hindi Best Fiction Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Fiction Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 1 By ARUANDHATEE GARG मीठी

एहसास प्यार का खूबसूरत सा❤️ ( भाग - 1 )अरनव ( खुशी को संभालते हुए ) - आराम से बैठो आप यहां पर ....., और खुद का खयाल रखा करो । खुशी - मुझे क्या जरूरत खुद का खयाल रखने की , आप तो ह...

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छुट-पुट अफसाने - 43 By Veena Vij

एपिसोड---43 ‌‌ मेरी यादों के झरोखे अपने देश से निकल कर अब विदेशों की ओर झांकने लगे हैं। कई लोगों के फोन आए कि अब बाहर के बारे में भी अपना अनुभव सुनाएं। जब बच्चे छोटे थे त...

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बैंगन - 40 - (अंतिम भाग) By Prabodh Kumar Govil

मैं पहले कभी इस तरह नहीं रोया था। मेरे आंसू लगातार इतनी देर तक कभी नहीं बहे। लेकिन अब परिस्थिति ही ऐसी थी कि और कोई चारा नहीं था। मैं पुलिस हिरासत में था। वैसे मुझे पूरा यकीन था कि...

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दैहिक चाहत - 3 By Ramnarayan Sungariya

उपन्‍यास भाग—3 दैहिक चाहत – 3 आर. एन. सुनगरया, शीला ने अपने...

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मार खा रोई नहीं - (भाग एक) By Ranjana Jaiswal

(यह उपन्यास एक शिक्षिका की डायरी के पन्ने हैं।एक शिक्षिका की डायरी से भी प्याज की तरह गठीले शिक्षा तंत्र की कई परतें खुल सकती हैं और यह पता चल सकता है कि एक स्त्री का मर्दों के क्ष...

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ये उन दिनों की बात है - 19 By Misha

स्कूल की तरफ से पिकनिक का प्रोग्राम बना था | जगह थी सरिस्का नेशनल पार्क | सुबह 6:30 बजे सभी स्कूल पहुँच गए थे | चूँकि सफर काफी लम्बा था इसलिए जल्दी निकलना जरूरी था | उस दिन मैंने...

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इंसानियत - एक धर्म - 47 By राज कुमार कांदु

तड़पते हुए कर्नल साहब अचानक फर्श पर गिर पड़े । उन्हें संभालने की कोशिश में नंदिनी भी फर्श पर लुढ़क पड़ी थी । अपनी भरपूर कोशिश के बावजूद वह कर्नल साहब के भारी भरकम शरीर को नहीं संभाल सक...

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कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 61) By Apoorva Singh

अर्पिता का अंदाज देख शान बोले, 'हाय, इन्नी चाहत' कहीं मैं खुशी मर से ही न जाऊं अप्पू!शान की बात सुन अर्पिता बोली 'अभी तो जिंदगी शुरू हुई है शान इतनी जल्दी पीछा तो नही छ...

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चाहत - 17 By sajal singh

पार्ट -17 औरतों का तो शॉपिंग मानो जनम सिद्ध अधिकार है। यही हाल हमारा था हम भी अपना अधिकार बखूबी ले रहे थे शॉपिंग करके। हमने सुबह से लेकर शाम तक हर फंक्शन के लिए कुछ...

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त्रिधा - 4 By आयुषी सिंह

अगले दिन रविवार था और प्रभात सुबह से माया के फोन पर फोन कर कर के त्रिधा से मॉल जाने के लिए ज़िद कर रहा था और त्रिधा की समझ से बाहर था कि आखिर प्रभात को अचानक हुआ क्या है इतने महीनो...

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मिखाइल: एक रहस्य - 24 - मायानगरी मुम्बई By Hussain Chauhan

"पापाजी, आप एक बार सोच कर तो देखिये, कितना काम मिलेगा मुम्बई में, मैंने बहुत सुना है मुम्बई के बारे में, और मुझे यकीन भी है कि, मैं कोई न कोई काम ज़रूर ढूंढ लूंगा।" अपने पिता के पैर...

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एक वरदान - संभोग - 2 By Satish Thakur

संभोग मानवीय जीवन की सिर्फ एक आवश्यकता ही नहीं हैं बल्कि एक वास्तविक सत्य भी है। संभोग मानव जीवन के लिए एक वरदान के रूप में है जिसका अभिप्राय केवल शारीरिक संतुष्टि न होकर मानसिक एव...

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वो अनकही बातें - भाग - 8 By RACHNA ROY

दोनों ही घर से निकल गए और अब आगे।शालू आफिस पहुंच कर ही अपने काम में लग गई। समीर भी उत्साहित था डायरी पढ़ने के लिए और जब वह खाली हुआ तो लिली को बोले कि डिस्टर्ब ना करें और समीर ने आ...

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लोक डॉउन एंड कोचिंग सिटी कोटा - भाग 4 By Rekha Pancholi

सुरभि के घर में कोरोना का कहर :- सुरभि के घर में कोरोना का कहर :-- अंजलि के साथ में उसकी सहेली रुचि भी बाहर आ गई।आम के पेड़ पर ढेरों चिड़िया आ-जा रही थीं , मौसम सुहाना था | वे दोनो...

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मैं तो ओढ चुनरिया - 18 By Sneh Goswami

मैं तो ओढ चुनरिया अध्याय 18 कई दिन तक केसरादेई और उसकी कहानी मेरे दिमाग पर हावी रही । कैसे एक माँ अपने स्वार्थ के चलते किसी दूसरे की बेटी की जिंदगी बर्बाद कर सकती है । और एक तेरह...

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दो आशिक़ अन्जाने - 5 By Satyadeep Trivedi

भारतीय पुरुषों की एक ख़ास बात है कि सौंदर्य-दर्शन होते ही, इन्हें शक्ति प्रदर्शन करने की सनक चढ़ जाती है। कोई सुंदरी सामने दिखी नहीं कि बदन की बेचैनी बढ़ने लगती है। अर्जुन जहाँ बैठा थ...

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हारा हुआ आदमी (भाग32) By Kishanlal Sharma

"झूंठ।"निशा बोली,"तुम पर।"" गलत।तुम पर। आँख, नाक सब तुम पर,"देवेंेेबोला,"इसका नाम क्या रखोगी?""अभी नही सोचा।""सोच लो।""अच्छा,"निशा पलके बन्द करके सोचने लगी।देवेन आंखे बंद करके ले...

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विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 19 By S Bhagyam Sharma

अध्याय 19 विवेक की नजरें कमरे के अंदर सीधी देखते देख सेंथिल परेशान होकर पूछा। "क्या सर?" "यह आपके ब्रदर कुमारन का कमरा है ?" "हां..." "देखें ?" "दे... देखिए सर....!" विवेक अंदर घुस...

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बाहुबली - 3 - भाग-1 By सोमराज

एक परछाई तहखाने में कदमों की आहट के साथ बढ़ रही थी यह कटप्पा थे ,कटप्पा के हाथों में खाने की थाली थी दोनों तरफ सलाखें थी तहखाने में कोई शोरगुल नहीं था ,यहां पर मंद अंधेरा था ,कटप्प...

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एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 1 By ARUANDHATEE GARG मीठी

एहसास प्यार का खूबसूरत सा❤️ ( भाग - 1 )अरनव ( खुशी को संभालते हुए ) - आराम से बैठो आप यहां पर ....., और खुद का खयाल रखा करो । खुशी - मुझे क्या जरूरत खुद का खयाल रखने की , आप तो ह...

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छुट-पुट अफसाने - 43 By Veena Vij

एपिसोड---43 ‌‌ मेरी यादों के झरोखे अपने देश से निकल कर अब विदेशों की ओर झांकने लगे हैं। कई लोगों के फोन आए कि अब बाहर के बारे में भी अपना अनुभव सुनाएं। जब बच्चे छोटे थे त...

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बैंगन - 40 - (अंतिम भाग) By Prabodh Kumar Govil

मैं पहले कभी इस तरह नहीं रोया था। मेरे आंसू लगातार इतनी देर तक कभी नहीं बहे। लेकिन अब परिस्थिति ही ऐसी थी कि और कोई चारा नहीं था। मैं पुलिस हिरासत में था। वैसे मुझे पूरा यकीन था कि...

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दैहिक चाहत - 3 By Ramnarayan Sungariya

उपन्‍यास भाग—3 दैहिक चाहत – 3 आर. एन. सुनगरया, शीला ने अपने...

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मार खा रोई नहीं - (भाग एक) By Ranjana Jaiswal

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ये उन दिनों की बात है - 19 By Misha

स्कूल की तरफ से पिकनिक का प्रोग्राम बना था | जगह थी सरिस्का नेशनल पार्क | सुबह 6:30 बजे सभी स्कूल पहुँच गए थे | चूँकि सफर काफी लम्बा था इसलिए जल्दी निकलना जरूरी था | उस दिन मैंने...

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इंसानियत - एक धर्म - 47 By राज कुमार कांदु

तड़पते हुए कर्नल साहब अचानक फर्श पर गिर पड़े । उन्हें संभालने की कोशिश में नंदिनी भी फर्श पर लुढ़क पड़ी थी । अपनी भरपूर कोशिश के बावजूद वह कर्नल साहब के भारी भरकम शरीर को नहीं संभाल सक...

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कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 61) By Apoorva Singh

अर्पिता का अंदाज देख शान बोले, 'हाय, इन्नी चाहत' कहीं मैं खुशी मर से ही न जाऊं अप्पू!शान की बात सुन अर्पिता बोली 'अभी तो जिंदगी शुरू हुई है शान इतनी जल्दी पीछा तो नही छ...

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चाहत - 17 By sajal singh

पार्ट -17 औरतों का तो शॉपिंग मानो जनम सिद्ध अधिकार है। यही हाल हमारा था हम भी अपना अधिकार बखूबी ले रहे थे शॉपिंग करके। हमने सुबह से लेकर शाम तक हर फंक्शन के लिए कुछ...

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त्रिधा - 4 By आयुषी सिंह

अगले दिन रविवार था और प्रभात सुबह से माया के फोन पर फोन कर कर के त्रिधा से मॉल जाने के लिए ज़िद कर रहा था और त्रिधा की समझ से बाहर था कि आखिर प्रभात को अचानक हुआ क्या है इतने महीनो...

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"पापाजी, आप एक बार सोच कर तो देखिये, कितना काम मिलेगा मुम्बई में, मैंने बहुत सुना है मुम्बई के बारे में, और मुझे यकीन भी है कि, मैं कोई न कोई काम ज़रूर ढूंढ लूंगा।" अपने पिता के पैर...

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एक वरदान - संभोग - 2 By Satish Thakur

संभोग मानवीय जीवन की सिर्फ एक आवश्यकता ही नहीं हैं बल्कि एक वास्तविक सत्य भी है। संभोग मानव जीवन के लिए एक वरदान के रूप में है जिसका अभिप्राय केवल शारीरिक संतुष्टि न होकर मानसिक एव...

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दोनों ही घर से निकल गए और अब आगे।शालू आफिस पहुंच कर ही अपने काम में लग गई। समीर भी उत्साहित था डायरी पढ़ने के लिए और जब वह खाली हुआ तो लिली को बोले कि डिस्टर्ब ना करें और समीर ने आ...

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सुरभि के घर में कोरोना का कहर :- सुरभि के घर में कोरोना का कहर :-- अंजलि के साथ में उसकी सहेली रुचि भी बाहर आ गई।आम के पेड़ पर ढेरों चिड़िया आ-जा रही थीं , मौसम सुहाना था | वे दोनो...

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मैं तो ओढ चुनरिया अध्याय 18 कई दिन तक केसरादेई और उसकी कहानी मेरे दिमाग पर हावी रही । कैसे एक माँ अपने स्वार्थ के चलते किसी दूसरे की बेटी की जिंदगी बर्बाद कर सकती है । और एक तेरह...

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"झूंठ।"निशा बोली,"तुम पर।"" गलत।तुम पर। आँख, नाक सब तुम पर,"देवेंेेबोला,"इसका नाम क्या रखोगी?""अभी नही सोचा।""सोच लो।""अच्छा,"निशा पलके बन्द करके सोचने लगी।देवेन आंखे बंद करके ले...

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विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 19 By S Bhagyam Sharma

अध्याय 19 विवेक की नजरें कमरे के अंदर सीधी देखते देख सेंथिल परेशान होकर पूछा। "क्या सर?" "यह आपके ब्रदर कुमारन का कमरा है ?" "हां..." "देखें ?" "दे... देखिए सर....!" विवेक अंदर घुस...

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बाहुबली - 3 - भाग-1 By सोमराज

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