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बदलते रिश्ते By Kishanlal Sharma

बेटी को पराया धन माना जाता है।इसलिए बेटी के जवान होते ही माँ बाप को उसकी शादी की चिंता सताने लगती है।बेटी के हाथ पीले करने से पहले ही पिता इस दुनिया से चला जाये,तो माँ की चिंता और...

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उसने आत्महत्या क्यो की By Kishanlal Sharma

"क्या बात है रमेश?काफी परेशान लग रहे हो।"रमेश के चेहरे पर नज़र पड़ते ही महेश बोला था।"कुछ नही"राााेे रमेश के गले से मरी सी आवाज निकली थी।वह महेेेश के पास नही रुका औ...

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लौट जाओ शैली... By Dr Vinita Rahurikar

"पूनम राज को फोन करके बता दो कमर्शियल होम जिम का केबल टूट गया है और कोने वाली ट्रेडमिल T- 1500 की मोटर जल गई है और राज आए तो क्रॉस ट्रेनर के. एच.- 2007 के नट बोल्ट कसने को बोल...

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एक दुनिया अजनबी By Pranava Bharti

ऊपर आसमान के कुछ ऐसे छितरे टुकड़े और नीचे कहीं, सपाट, कहीं गड्ढे और कहीं टीलों वाली ज़मीन | गुमसुम होते गलियारे और उनमें खो जाने को आकुल-व्याकुल मन ! पता ही तो नहीं चलता किधर जाएँ ?...

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यादों के झरोखों से-निश्छल प्रेम By Asha Saraswat

छोटे-छोटे बल्बों की झालरों से घर और दरवाज़े झिलमिला रहे थे ।जैसे हर नन्हा बल्ब दुल्हन की ख़ुशी का इज़हार कर रहा हो।मैं उन्हें निहारकर उनमें अपनी मॉं के हंसते मुस्कुराते चेहरे को मह...

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जहाँ ईश्वर नहीं था By Gopal Mathur

गोपाल माथुर 1 आँख कुछ देर से खुली. बाहर सुबह जैसा कुछ भी नहीं लगा, हालांकि सूरज निकल चुका था, पर वह घने बादलों के पीछे कैद था. बारिश बादलों में लौट गईं थीं और हवाएँ भी थक कर पेड़ों...

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भारत के गावों में स्वतंत्रा संग्राम By Brijmohan sharma

यह लघु उपन्यास ग्रामीण भारत में स्वतंत्रता व गांधीजी के आन्दोलन के प्रति अलख जगाने की लोमहर्षक अनकही दस्तान है I

२ स्वतत्रता सेनानी द्वारा हरिजन उत्थान का प्रयास करने पर जाति वा...

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अनमोल सौगात By Ratna Raidani

"मम्मी मम्मी!" पवित्रा ने घर में घुसते हुए उत्साह से आवाज़ लगायी। किन्तु उसे घर का वातावरण कुछ बोझिल सा महसूस हुआ। मुकेश हमेशा की तरह टी.वी. पर घटिया और साजिशों से भरे पारिव...

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मेरा पति तेरा पति By Jitendra Shivhare

आधी रात में दरवाजे की बैल बज उठी।

स्वाति ने कमलेश को जगाया।

"सुनो! उठो! देखो बाहर कोई आया है।"

"इतनी रात में कौन आया होगा।" कमलेश ने उंगलियों से आंख मलते ह...

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एक यात्रा समानान्तर By Gopal Mathur

वह घिसटने लगती है. सारा थकान हमेशा पाँवों में ही क्यों उतर आती है ? कन्धे पर लटका छोटा सा बैग भी बोझ लगने लगता है. थकान.... टूटन...... भीतर ही भीतर कुछ घुटने लगता है.

वह व्यर्थ...

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बदलते रिश्ते By Kishanlal Sharma

बेटी को पराया धन माना जाता है।इसलिए बेटी के जवान होते ही माँ बाप को उसकी शादी की चिंता सताने लगती है।बेटी के हाथ पीले करने से पहले ही पिता इस दुनिया से चला जाये,तो माँ की चिंता और...

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उसने आत्महत्या क्यो की By Kishanlal Sharma

"क्या बात है रमेश?काफी परेशान लग रहे हो।"रमेश के चेहरे पर नज़र पड़ते ही महेश बोला था।"कुछ नही"राााेे रमेश के गले से मरी सी आवाज निकली थी।वह महेेेश के पास नही रुका औ...

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लौट जाओ शैली... By Dr Vinita Rahurikar

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एक दुनिया अजनबी By Pranava Bharti

ऊपर आसमान के कुछ ऐसे छितरे टुकड़े और नीचे कहीं, सपाट, कहीं गड्ढे और कहीं टीलों वाली ज़मीन | गुमसुम होते गलियारे और उनमें खो जाने को आकुल-व्याकुल मन ! पता ही तो नहीं चलता किधर जाएँ ?...

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गोपाल माथुर 1 आँख कुछ देर से खुली. बाहर सुबह जैसा कुछ भी नहीं लगा, हालांकि सूरज निकल चुका था, पर वह घने बादलों के पीछे कैद था. बारिश बादलों में लौट गईं थीं और हवाएँ भी थक कर पेड़ों...

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यह लघु उपन्यास ग्रामीण भारत में स्वतंत्रता व गांधीजी के आन्दोलन के प्रति अलख जगाने की लोमहर्षक अनकही दस्तान है I

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मेरा पति तेरा पति By Jitendra Shivhare

आधी रात में दरवाजे की बैल बज उठी।

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एक यात्रा समानान्तर By Gopal Mathur

वह घिसटने लगती है. सारा थकान हमेशा पाँवों में ही क्यों उतर आती है ? कन्धे पर लटका छोटा सा बैग भी बोझ लगने लगता है. थकान.... टूटन...... भीतर ही भीतर कुछ घुटने लगता है.

वह व्यर्थ...

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