hindi Best Fiction Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Fiction Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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  • जेहादन - भाग 5 (अंतिम भाग)

    भाग -5 इस उद्देश्य के लिए धर्मान्तरण के साथ-साथ लैंड-जिहाद को भी चलाने में जी-जा...

  • नक़ल या अक्ल - 25

    25 रेलवे ट्रैक     नीमवती भी रिमझिम को देखें जा रही है, “ बेटा मुझे भी तुम्हारी...

  • वंश - भाग 9

    नौ मुबारकपुर में यह बात जंगल की आग की तरह फैल गई कि नारी-निकुंज की अधीक्षिका दिल...

शोहरत का घमंड - 89 By shama parveen

आलिया को देख कर आर्यन के घर में सभी के होश उड़ जाते है। तब आर्यन के डैड आलिया से बोलते हैं, "आलिया क्या है ये सब और आज तुम ऑफिस क्यो नहीं आई"।तब आर्यन बोलता है, "डैड आप ये कैसी बात...

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फागुन के मौसम - भाग 32 By शिखा श्रीवास्तव

सभी बड़ों के बाद जब यश, तारा, अंजली, अविनाश, राघव और जानकी खाना खाने बैठे तब बातचीत के दौरान यश ने राघव से कहा, "भाई ऐसा है कि कल सुबह ठीक ग्यारह बजे तुम दशाश्वमेध घाट पहुँच जाना।"...

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Shadow Of The Packs - 6 By Vijay Sanga

एक तरफ जहां जंगल मे उस आदमखोर जानवर को पड़ने मे नाकामयाब होने और कुछ पुलिस वालो की जान जाने को लेकर कमिशनर साहब जोसेफ गोम्स और पवन कुमार को झाड़ने मे लगे हुए थे। वहीं दूसरी तरफ विक...

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सत्या के लिए - भाग 1 By Pradeep Shrivastava

भाग -1 प्रदीप श्रीवास्तव वह उस बार में रोज़ ही देर शाम को बैठ कर घंटे भर तक व्हिस्की पीती है, जो शहर का एक ठीक-ठाक बार कहा जाता है। जगह ज़्यादा बड़ी होने के कारण शान्ति से देर तक बैठ...

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युवा किंतु मजबूर - पार्ट 2 By Lalit Kishor Aka Shitiz

चुनाव का नतीजा आ चुका था, खाने के पैकेट और मोबाइल बांटने वाली पार्टी जो सत्ता में थी, उसे हार का सामना करना पड़ा। विपक्षी दल ने मंदिर और धर्मस्थलों के नाम पर वोट बटोर कर अपनी सरकार...

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जेहादन - भाग 5 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग -5 इस उद्देश्य के लिए धर्मान्तरण के साथ-साथ लैंड-जिहाद को भी चलाने में जी-जान से जुटे हुए हैं। इसके लिए देश को मज़ारों, मस्ज़िदों, मदरसों, क़ब्रिस्तानों से पाट देने का अभियान प्रच...

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उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 21 By Neerja Hemendra

भाग 21 इस समय शालिनी को महात्मा बुद्ध की वो पंक्तियाँ याद आने लगी हैं जब उनसे किसी ने पूछा कि " प्रेम और पसन्द में क्या अन्तर है? " इसका सबसे सुन्दर उत्तर दिया है तथागत् ने " यदि त...

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नक़ल या अक्ल - 25 By Swati Grover

25 रेलवे ट्रैक     नीमवती भी रिमझिम को देखें जा रही है, “ बेटा मुझे भी तुम्हारी शक्ल किसी की याद दिला रही है।“ “किसकी?”  उसने उसे हैरानी से देखते हुए पूछा,   किसकी आंटी?     थी मेर...

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वंश - भाग 9 By Prabodh Kumar Govil

नौ मुबारकपुर में यह बात जंगल की आग की तरह फैल गई कि नारी-निकुंज की अधीक्षिका दिल्ली से आ रही हैं। यह खबर वहाँ के रहवासियों के लिए कुछ दिन पूर्व नारी-निकुंज में छापा पड़ने और 'रण...

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द्वारावती - 39 By Vrajesh Shashikant Dave

39मंदिर से पूर्व ही एक श्रद्धालु ने केशव को रोक लिया। “बेटे, तुम ब्राह्मण हो?”“हाँ। किन्तु आपको संदेह क्यूँ है?”“क्यों कि यह पीताम्बर आदि परिधान मैंने अन्य व्यक्तियों में भी देखा ह...

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प्यार हुआ चुपके से - भाग 29 By Kavita Verma

शिव और अजय ने रति को ओंकारेश्वर के हर मन्दिर में तलाशा, पर उन्हें रति कहीं नही मिली। थककर शिव नर्मदा नदी के किनारे एक घाट पर आकर बैठ गया। तभी अजय दो दोने लेकर वहां आया और शिव की बग...

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बड़ी माँ - भाग 8 By Kishore Sharma Saraswat

8 राम आसरी का समय अब बहुत अच्छी तरह से व्यतीत होने लगा था। सारा दिन घर के कामों में व्यस्त रहती। शाम को मुन्ना के साथ बैठकर बहुत देर तक बतियाती। न खाने की चिंता थी और न पहनने की। र...

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रुबिका के दायरे - भाग 4 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग -4 “भ्रम फैला भी लेकिन लाचित ने अपनी बुद्धिमत्ता, रण-कौशल से ब्रह्मपुत्र नदी युद्ध में भी मुग़ल सेना को कुचल कर रख दिया। मुग़लों ने हार मानते हुए लिखा ‘महाराज की जय ह...

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रिबर्थ ऑफ़ डेविल - 7 By Sanju

क्लास में अभी सब एक दूसरे से बातें कर रहे थे कि तभी अचानक से साइलेंट हो जाता है।परी - अचानक साइलेंट क्यों हो गया?.मोहित - प्रोफेसर जो वापस आ गए हैं परी ने कहा आई जो मैंने उनके कार...

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गैंगस्टर का सनकी इश्क - 6 By Sanju

मुंबई......हेडकॉटर पुलिस स्टेसन......एक बड़े से रुम के अंदर प्रोजेक्टर चल रहे थे तस्वीर.... 'एक पुलिस ऑफिस था जिसका नाम आकाश मितल था' वो अपने साथियो से कह रहा था आप देख सकते...

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स्वयंवधू - 9 By Sayant

मैं इतना भयभीत हो गयी थी कि, "क..क-क...ब...", मेरे शब्द निकल नहीं रहे थे। ऐसा था जैसे किसीने मेरी ज़बान सिल दी थी।"चिंता मत करो हमने पूरी रात जाँच-पड़ताल की। यह कैमरे और माइक्रोफोन...

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कहन - सुनन By Deepak sharma

सितम्बर का दूसरा शनिवार है। माँ और बाबूजी के कमरे में बिस्तर के बगल में बैठी बहन माँ से कह रही है, ’’इस मालिश और व्यायाम से आप बहुत जल्दी फिर से पहले की तरह नहाने लगेंग...

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फादर्स डे - 79 By Praful Shah

लेखक: प्रफुल शाह खण्ड 79 मंगलवार 14/02/2017 डॉक्यू-नॉवेल ‘दृश्यम अदृश्यम’ प्रकरण अंतिम चरण में है। इसके वास्तविक पात्रो की जीवन यात्रा निरंतर बढ़ती रहेगी। कथा-प्रवाह को...

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शोहरत का घमंड - 89 By shama parveen

आलिया को देख कर आर्यन के घर में सभी के होश उड़ जाते है। तब आर्यन के डैड आलिया से बोलते हैं, "आलिया क्या है ये सब और आज तुम ऑफिस क्यो नहीं आई"।तब आर्यन बोलता है, "डैड आप ये कैसी बात...

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फागुन के मौसम - भाग 32 By शिखा श्रीवास्तव

सभी बड़ों के बाद जब यश, तारा, अंजली, अविनाश, राघव और जानकी खाना खाने बैठे तब बातचीत के दौरान यश ने राघव से कहा, "भाई ऐसा है कि कल सुबह ठीक ग्यारह बजे तुम दशाश्वमेध घाट पहुँच जाना।"...

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Shadow Of The Packs - 6 By Vijay Sanga

एक तरफ जहां जंगल मे उस आदमखोर जानवर को पड़ने मे नाकामयाब होने और कुछ पुलिस वालो की जान जाने को लेकर कमिशनर साहब जोसेफ गोम्स और पवन कुमार को झाड़ने मे लगे हुए थे। वहीं दूसरी तरफ विक...

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सत्या के लिए - भाग 1 By Pradeep Shrivastava

भाग -1 प्रदीप श्रीवास्तव वह उस बार में रोज़ ही देर शाम को बैठ कर घंटे भर तक व्हिस्की पीती है, जो शहर का एक ठीक-ठाक बार कहा जाता है। जगह ज़्यादा बड़ी होने के कारण शान्ति से देर तक बैठ...

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युवा किंतु मजबूर - पार्ट 2 By Lalit Kishor Aka Shitiz

चुनाव का नतीजा आ चुका था, खाने के पैकेट और मोबाइल बांटने वाली पार्टी जो सत्ता में थी, उसे हार का सामना करना पड़ा। विपक्षी दल ने मंदिर और धर्मस्थलों के नाम पर वोट बटोर कर अपनी सरकार...

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जेहादन - भाग 5 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग -5 इस उद्देश्य के लिए धर्मान्तरण के साथ-साथ लैंड-जिहाद को भी चलाने में जी-जान से जुटे हुए हैं। इसके लिए देश को मज़ारों, मस्ज़िदों, मदरसों, क़ब्रिस्तानों से पाट देने का अभियान प्रच...

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उन्हीं रास्तों से गुज़रते हुए - भाग 21 By Neerja Hemendra

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25 रेलवे ट्रैक     नीमवती भी रिमझिम को देखें जा रही है, “ बेटा मुझे भी तुम्हारी शक्ल किसी की याद दिला रही है।“ “किसकी?”  उसने उसे हैरानी से देखते हुए पूछा,   किसकी आंटी?     थी मेर...

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नौ मुबारकपुर में यह बात जंगल की आग की तरह फैल गई कि नारी-निकुंज की अधीक्षिका दिल्ली से आ रही हैं। यह खबर वहाँ के रहवासियों के लिए कुछ दिन पूर्व नारी-निकुंज में छापा पड़ने और 'रण...

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द्वारावती - 39 By Vrajesh Shashikant Dave

39मंदिर से पूर्व ही एक श्रद्धालु ने केशव को रोक लिया। “बेटे, तुम ब्राह्मण हो?”“हाँ। किन्तु आपको संदेह क्यूँ है?”“क्यों कि यह पीताम्बर आदि परिधान मैंने अन्य व्यक्तियों में भी देखा ह...

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प्यार हुआ चुपके से - भाग 29 By Kavita Verma

शिव और अजय ने रति को ओंकारेश्वर के हर मन्दिर में तलाशा, पर उन्हें रति कहीं नही मिली। थककर शिव नर्मदा नदी के किनारे एक घाट पर आकर बैठ गया। तभी अजय दो दोने लेकर वहां आया और शिव की बग...

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बड़ी माँ - भाग 8 By Kishore Sharma Saraswat

8 राम आसरी का समय अब बहुत अच्छी तरह से व्यतीत होने लगा था। सारा दिन घर के कामों में व्यस्त रहती। शाम को मुन्ना के साथ बैठकर बहुत देर तक बतियाती। न खाने की चिंता थी और न पहनने की। र...

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रुबिका के दायरे - भाग 4 (अंतिम भाग) By Pradeep Shrivastava

भाग -4 “भ्रम फैला भी लेकिन लाचित ने अपनी बुद्धिमत्ता, रण-कौशल से ब्रह्मपुत्र नदी युद्ध में भी मुग़ल सेना को कुचल कर रख दिया। मुग़लों ने हार मानते हुए लिखा ‘महाराज की जय ह...

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रिबर्थ ऑफ़ डेविल - 7 By Sanju

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गैंगस्टर का सनकी इश्क - 6 By Sanju

मुंबई......हेडकॉटर पुलिस स्टेसन......एक बड़े से रुम के अंदर प्रोजेक्टर चल रहे थे तस्वीर.... 'एक पुलिस ऑफिस था जिसका नाम आकाश मितल था' वो अपने साथियो से कह रहा था आप देख सकते...

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स्वयंवधू - 9 By Sayant

मैं इतना भयभीत हो गयी थी कि, "क..क-क...ब...", मेरे शब्द निकल नहीं रहे थे। ऐसा था जैसे किसीने मेरी ज़बान सिल दी थी।"चिंता मत करो हमने पूरी रात जाँच-पड़ताल की। यह कैमरे और माइक्रोफोन...

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सितम्बर का दूसरा शनिवार है। माँ और बाबूजी के कमरे में बिस्तर के बगल में बैठी बहन माँ से कह रही है, ’’इस मालिश और व्यायाम से आप बहुत जल्दी फिर से पहले की तरह नहाने लगेंग...

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फादर्स डे - 79 By Praful Shah

लेखक: प्रफुल शाह खण्ड 79 मंगलवार 14/02/2017 डॉक्यू-नॉवेल ‘दृश्यम अदृश्यम’ प्रकरण अंतिम चरण में है। इसके वास्तविक पात्रो की जीवन यात्रा निरंतर बढ़ती रहेगी। कथा-प्रवाह को...

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