hindi Best Fiction Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Fiction Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 20 By Nirav Vanshavalya

अदैन्य ने अपनी चमचमाती वॉक्सवैगन को छोड़ा और एयरपोर्ट की ओर प्रयाण किया. यहां भारतीय हवाई अड्डे पर प्लेन उतरता है और उसमें से ब्राउन गोगल्स पहना हुवा अदैन्य बाहर निकल रह...

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पहले कदम का उजाला - 17 By सीमा जैन 'भारत'

लद्दाख*** पहले चट्टानों के विविध रंगों से सजे पर्वत दिख रहे थे। फ़िर बर्फ के पहाड़… अब इस नैसर्गिक सौंदर्य का कैसे बखान करूँ? बर्फ के पर्वत तो ऐसे लग रहे थे जैसे किसी ने इन प...

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वह अब भी वहीं है - 4 By Pradeep Shrivastava

भाग - 4 समीना तुम मुझे हमेशा नहीं, बल्कि शुरू के दो-तीन सालों तक आए दिन ऐड़ा-टट्टू कहा करती थी। लेकिन नहीं-नहीं समीना, मैं हर वक़्त हर क्षण अपने सपने को पूरा करने के लिए बेचैन रहता...

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प्यार के इन्द्रधुनष - 3 By Lajpat Rai Garg

- 3 - पीएमटी के द्वितीय प्रयास में वृंदा को आशातीत सफलता मिली। उसका एडमिशन सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज, जयपुर में हो गया। वृंदा ने यह शुभ समाचार मनमोहन को जिस पत्र के माध्यम से दिया,...

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लेख संग्रह - भाग 2 - अमीर और गरीब By Shakti Singh Negi

मेरे मकान में तीन किराएदार हैं? पहला किराएदार एक मजदूर है। वह अपनी बीवी के साथ रहता है। महीने में वह कुल ₹20000 जमा कर लेता है। दूसरा किराएदार एक सरकारी कर्मचारी है। उसकी सैलरी...

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महाकवि भवभूति का क्रांतिकारी रूप साहित्य क्रांति By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

संस्कृत नाटकों के विशाल साहित्य पर जिन किंचित नाटक कारों के अमिट चरण चिन्ह विद्यमान हैं, उन्हें भवभूति अग्रगण्य है। विद्वानों की दृष्टि में महाकवि कालिदास के समकक्ष स्थान पाने वाले...

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वो अनकही बातें - 24 By RACHNA ROY

समीर ने दवा देते हुए कहा ये खा लो आराम मिलेगा। शालू ने कहा कि पता नहीं सर दर्द से फट रहा है।बैल्क काॅफी आॅडर कर दिया है?समीर ने कहा मुझे लगता है काफी एकजरस्न हो गया है। क्या वापस च...

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गुनाहों का देवता - 30 By Dharmveer Bharti

भाग 30 ''सुधा, यह तो सच है कि मैंने तुम्हारे मन को बहुत दुखाया है, लेकिन तुम तो हमारी हर बात को, हमारे हर क्रोध को क्षमा करती रही हो, इस बात का तुम इतना बुरा मान गयी?'&...

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बेपनाह - 12 By Seema Saxena

12 कितने प्यारे लगते हैं मुस्कुराते हुए लोग ! शुभी ने उनके चेहरे को देखते हुए सोचा, ना जाने क्यों आँसू और दुख दर्द बना दिये ईश्वर ने सिर्फ मुस्कान ही बाँट देते जिससे सब लोग हमेशा ह...

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टापुओं पर पिकनिक - 58 By Prabodh Kumar Govil

आगोश का कोर्स जल्दी ही अब पूरा होने वाला था। तेन भी अब वापस अपने देश जापान लौट जाने की तैयारी करने लगा था। उन दोनों के बीच अब घनिष्ठ यारी हो गई थी। दिल्ली के इन दिनों के साथ ने उन...

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क्या तुझे भी इश्क है? (भाग-3) By R.K.S. 'Guru'

भाग-3. अनारकली का एक्सीडेंट शिवाक्षी ने दुकान से अपने घर का सामान ले लिया था. जिसके बाद उसने एक बड़े से थेले में सामान को भरा और उसने दुकानदार से बिल माँगा- भैया, कितने हुए? -मैम,...

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टेढी पगडंडियाँ - 22 By Sneh Goswami

टेढी पगडंडियाँ 22 निरंजन जो कङियल जवान था । निरंजन जो यारों का यार था । निरंजन जो साहसी और धाकङ था । निरंजन जो चलता तो धरती हिलती । बोलता तो आसमान लरजता था । निरंजन जब सजधज क...

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कहानी संग्रह - 4 - ढाबे में नौकरी By Shakti Singh Negi

ढाबे में नौकरीदिनेश एक संपन्न परिवार से है। उसका बचपन सुख सुविधा में गुजरा। पर वह 42 वर्ष की उम्र तक कंपटीशन की तैयारी करता रहा। आखिर वह असफल रहा। आर्थिक तंगी आने लगी। आखिर अपने बच...

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नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 25 By Pranava Bharti

25 “क्या है, सोने दो न दीदी ?”पुण्या ने करवट बदलनी चाही लेकिन पूरी रात भर गर्दन कुर्सी पर टँगी रहने के कारण उसकी गर्दन ऐंठ गई थी |  “कितनी बदबू में सोई हो, उ...

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एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 39 By ARUANDHATEE GARG मीठी

मिशा की कॉफी ख़तम हो चुकी थी । उसने अपना कप , सामने रखी टेबल पर रखा और रामू को आवाज़ दी । मिशा - रामू......., रामू........, कहां मर गए ....????? रामू ( हड़बड़ाते हुए दौड़ कर आया और...

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भारत - 2 By नन्दलाल सुथार राही

भारत - भाग .2आपके प्रेम और प्रोत्साहन के कारण "भारत "काव्य-संग्रह का दूसरा भाग आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। आशा है इसे भी आपके प्रेम और प्रोत्साहन का लाभ अवश...

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संस्कृत वांग्मय में औषध चिकित्सा By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

"वेदों अखिलो धर्म मूलम्"----वेद ही अखिल धर्मों के मूल है। भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का "अथ से इति" तक का संपूर्ण सार वेदों में निहित है। मानव जीवन की उच्चतम संपत्ति वेदों में है।...

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आधुनिक संस्कृत साहित्य में नारी सौंदर्य कालिदास के विशेष संदर्भ में By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

नारी पात्र काव्य की प्राण वाहिनी धारा है, जिसमें जीवन का मर्मस्पर्शी मधुर रस लहलहाता रहता है। वस्तुतः नारी ही सुख का मूल, त्रिभुवन का आधार और त्रेलोक्य रूपा के रूप में भी शैवागमों...

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हारा हुआ आदमी (भाग 40) By Kishanlal Sharma

माया ने कहा तो दिया लेकिन उसे लगा।वह कुछ ज्यादा ही बोल गयी।अचानक बात करने का लहजा बदलते हुए माया बोली,"खून के रिश्ते के बीच शारीरिक संबंध से बचना चाहिए।औरत और आदमी के बीच खून का...

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तक़दीर का खेल - 3 By Aarushi Varma

अनिल और सावित्री को Mr. Roy की डिल पसंद आती है.... सुरेखा कबसे जगदिश को phon लगा रही थी लेकीन उसका phon off आ रहा था,और इसी वजह से सुरेखा परेशान थी की 10 बज गए पर गोलु और विकी को ल...

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निम्की - 2 By Varun Sharma

(2) धर्म की आंचगांव में निम्की के किस्से आम थे पर जमीदारो और पंचायत के आगे किसकी चलने वाली है? वक्त ने सबको आगे धक्का दिया और सब अपनी-अपनी में लग गए। पर निम्की और मुसीबत का चोला सा...

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कालिदास के प्राकृतिक सौंदर्य में कौटुंबिक संबंध By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

किसी भी काव्य में चित्रित प्रकृति सौंदर्य को उदात्त ,अनुपम तथा अनूठी शोभा से मंडित करने हेतु उसमें मानवीय भावनाओं का समावेश होना अत्यावश्यक है। मानव के समान प्रकृति भी प्राणमयी है...

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स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 20 By Nirav Vanshavalya

अदैन्य ने अपनी चमचमाती वॉक्सवैगन को छोड़ा और एयरपोर्ट की ओर प्रयाण किया. यहां भारतीय हवाई अड्डे पर प्लेन उतरता है और उसमें से ब्राउन गोगल्स पहना हुवा अदैन्य बाहर निकल रह...

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पहले कदम का उजाला - 17 By सीमा जैन 'भारत'

लद्दाख*** पहले चट्टानों के विविध रंगों से सजे पर्वत दिख रहे थे। फ़िर बर्फ के पहाड़… अब इस नैसर्गिक सौंदर्य का कैसे बखान करूँ? बर्फ के पर्वत तो ऐसे लग रहे थे जैसे किसी ने इन प...

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वह अब भी वहीं है - 4 By Pradeep Shrivastava

भाग - 4 समीना तुम मुझे हमेशा नहीं, बल्कि शुरू के दो-तीन सालों तक आए दिन ऐड़ा-टट्टू कहा करती थी। लेकिन नहीं-नहीं समीना, मैं हर वक़्त हर क्षण अपने सपने को पूरा करने के लिए बेचैन रहता...

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प्यार के इन्द्रधुनष - 3 By Lajpat Rai Garg

- 3 - पीएमटी के द्वितीय प्रयास में वृंदा को आशातीत सफलता मिली। उसका एडमिशन सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज, जयपुर में हो गया। वृंदा ने यह शुभ समाचार मनमोहन को जिस पत्र के माध्यम से दिया,...

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लेख संग्रह - भाग 2 - अमीर और गरीब By Shakti Singh Negi

मेरे मकान में तीन किराएदार हैं? पहला किराएदार एक मजदूर है। वह अपनी बीवी के साथ रहता है। महीने में वह कुल ₹20000 जमा कर लेता है। दूसरा किराएदार एक सरकारी कर्मचारी है। उसकी सैलरी...

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महाकवि भवभूति का क्रांतिकारी रूप साहित्य क्रांति By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

संस्कृत नाटकों के विशाल साहित्य पर जिन किंचित नाटक कारों के अमिट चरण चिन्ह विद्यमान हैं, उन्हें भवभूति अग्रगण्य है। विद्वानों की दृष्टि में महाकवि कालिदास के समकक्ष स्थान पाने वाले...

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वो अनकही बातें - 24 By RACHNA ROY

समीर ने दवा देते हुए कहा ये खा लो आराम मिलेगा। शालू ने कहा कि पता नहीं सर दर्द से फट रहा है।बैल्क काॅफी आॅडर कर दिया है?समीर ने कहा मुझे लगता है काफी एकजरस्न हो गया है। क्या वापस च...

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गुनाहों का देवता - 30 By Dharmveer Bharti

भाग 30 ''सुधा, यह तो सच है कि मैंने तुम्हारे मन को बहुत दुखाया है, लेकिन तुम तो हमारी हर बात को, हमारे हर क्रोध को क्षमा करती रही हो, इस बात का तुम इतना बुरा मान गयी?'&...

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बेपनाह - 12 By Seema Saxena

12 कितने प्यारे लगते हैं मुस्कुराते हुए लोग ! शुभी ने उनके चेहरे को देखते हुए सोचा, ना जाने क्यों आँसू और दुख दर्द बना दिये ईश्वर ने सिर्फ मुस्कान ही बाँट देते जिससे सब लोग हमेशा ह...

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टापुओं पर पिकनिक - 58 By Prabodh Kumar Govil

आगोश का कोर्स जल्दी ही अब पूरा होने वाला था। तेन भी अब वापस अपने देश जापान लौट जाने की तैयारी करने लगा था। उन दोनों के बीच अब घनिष्ठ यारी हो गई थी। दिल्ली के इन दिनों के साथ ने उन...

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क्या तुझे भी इश्क है? (भाग-3) By R.K.S. 'Guru'

भाग-3. अनारकली का एक्सीडेंट शिवाक्षी ने दुकान से अपने घर का सामान ले लिया था. जिसके बाद उसने एक बड़े से थेले में सामान को भरा और उसने दुकानदार से बिल माँगा- भैया, कितने हुए? -मैम,...

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टेढी पगडंडियाँ - 22 By Sneh Goswami

टेढी पगडंडियाँ 22 निरंजन जो कङियल जवान था । निरंजन जो यारों का यार था । निरंजन जो साहसी और धाकङ था । निरंजन जो चलता तो धरती हिलती । बोलता तो आसमान लरजता था । निरंजन जब सजधज क...

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ढाबे में नौकरीदिनेश एक संपन्न परिवार से है। उसका बचपन सुख सुविधा में गुजरा। पर वह 42 वर्ष की उम्र तक कंपटीशन की तैयारी करता रहा। आखिर वह असफल रहा। आर्थिक तंगी आने लगी। आखिर अपने बच...

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नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 25 By Pranava Bharti

25 “क्या है, सोने दो न दीदी ?”पुण्या ने करवट बदलनी चाही लेकिन पूरी रात भर गर्दन कुर्सी पर टँगी रहने के कारण उसकी गर्दन ऐंठ गई थी |  “कितनी बदबू में सोई हो, उ...

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एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 39 By ARUANDHATEE GARG मीठी

मिशा की कॉफी ख़तम हो चुकी थी । उसने अपना कप , सामने रखी टेबल पर रखा और रामू को आवाज़ दी । मिशा - रामू......., रामू........, कहां मर गए ....????? रामू ( हड़बड़ाते हुए दौड़ कर आया और...

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भारत - 2 By नन्दलाल सुथार राही

भारत - भाग .2आपके प्रेम और प्रोत्साहन के कारण "भारत "काव्य-संग्रह का दूसरा भाग आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। आशा है इसे भी आपके प्रेम और प्रोत्साहन का लाभ अवश...

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संस्कृत वांग्मय में औषध चिकित्सा By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

"वेदों अखिलो धर्म मूलम्"----वेद ही अखिल धर्मों के मूल है। भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का "अथ से इति" तक का संपूर्ण सार वेदों में निहित है। मानव जीवन की उच्चतम संपत्ति वेदों में है।...

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आधुनिक संस्कृत साहित्य में नारी सौंदर्य कालिदास के विशेष संदर्भ में By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

नारी पात्र काव्य की प्राण वाहिनी धारा है, जिसमें जीवन का मर्मस्पर्शी मधुर रस लहलहाता रहता है। वस्तुतः नारी ही सुख का मूल, त्रिभुवन का आधार और त्रेलोक्य रूपा के रूप में भी शैवागमों...

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हारा हुआ आदमी (भाग 40) By Kishanlal Sharma

माया ने कहा तो दिया लेकिन उसे लगा।वह कुछ ज्यादा ही बोल गयी।अचानक बात करने का लहजा बदलते हुए माया बोली,"खून के रिश्ते के बीच शारीरिक संबंध से बचना चाहिए।औरत और आदमी के बीच खून का...

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अनिल और सावित्री को Mr. Roy की डिल पसंद आती है.... सुरेखा कबसे जगदिश को phon लगा रही थी लेकीन उसका phon off आ रहा था,और इसी वजह से सुरेखा परेशान थी की 10 बज गए पर गोलु और विकी को ल...

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निम्की - 2 By Varun Sharma

(2) धर्म की आंचगांव में निम्की के किस्से आम थे पर जमीदारो और पंचायत के आगे किसकी चलने वाली है? वक्त ने सबको आगे धक्का दिया और सब अपनी-अपनी में लग गए। पर निम्की और मुसीबत का चोला सा...

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कालिदास के प्राकृतिक सौंदर्य में कौटुंबिक संबंध By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

किसी भी काव्य में चित्रित प्रकृति सौंदर्य को उदात्त ,अनुपम तथा अनूठी शोभा से मंडित करने हेतु उसमें मानवीय भावनाओं का समावेश होना अत्यावश्यक है। मानव के समान प्रकृति भी प्राणमयी है...

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