती जहाँ तुम रहती हो, ज़िंदगी तुम्हारे दायरे से निकलकर चारों तरफ फैली हुई है और सबको अलग-अलग सबक सिखाती-पढ़ाती रहती है ! मैंने तुम्हें पहले भी कितनी...

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एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 33 By ARUANDHATEE GARG मीठी

राजवीर के लगातार कायरा को देख कर डांस करने से आरव का खून खौल रहा था । उसे लग रहा था , कि वह अभी स्टेज पर जाकर , वहीं पर राजवीर का मुंह तोड़ दे । पर अफसोस, की वह इतने सारे लोगों के...

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मैं तो ओढ चुनरिया - 32 By Sneh Goswami

मैं तो ओढ चुनरिया अध्याय 32 रातभर किताबें अलग अलग आकार प्रकार में मेरी आँखों के सामने नाचती रही । ढेर की ढेर किताबें । जरा सा आँख लगती कि वे किताबें मेरे सामने नाचने लगती । म...

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भवभूति का नाट्य लोक और मनोविज्ञान By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

जीवन के इस सुंदर तम उद्यान में हृदय के भावों की सुषमा चारों ओर बिखरी हुई है। कभी कोई ऐसा विशेष क्षण आता है जब वह तूलिका के चित्र में बंध जाने के लिए बाध्य हो जाती है। आंसुओं की गहर...

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बद्री विशाल सबके हैं - 6 By डॉ स्वतन्त्र कुमार सक्सैना

बद्री विशाल सबके हैं 6 कहानी स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना बिब्‍बो उसकी ओर घ्‍यान से देख रही थी । मुस्‍करा दी । तो धीरू सम्‍हल कर सो...

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ये उन दिनों की बात है - 35 By Misha

रेडियो पर मैंने प्यार किया के गाने बजने लगे थे | चित्रहार पर भी इस फिल्म के गाने दिखाने लगे थे जो की अगले महीने की 29 तारीख को रिलीज़ होने वाली थी | सबकी जुबां पर इसी फिल्म की चर्चा...

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हारा हुआ आदमी (भाग38) By Kishanlal Sharma

रमेश,देवेन से बाते कर रहा था तभी किसी ने उसे पुकारा था।रमेश चला गया।"राहुुुल कहां है?"देवेंन ने पत्नी सेे पूछा था।"अंदर सो रहा है।"निशा बोली।"तुम सुबह अकेली आ जाओगी या मैं लेने आऊ...

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कोट - ९ By महेश रौतेला

कोट-९मैंने बच्चों से कहा जब तक चश्मे वाला नहीं लौट आता हिमालय से, तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ। बच्चों ने उत्सुकता में कान खड़े कर लिये। मैंने कहा, सुनो-"बहुत रात हो गयीचलो, कहानी कह...

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शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में मानवाधिकारों की शिक्षा का समावेश By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

हर युग का ज्ञान कला देती रहती है ।हर युग की शोभा स्त्री लेती रहती है ।इन दोनों से भूषित वेशित और मंडित।हर शिक्षक वाणी एक दिव्य कथा कहती है।मानव जाति के क्रमबद्ध सुव्यवस्थित और सकार...

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स्वर्ण मुद्रा और बिजनेसमैन - भाग 5 By Shakti Singh Negi

मैं एक वैज्ञानिक भी हूं. मैंने एक ऐसी धातु की खोज की जो बहुत मजबूत और टिकाऊ थी. साथ ही मनुष्य के मांस से मिलती जुलती थी. मैंने इस धातु से अपने शरीर के लिए एक खोल का निर्माण किया. इ...

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मिड डे मील - 15 By Swati Grover

पंचायत के पंच ने बोलना शुरू किया। हम सबको बहुते दुःख है कि तेरे साथ अच्छा नहीं हुआ। मगर कल जो लोग आकर खुले में धमका कर गए और फिर तेरा मकान जल गया। यह कोई अच्छा संकेत नहीं हैं, समझे...

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बेपनाह - 4 By Seema Saxena

4 उसकी सारी चिंताएँ लगभग खत्म सी हो गयी थी, अब वो बेफिक्र होकर प्ले में जाने की तैयारी कर रही थी । निश्चित दिन सब लोग निकल गए । उसके घर में सर ने अपनी एक सेविका भेज दी जो उनके घर म...

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स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 17 - 1 By Nirav Vanshavalya

जवाब एक ही है कि पूरा देश एकजुट हो कर सारे भुगतान बैंक से ही करने शुरू कर दे. महंगाई ओके मापदंड चीज वस्तुओं की अछत नही है, बल्कि करंसी ओके अंडर पास को रखता है. एक काना पै...

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पहले कदम का उजाला - 8 By सीमा जैन 'भारत'

लम्बी बीमारी… घर आकर एक बार फिर रोली को बहुत तेज बुख़ार आया। पूरी रात उसको सहलाते हुए बीती। अगले तीन दिनों तक मैं एक ही दुआ कर रही थी कि रोली का ये बुख़ार कोई बड़ा रूप नहीं ले...

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विश्वासघात--(सीजन-२)--भाग(१९) By Saroj Verma

विश्वनाथ ने पीटर से कहा.... इन दोनों को अपने अड्डे पर ले चलो,अभी बताता हूँ इन्हें कि विश्वनाथ से पंगा लेने का क्या अन्जाम होता है? रंगा!अड्डे पर ही इसके भाई को फोन करके कह दो कि...

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कालिदास के साहित्य में श्रंगार रस By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

शब्दों के देवी संगीत और लय मे संजोया वह मानव जीवन जो मानो विधाता ने शंख से खोद कर, मुक्ता से सींच कर, मृणाल तंतु से सॅवार कर, कुरज कुंद और सिंधुवार पुष्पों की धवल कांति से सजाकर ,...

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वो अनकही बातें - 22 By RACHNA ROY

अगले दिन सुबह समीर तैयार हो कर जाने लगा और उसने कहा कि शाम को शापिंग करने जाना है। तैयार रहना। शालू ने आंखें मलते हुए कहा अच्छा ठीक है। फिर शालू सो गई। समीर अस्पताल पहुंच कर सारी ब...

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देहखोरों के बीच - भाग - पाँच By Ranjana Jaiswal

भाग पांचअर्चना को अपने ननिहाल के गांव में आकर बहुत सुकून मिला था।खेतों में लहलहाती फसलें,बाग- बगीचों की फलदार हरियाली ,शुद्ध हवा ने उसका मन मोह लिया। यहां के ग्रामीण लोगों से उसे भ...

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टापुओं पर पिकनिक - 49 By Prabodh Kumar Govil

आगोश पहचान में नहीं आ रहा था। महीने भर में ही गेटअप पूरी तरह बदल गया था। बालों के रंग से लेकर जूतों के ढंग तक। सब बदल गया था। उसकी ट्रेनिंग सप्ताह में पांच दिन होती थी। उन पांच दिन...

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भाग 21 ''खाओ न!'' सुधा ने कहा और एक कौर बनाकर चन्दर को देने लगी। ''तुम जाओ!'' चन्दर ने बड़े रूखे स्वर में कहा, ''मैं खा लूँगा!'' सुध...

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टेढी पगडंडियाँ 19 अवतार सिंह और चन्न कौर ने जंगीर और सतबीर को शांत करने की भरसक कोशिश की । भई होनी को कौन बदल सकता है । शायद यही सब होना किस्मत में लिखा था । जो होना था , सो...

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नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 19 By Pranava Bharti

19 “ज़िंदगी केवल वहीं नहीं होती जहाँ तुम रहती हो, ज़िंदगी तुम्हारे दायरे से निकलकर चारों तरफ फैली हुई है और सबको अलग-अलग सबक सिखाती-पढ़ाती रहती है ! मैंने तुम्हें पहले भी कितनी...

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एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 33 By ARUANDHATEE GARG मीठी

राजवीर के लगातार कायरा को देख कर डांस करने से आरव का खून खौल रहा था । उसे लग रहा था , कि वह अभी स्टेज पर जाकर , वहीं पर राजवीर का मुंह तोड़ दे । पर अफसोस, की वह इतने सारे लोगों के...

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मैं तो ओढ चुनरिया - 32 By Sneh Goswami

मैं तो ओढ चुनरिया अध्याय 32 रातभर किताबें अलग अलग आकार प्रकार में मेरी आँखों के सामने नाचती रही । ढेर की ढेर किताबें । जरा सा आँख लगती कि वे किताबें मेरे सामने नाचने लगती । म...

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जीवन के इस सुंदर तम उद्यान में हृदय के भावों की सुषमा चारों ओर बिखरी हुई है। कभी कोई ऐसा विशेष क्षण आता है जब वह तूलिका के चित्र में बंध जाने के लिए बाध्य हो जाती है। आंसुओं की गहर...

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बद्री विशाल सबके हैं - 6 By डॉ स्वतन्त्र कुमार सक्सैना

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ये उन दिनों की बात है - 35 By Misha

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हारा हुआ आदमी (भाग38) By Kishanlal Sharma

रमेश,देवेन से बाते कर रहा था तभी किसी ने उसे पुकारा था।रमेश चला गया।"राहुुुल कहां है?"देवेंन ने पत्नी सेे पूछा था।"अंदर सो रहा है।"निशा बोली।"तुम सुबह अकेली आ जाओगी या मैं लेने आऊ...

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कोट - ९ By महेश रौतेला

कोट-९मैंने बच्चों से कहा जब तक चश्मे वाला नहीं लौट आता हिमालय से, तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ। बच्चों ने उत्सुकता में कान खड़े कर लिये। मैंने कहा, सुनो-"बहुत रात हो गयीचलो, कहानी कह...

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शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में मानवाधिकारों की शिक्षा का समावेश By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

हर युग का ज्ञान कला देती रहती है ।हर युग की शोभा स्त्री लेती रहती है ।इन दोनों से भूषित वेशित और मंडित।हर शिक्षक वाणी एक दिव्य कथा कहती है।मानव जाति के क्रमबद्ध सुव्यवस्थित और सकार...

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