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राधारमण वैद्य-भारतीय संस्कृति और बुन्देलखण्ड - 6 By राजनारायण बोहरे

‘‘ बुन्देलखण्ड की प्राचीन मूर्ति व वास्तु कला ’’ भारत के केन्द्रीय प्रदेश बुन्देलखण्ड की ‘‘कीरत के विरवा’’ की जडं़ अति प्राचीन है। भौगोलिक दृष्टि से इस क्षेत्र का अध...

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ये आम रास्ता नहीं- रजनी गुप्त By राजीव तनेजा

आम रोज़मर्रा के जीवन से ले कर कला तक के हर क्षेत्र में हम सभी अपने मन में उमड़ते घुमड़ते विचारों को बाहर लाने के लिए अपनी रुचि एवं स्वभाव के हिसाब से कोई ना कोई तरीका अपनाते है। भले...

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पवन करण - कोट के बाजू में बटन By राज बोहरे

पवन करण-कोट के बाजू में बटन स्त्री मेरे भीतर संग्रह से ख्याति प्राप्त हुए कवि पवन करण के कविता संग्रह "कोट के बाजू में बटन "(राधाकृष्ण प्रकाशन) में कुल 39 कविताएं सम्मिलित हैं !इस...

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अमेय कान्त - समुद्र से लौटेंगे रेत के घर By राज बोहरे

अमेय कान्त का कविता संग्रह अमेय कान्त उस पीढ़ी के कवि हैं जो पूरे आत्मविश्वास, शिल्प की साधना और सुदीर्घ अध्ययन के बाद कविता संसार में दाखिल हो रहे हैं। विभिन्न पत्रिकाओं में अपनी...

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श्यामसुंदर तिवारी - मैं किन सपनों की बात करूं By राज बोहरे

श्यामसुंदर तिवारी एक तपे हुए गीतकार हैं , जिनके पास नवल बिंब ,नवल कथ्य और नवल भाषा है। श्याम तिवारी जी का नवगीत संग्रह "मैं किन सपनों की बात करूं " पिछले दिनों शिवना प्रकाशन से छप...

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निठल्लें - रेखा सक्सेना वासुदेव By राज बोहरे

निठल्लें प्रयोगवादी नाटक रेखा सक्सेना वासुदेव नया रचने की मशक्कतः निठल्लें समीक्षक- राजनारायण बोहरे ”निठल्ले” एक प्रयोगवादी नाटक हैं, जो रेखा सक्सेना वासुदेव ने वर्तमान युग की...

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स्वतन्त्र सक्सैना के विचार - 3   By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

साहित्‍य की जनवादी धारा डॉ0 स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना साहित्‍य के पाठक एवं रचना...

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ताश के पत्ते- सोहेल रज़ा By राजीव तनेजा

कहते हैं कि हर इंसान की कोई ना कोई..बेशक कम या ज़्यादा मगर कीमत होती ही है।कौन..कब..किसके..किस काम आ जाए..कह नहीं सकते। ठीक उसी तरह जिस तरह ताश की गड्ढी में मौजूद उसके हर पत्ते की व...

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ट्वेल्थ फेल: विलक्षण उपन्यास By राज बोहरे

समीक्षा- ट्वेल्थ फेल: विलक्षण उपन्यास राजनारायण बोहरे पुस्तक- ट्वेल्थ फेल (उपन्यास) लेखक-अनुराग पाठक प्रकाशक-नियो लिट पब्लिकेशन इन्दौर...

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सोचना तो पड़ेगा ही द्वारा पीयूष गोयल. By Piyush Goel

1.जिंदगी को अगर किसी का सहारा लेकर जिओगे एक दिन हारा हुआ महसूस करोगे. 2.किसी काम की करने की नियत होनी चाहिए टालने से काम नहीं चलने वाला....

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जीवन के बर्णमाला By Kalpana Sahoo

वैसे तो देखी गयी है कि किताब में लिखी हुई बर्णमाला के साथ जिवन का हर भाव जुड़ी हुई होती है । तो इस दौरान हम आपको अपनी जीन्दगी के हर सुख-दुख पलों को याद दिलान...

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ढाक के तीन पात- मलय जैन By राजीव तनेजा

उपन्यास या कहानियों के संदर्भ में अगर हम बात करें तो आमतौर पर कहीं इनमें सामाजिक चेतना डंके की चोट पर सरेआम अपना परचम लहराती दिखाई देती है तो कहीं इनमें प्रेम एवं दुख का कॉकटेलिए म...

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दर्पण छवि पर कुछ रोचक तथ्य. By Piyush Goel

दर्पण छवि पर कुछ रोचक तथ्य. पीयूष गोयल दर्पण छवि के लेखक पीयूष गोयल 16 पुस्तकें दर्पण छवि में लिख चुके हैं,सबसे पहली पुस्तक( ग्रन्थ) "श्री भगवद्गीता"...

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मन अदहन- मधु चतुर्वेदी By राजीव तनेजा

अगर किसी कहानी या उपन्यास को पढ़ते वक्त आपको ऐसा लगने लगे कि..ऐसा तो सच में आपके साथ या आपके किसी जानने वाले के साथ हो चुका है। तो कुदरती तौर पर आप उस कहानी से एक जुड़ाव..एक लगाव.....

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समीक्षा इब्नबतूती By राज बोहरे

समीक्षा इब्नबतूतीइब्ने बतूती उपन्यास दिव्य प्रकाश दुबे का उपन्यास है जो हिंद युग्म ने प्रकाशित किया है। यह उपन्यास लेखक के बहुबिक्रीत उपन्यासों में से एक बताया गया है। दिव्य प्रकाश...

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बनारस टॉकीज-सत्य व्यास By राज बोहरे

बनारस टॉकीज उपन्यास सत्य व्यास का उपन्यास है, जिसके मुख पृष्ठ पर लखप्रति लेखक ; यानी ऐसा लेखक जिसकी कई क़िताबों की एक लाख प्रतियां बिक चुकी हों, और इस पुस्तक पर फिल्म निर्माणाधीन हो...

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नैना- संजीव पालीवाल By राजीव तनेजा

अगर बस चले तो अमूमन हर इनसान अपराध से जितना दूर हो सके, उतना दूर रहना चाहता है बेशक इसके पीछे की वजह को सज़ा का डर कह लें अथवा ग़लत सही की पहचान भरा हमारा विवेक। जो अपनी तरफ से हमें...

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डिसीजन- फ़ैयाज़ हुसैन By राजीव तनेजा

हर बात को सोचने ..समझने का नज़रिया सबका अपना अपना एवं अलग अलग होता है। ये ज़रूरी नहीं कि आप किसी की बात से या कोई आपकी बात से इतेफाक रखता हो। खास तौर पर जब आप अपने मन में किसी बात को...

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अपनी सी रंग दीन्ही रे- सपना सिंह By राजीव तनेजा

देशज भाषा..स्थानीयता और गांव कस्बे के हमारे आसपास दिखते चरित्रों से सुसज्जित स्त्रीविमर्श की कहानियों की अगर बात हो तो इस क्षेत्र में सपना सिंह एक उल्लेखनीय दखल रखती हैं। कई प्रतिष...

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स्वयँ प्रकाश-ईंधन By राज बोहरे

पुस्तक समीक्षा उपन्यास। ईंधन स्वयँ प्रकाश जिनका अपने संचालन में कोई हाथ ना हो जन्म जन्म रहे जाएं अकेले कोई साथ ना हो मुकुट बिहारी सरोज आज की हिंदी कथा साहित्य के सर्वश्रेष्ठ और बेह...

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जो लरे दीन के हेत- सुरेंद्र मोहन पाठक By राजीव तनेजा

अगर आप थिर्लर/रोमांचक उपन्यासों को हिंदी में कभी भी पढ़ा है तो यकीनन आप सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के नाम से बिल्कुल भी अपरिचित नहीं होंगे। अब तक वे 300 रोमांचक/थ्रिलर उपन्यास लिख लुगदी...

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कोई खुशबू उदास करती है-नीलिमा शर्मा By राजीव तनेजा

आमतौर पर मानवीय स्वभाव एवं सम्बन्धों को ले कर बुनी गयी अधिकतर कहानियों को हम कहीं ना कहीं..किसी ना किसी मोड़ पर..खुद से किसी ना किसी बहाने कनैक्ट कर लेते हैं। कभी इस जुड़ाव का श्रेय...

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मेघना- कुसुम गोस्वामी By राजीव तनेजा

मीडिया और मनोरंजन के तमाम जनसुलभ साधनों की सहज उपलब्धता से पहले एक समय ऐसा था जब हमारे यहाँ लुगदी साहित्य की तूती बोलती थी। रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और मोहल्ले की पत्र पत्रिकाओं क...

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डॉमनिक की वापसी - विवेक मिश्र By राजीव तनेजा

आमतौर पर किताबों के बारे में लिखते हुए मुझे कुछ ज़्यादा या खास सोचना..समझना नहीं पड़ता। बस किताब को थोड़ा सा ध्यान से पढ़ने के बाद उसके मूल तत्व को ज़हन में रखते हुए, उसकी खासियतों एवं...

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राजनटनी- गीताश्री By राजीव तनेजा

बचपन से ही आमतौर पर ऐसे किस्से या कहानियाँ हमारे आकर्षण, उत्सुकता एवं जिज्ञासा का सदा से ही केंद्र बनते रहे हैं जिनमें किसी राजा की अद्वितीय प्रेम कहानी अथवा शौर्य गाथा का विशुद्ध...

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जुहू चौपाटी- साधना जैन By राजीव तनेजा

मायानगरी बॉलीवुड और उससे जुड़ी कहानियाँ सदा से ही हमारे चेतन/अवचेतन में आकर्षण का केंद्र रही हैं। फिल्मी सितारों का लक्ज़रियस जीवन, लैविश रहनसहन, लंबी चौड़ी गाड़ियाँ, उनकी मस्ती, नोक झ...

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एकलव्य - पुस्तक समीक्षा By Kumar Ajit

पुस्तक का नाम: एकलव्य लेखक: रामगोपाल भावुक ASIN B077BYR6Y3 कुल पृष्ठ: 88 भाषा: हिंदी श्रेणी: उपन्यास समीक्षक: कुमार अजित लेखक के बारे में: रामगोपाल भावुक ग्वालियर के भवभू...

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लाइफ आजकल- आलोक कुमार By राजीव तनेजा

कहते हैं कि किसी भी चीज़ के होने ना होने का पहले से तय एक मुक़र्रर वक्त होता है। किताबों के संदर्भ में भी यही बात लागू होती है। कुछ किताबों को पढ़ने की इच्छा से आप मँगवा तो लेते हैं म...

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हिंदी कथा साहित्य में पाश्चात्य प्रभाव By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

कथा साहित्य में पाश्चात्य प्रभावभारतीय समाज पश्चिम के संपर्क में यूं तो पहले ही आ गया था पर उसकी जीवन शैली, उसकी विचारधारा, उसकी कला और उसके साहित्य पर पश्चिमी प्रभाव वर्तमान स्थित...

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काली धूप- सुभाष नीरव (अनुवाद) By राजीव तनेजा

जब किसी दुख भरी कहानी को पढ़ कर आप उस दुःख.. उस दर्द..उस वेदना को स्वयं महसूस करने लगें। पढ़ते वक्त चल रहे हालातों को ना बदल पाने की अपनी बेबसी पर कुंठित हो..कभी आप तिलमिला उठें छटप...

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साँझी छत- छाया सिंह By राजीव तनेजा

आमतौर पर किसी का शुरुआती लेखन अगर पढ़ने को मिले तो उसमें से उसकी अनगढ़ता या सोंधी महक लिए कच्चापन स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। मगर सुखद आश्चर्य के रूप में कई बार किसी का शुरुआती...

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यह सड़क मेरे गांव को नही जाती By डॉ0 व्योमेश चित्रवंश, एडवोकेट

यह सड़क मेरे गांव को नही जाती : बदलते ग्रामीण परिवेश पर व्योमेश चित्रवंश की एक बेहतरीन किताब एक लंबे अंतराल के बाद एक किताब पढ़ने को मिली जिसने गांव की यात्रा करवाई,जिसका...

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ठरकी- मुकेश गाते By राजीव तनेजा

ज़्यादातर कहानियों के प्लॉट..किस्से या किरदार हमारे ही आसपास के माहौल में..हमारे ही इर्दगिर्द जाने कब से बिखरे पड़े होते हैं मगर हमें उनका पता तक नहीं चलता। उन्हें तब तक अहमियत नहीं...

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3020 ई.- राकेश शंकर भारती By राजीव तनेजा

खगोल विज्ञान शुरू से ही हमारी उत्सुकता, जिज्ञासा, दिलचस्पी एवं उत्कंठा का विषय रहा है। बचपन में खुले आसमान में चाँद तारों को देख उन दिनों हम कई तरह की कल्पनाओं में खो जाया करते थे।...

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राजनारायण बोहरे - आलोचना की अदालत By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

राजनारायण बोहरे की कहानियां यानी हमारी आत्म कथाएं केबीएल पांडे विगत दशकों में कहानी ने जितने रूप गढे हैं वे रचना शीलता का आह्लाद उत्पन्न करते हैं पर इसके साथ ही पाठ की प्रतिक्रिया...

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अवध बिहारी पाठक-समीक्षा-आलोचना एक और पाठ By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

आलोचना की जड़ता को तोड़ता विमर्श -अवध बिहारी पाठक प्रसिद्ध आलोचक शंभुनाथ ने एक जगह कहा है कि "आलोचना का पहला काम पीछे लौटती सभ्यताओं के छली बिम्बों पर प्रति आक्रमण तेज करते हुए उस...

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कविता की ओर कुछ कदम-रमाशंकर राय By ramgopal bhavuk

कविता की ओर कुछ कदम के आइने में रमाशंकर राय जी का व्यक्तित्व रामगोपाल भावुक...

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भवभूति का साक्षात्कार -प्रभुदयाल मिश्र By ramgopal bhavuk

पुस्तक – महाकवि भवभूति’ लेखक- रामगोपाल भावुक प्रकाशक- कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन मूल्य – रुपये – 250/ भवभूति का साक्षात्कार -प्रभुदयाल मिश्र रत्नावली,...

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कहानियों में कथ्य और कलात्मक संतुलन By ramgopal bhavuk

कहानियों में कथ्य और कलात्मक संतुलन प्रश्नोत्तर- महावीर अग्रवाल कीं रामगोपाल भावुक से वार्ता- 1 महावीर अग्रवाल- अब तक छपी कहानियों में कौन सी कहानी आपको अधिक प्रिय है और क्...

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मेरी लघुकथाएँ- उमेश मोहन धवन By राजीव तनेजा

यूँ तो परिचय के नाम पर उमेश मोहन धवन जी से मेरा बस इतना परिचय है कि हम दोनों कई सालों से फेसबुक पर एक दूसरे की चुहलबाज़ीयों का मज़ा लेते रहे हैं। व्यंग्य मिश्रित हास्य की अच्छी समझ र...

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पंचमहल के साहित्यकारों का रचना संसार By ramgopal bhavuk

पंचमहल के साहित्यकारों का रचना संसार रामगोपाल भावुक...

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बुन्देलखण्ड के लोकाख्यानों के सामाजिक अभिप्राय By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

बुन्देलखण्ड के लोकाख्यानों के सामाजिक अभिप्राय -के.बी.एल. पाण्डेय संस्कृति जीवन के परिष्कार के उद्देश्य से मानवीय रचनाशीलता की वह निष्पत्ति है जिसमें जीवन के व्यापक आयतन में निर्मि...

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राजा मीरेन्द्र सिंह जू देव‘ प्रेमानन्द’ By ramgopal bhavuk

राजा मीरेन्द्र सिंह जू देव‘ प्रेमानन्द’ चर्चित कवि के साथ कथाकार रामगोपाल भावुक राजा मीरेन्द्रसिंह जू देव ‘प्रेमानन्द’- वे इस क्षेत्र की मगरौरा गढ़...

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रामधारीसिंह 'दिनकर' की सांस्कृतिक चेतना By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

संस्कृति के चार अध्यायः रामधारीसिंह 'दिनकर' की सांस्कृतिक चेतना डॉ. के0वी०एल० पाण्डेय ओज, राष्ट्रीयता और निर्भीक वैचारिकता के कवि दिनकर अपनी कविता में भावपरकरता के आधार पर जिस सांस...

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राधारमण वैद्य-भारतीय संस्कृति और बुन्देलखण्ड - 6 By राजनारायण बोहरे

‘‘ बुन्देलखण्ड की प्राचीन मूर्ति व वास्तु कला ’’ भारत के केन्द्रीय प्रदेश बुन्देलखण्ड की ‘‘कीरत के विरवा’’ की जडं़ अति प्राचीन है। भौगोलिक दृष्टि से इस क्षेत्र का अध...

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ये आम रास्ता नहीं- रजनी गुप्त By राजीव तनेजा

आम रोज़मर्रा के जीवन से ले कर कला तक के हर क्षेत्र में हम सभी अपने मन में उमड़ते घुमड़ते विचारों को बाहर लाने के लिए अपनी रुचि एवं स्वभाव के हिसाब से कोई ना कोई तरीका अपनाते है। भले...

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पवन करण - कोट के बाजू में बटन By राज बोहरे

पवन करण-कोट के बाजू में बटन स्त्री मेरे भीतर संग्रह से ख्याति प्राप्त हुए कवि पवन करण के कविता संग्रह "कोट के बाजू में बटन "(राधाकृष्ण प्रकाशन) में कुल 39 कविताएं सम्मिलित हैं !इस...

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अमेय कान्त - समुद्र से लौटेंगे रेत के घर By राज बोहरे

अमेय कान्त का कविता संग्रह अमेय कान्त उस पीढ़ी के कवि हैं जो पूरे आत्मविश्वास, शिल्प की साधना और सुदीर्घ अध्ययन के बाद कविता संसार में दाखिल हो रहे हैं। विभिन्न पत्रिकाओं में अपनी...

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श्यामसुंदर तिवारी - मैं किन सपनों की बात करूं By राज बोहरे

श्यामसुंदर तिवारी एक तपे हुए गीतकार हैं , जिनके पास नवल बिंब ,नवल कथ्य और नवल भाषा है। श्याम तिवारी जी का नवगीत संग्रह "मैं किन सपनों की बात करूं " पिछले दिनों शिवना प्रकाशन से छप...

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निठल्लें - रेखा सक्सेना वासुदेव By राज बोहरे

निठल्लें प्रयोगवादी नाटक रेखा सक्सेना वासुदेव नया रचने की मशक्कतः निठल्लें समीक्षक- राजनारायण बोहरे ”निठल्ले” एक प्रयोगवादी नाटक हैं, जो रेखा सक्सेना वासुदेव ने वर्तमान युग की...

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स्वतन्त्र सक्सैना के विचार - 3   By बेदराम प्रजापति "मनमस्त"

साहित्‍य की जनवादी धारा डॉ0 स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना साहित्‍य के पाठक एवं रचना...

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ताश के पत्ते- सोहेल रज़ा By राजीव तनेजा

कहते हैं कि हर इंसान की कोई ना कोई..बेशक कम या ज़्यादा मगर कीमत होती ही है।कौन..कब..किसके..किस काम आ जाए..कह नहीं सकते। ठीक उसी तरह जिस तरह ताश की गड्ढी में मौजूद उसके हर पत्ते की व...

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ट्वेल्थ फेल: विलक्षण उपन्यास By राज बोहरे

समीक्षा- ट्वेल्थ फेल: विलक्षण उपन्यास राजनारायण बोहरे पुस्तक- ट्वेल्थ फेल (उपन्यास) लेखक-अनुराग पाठक प्रकाशक-नियो लिट पब्लिकेशन इन्दौर...

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सोचना तो पड़ेगा ही द्वारा पीयूष गोयल. By Piyush Goel

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जीवन के बर्णमाला By Kalpana Sahoo

वैसे तो देखी गयी है कि किताब में लिखी हुई बर्णमाला के साथ जिवन का हर भाव जुड़ी हुई होती है । तो इस दौरान हम आपको अपनी जीन्दगी के हर सुख-दुख पलों को याद दिलान...

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ढाक के तीन पात- मलय जैन By राजीव तनेजा

उपन्यास या कहानियों के संदर्भ में अगर हम बात करें तो आमतौर पर कहीं इनमें सामाजिक चेतना डंके की चोट पर सरेआम अपना परचम लहराती दिखाई देती है तो कहीं इनमें प्रेम एवं दुख का कॉकटेलिए म...

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दर्पण छवि पर कुछ रोचक तथ्य. By Piyush Goel

दर्पण छवि पर कुछ रोचक तथ्य. पीयूष गोयल दर्पण छवि के लेखक पीयूष गोयल 16 पुस्तकें दर्पण छवि में लिख चुके हैं,सबसे पहली पुस्तक( ग्रन्थ) "श्री भगवद्गीता"...

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मन अदहन- मधु चतुर्वेदी By राजीव तनेजा

अगर किसी कहानी या उपन्यास को पढ़ते वक्त आपको ऐसा लगने लगे कि..ऐसा तो सच में आपके साथ या आपके किसी जानने वाले के साथ हो चुका है। तो कुदरती तौर पर आप उस कहानी से एक जुड़ाव..एक लगाव.....

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समीक्षा इब्नबतूती By राज बोहरे

समीक्षा इब्नबतूतीइब्ने बतूती उपन्यास दिव्य प्रकाश दुबे का उपन्यास है जो हिंद युग्म ने प्रकाशित किया है। यह उपन्यास लेखक के बहुबिक्रीत उपन्यासों में से एक बताया गया है। दिव्य प्रकाश...

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बनारस टॉकीज-सत्य व्यास By राज बोहरे

बनारस टॉकीज उपन्यास सत्य व्यास का उपन्यास है, जिसके मुख पृष्ठ पर लखप्रति लेखक ; यानी ऐसा लेखक जिसकी कई क़िताबों की एक लाख प्रतियां बिक चुकी हों, और इस पुस्तक पर फिल्म निर्माणाधीन हो...

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नैना- संजीव पालीवाल By राजीव तनेजा

अगर बस चले तो अमूमन हर इनसान अपराध से जितना दूर हो सके, उतना दूर रहना चाहता है बेशक इसके पीछे की वजह को सज़ा का डर कह लें अथवा ग़लत सही की पहचान भरा हमारा विवेक। जो अपनी तरफ से हमें...

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डिसीजन- फ़ैयाज़ हुसैन By राजीव तनेजा

हर बात को सोचने ..समझने का नज़रिया सबका अपना अपना एवं अलग अलग होता है। ये ज़रूरी नहीं कि आप किसी की बात से या कोई आपकी बात से इतेफाक रखता हो। खास तौर पर जब आप अपने मन में किसी बात को...

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अपनी सी रंग दीन्ही रे- सपना सिंह By राजीव तनेजा

देशज भाषा..स्थानीयता और गांव कस्बे के हमारे आसपास दिखते चरित्रों से सुसज्जित स्त्रीविमर्श की कहानियों की अगर बात हो तो इस क्षेत्र में सपना सिंह एक उल्लेखनीय दखल रखती हैं। कई प्रतिष...

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स्वयँ प्रकाश-ईंधन By राज बोहरे

पुस्तक समीक्षा उपन्यास। ईंधन स्वयँ प्रकाश जिनका अपने संचालन में कोई हाथ ना हो जन्म जन्म रहे जाएं अकेले कोई साथ ना हो मुकुट बिहारी सरोज आज की हिंदी कथा साहित्य के सर्वश्रेष्ठ और बेह...

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जो लरे दीन के हेत- सुरेंद्र मोहन पाठक By राजीव तनेजा

अगर आप थिर्लर/रोमांचक उपन्यासों को हिंदी में कभी भी पढ़ा है तो यकीनन आप सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के नाम से बिल्कुल भी अपरिचित नहीं होंगे। अब तक वे 300 रोमांचक/थ्रिलर उपन्यास लिख लुगदी...

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कोई खुशबू उदास करती है-नीलिमा शर्मा By राजीव तनेजा

आमतौर पर मानवीय स्वभाव एवं सम्बन्धों को ले कर बुनी गयी अधिकतर कहानियों को हम कहीं ना कहीं..किसी ना किसी मोड़ पर..खुद से किसी ना किसी बहाने कनैक्ट कर लेते हैं। कभी इस जुड़ाव का श्रेय...

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मेघना- कुसुम गोस्वामी By राजीव तनेजा

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डॉमनिक की वापसी - विवेक मिश्र By राजीव तनेजा

आमतौर पर किताबों के बारे में लिखते हुए मुझे कुछ ज़्यादा या खास सोचना..समझना नहीं पड़ता। बस किताब को थोड़ा सा ध्यान से पढ़ने के बाद उसके मूल तत्व को ज़हन में रखते हुए, उसकी खासियतों एवं...

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राजनटनी- गीताश्री By राजीव तनेजा

बचपन से ही आमतौर पर ऐसे किस्से या कहानियाँ हमारे आकर्षण, उत्सुकता एवं जिज्ञासा का सदा से ही केंद्र बनते रहे हैं जिनमें किसी राजा की अद्वितीय प्रेम कहानी अथवा शौर्य गाथा का विशुद्ध...

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जुहू चौपाटी- साधना जैन By राजीव तनेजा

मायानगरी बॉलीवुड और उससे जुड़ी कहानियाँ सदा से ही हमारे चेतन/अवचेतन में आकर्षण का केंद्र रही हैं। फिल्मी सितारों का लक्ज़रियस जीवन, लैविश रहनसहन, लंबी चौड़ी गाड़ियाँ, उनकी मस्ती, नोक झ...

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एकलव्य - पुस्तक समीक्षा By Kumar Ajit

पुस्तक का नाम: एकलव्य लेखक: रामगोपाल भावुक ASIN B077BYR6Y3 कुल पृष्ठ: 88 भाषा: हिंदी श्रेणी: उपन्यास समीक्षक: कुमार अजित लेखक के बारे में: रामगोपाल भावुक ग्वालियर के भवभू...

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लाइफ आजकल- आलोक कुमार By राजीव तनेजा

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हिंदी कथा साहित्य में पाश्चात्य प्रभाव By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

कथा साहित्य में पाश्चात्य प्रभावभारतीय समाज पश्चिम के संपर्क में यूं तो पहले ही आ गया था पर उसकी जीवन शैली, उसकी विचारधारा, उसकी कला और उसके साहित्य पर पश्चिमी प्रभाव वर्तमान स्थित...

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काली धूप- सुभाष नीरव (अनुवाद) By राजीव तनेजा

जब किसी दुख भरी कहानी को पढ़ कर आप उस दुःख.. उस दर्द..उस वेदना को स्वयं महसूस करने लगें। पढ़ते वक्त चल रहे हालातों को ना बदल पाने की अपनी बेबसी पर कुंठित हो..कभी आप तिलमिला उठें छटप...

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साँझी छत- छाया सिंह By राजीव तनेजा

आमतौर पर किसी का शुरुआती लेखन अगर पढ़ने को मिले तो उसमें से उसकी अनगढ़ता या सोंधी महक लिए कच्चापन स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। मगर सुखद आश्चर्य के रूप में कई बार किसी का शुरुआती...

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यह सड़क मेरे गांव को नही जाती By डॉ0 व्योमेश चित्रवंश, एडवोकेट

यह सड़क मेरे गांव को नही जाती : बदलते ग्रामीण परिवेश पर व्योमेश चित्रवंश की एक बेहतरीन किताब एक लंबे अंतराल के बाद एक किताब पढ़ने को मिली जिसने गांव की यात्रा करवाई,जिसका...

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ठरकी- मुकेश गाते By राजीव तनेजा

ज़्यादातर कहानियों के प्लॉट..किस्से या किरदार हमारे ही आसपास के माहौल में..हमारे ही इर्दगिर्द जाने कब से बिखरे पड़े होते हैं मगर हमें उनका पता तक नहीं चलता। उन्हें तब तक अहमियत नहीं...

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3020 ई.- राकेश शंकर भारती By राजीव तनेजा

खगोल विज्ञान शुरू से ही हमारी उत्सुकता, जिज्ञासा, दिलचस्पी एवं उत्कंठा का विषय रहा है। बचपन में खुले आसमान में चाँद तारों को देख उन दिनों हम कई तरह की कल्पनाओं में खो जाया करते थे।...

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राजनारायण बोहरे - आलोचना की अदालत By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

राजनारायण बोहरे की कहानियां यानी हमारी आत्म कथाएं केबीएल पांडे विगत दशकों में कहानी ने जितने रूप गढे हैं वे रचना शीलता का आह्लाद उत्पन्न करते हैं पर इसके साथ ही पाठ की प्रतिक्रिया...

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अवध बिहारी पाठक-समीक्षा-आलोचना एक और पाठ By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

आलोचना की जड़ता को तोड़ता विमर्श -अवध बिहारी पाठक प्रसिद्ध आलोचक शंभुनाथ ने एक जगह कहा है कि "आलोचना का पहला काम पीछे लौटती सभ्यताओं के छली बिम्बों पर प्रति आक्रमण तेज करते हुए उस...

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कविता की ओर कुछ कदम-रमाशंकर राय By ramgopal bhavuk

कविता की ओर कुछ कदम के आइने में रमाशंकर राय जी का व्यक्तित्व रामगोपाल भावुक...

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भवभूति का साक्षात्कार -प्रभुदयाल मिश्र By ramgopal bhavuk

पुस्तक – महाकवि भवभूति’ लेखक- रामगोपाल भावुक प्रकाशक- कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन मूल्य – रुपये – 250/ भवभूति का साक्षात्कार -प्रभुदयाल मिश्र रत्नावली,...

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कहानियों में कथ्य और कलात्मक संतुलन By ramgopal bhavuk

कहानियों में कथ्य और कलात्मक संतुलन प्रश्नोत्तर- महावीर अग्रवाल कीं रामगोपाल भावुक से वार्ता- 1 महावीर अग्रवाल- अब तक छपी कहानियों में कौन सी कहानी आपको अधिक प्रिय है और क्...

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मेरी लघुकथाएँ- उमेश मोहन धवन By राजीव तनेजा

यूँ तो परिचय के नाम पर उमेश मोहन धवन जी से मेरा बस इतना परिचय है कि हम दोनों कई सालों से फेसबुक पर एक दूसरे की चुहलबाज़ीयों का मज़ा लेते रहे हैं। व्यंग्य मिश्रित हास्य की अच्छी समझ र...

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पंचमहल के साहित्यकारों का रचना संसार By ramgopal bhavuk

पंचमहल के साहित्यकारों का रचना संसार रामगोपाल भावुक...

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बुन्देलखण्ड के लोकाख्यानों के सामाजिक अभिप्राय By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

बुन्देलखण्ड के लोकाख्यानों के सामाजिक अभिप्राय -के.बी.एल. पाण्डेय संस्कृति जीवन के परिष्कार के उद्देश्य से मानवीय रचनाशीलता की वह निष्पत्ति है जिसमें जीवन के व्यापक आयतन में निर्मि...

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राजा मीरेन्द्र सिंह जू देव‘ प्रेमानन्द’ By ramgopal bhavuk

राजा मीरेन्द्र सिंह जू देव‘ प्रेमानन्द’ चर्चित कवि के साथ कथाकार रामगोपाल भावुक राजा मीरेन्द्रसिंह जू देव ‘प्रेमानन्द’- वे इस क्षेत्र की मगरौरा गढ़...

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रामधारीसिंह 'दिनकर' की सांस्कृतिक चेतना By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

संस्कृति के चार अध्यायः रामधारीसिंह 'दिनकर' की सांस्कृतिक चेतना डॉ. के0वी०एल० पाण्डेय ओज, राष्ट्रीयता और निर्भीक वैचारिकता के कवि दिनकर अपनी कविता में भावपरकरता के आधार पर जिस सांस...

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