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(निशा और बेटी आद्या नागलोक से लौटती हैं, जहां आद्या का हथेली पर नागचिह्न उसे “ना...
भूल-12 किन परिस्थितियों ने भारतीय स्वतंत्रता का रास्ता वास्तव में साफ किया? अकसर...
️ प्यारा सा रिश्ता ️शहर की भीड़-भाड़ से दूर, पहाड़ियों के बीच बसा एक छोटा-सा कस्...
अब तकमाही रानी से कहती है कि मेरे बॉस की तबीयत खराब है जिस कारण मुझे ही सारा क...
वो रोते-रोते:"अच्छा हुआ तुम आ गए... वरना..."फिर थोड़ी ही देर में रोते-रोते चिल्ल...
भाग :7 रचना: बाबुल हक़ अंसारी "एक ख़त, ज...
कभी यादों में आओ ️ ( मुक्ति ) अब तक आपने पढ़ा अनामिका को हॉस्पिटल ले जाया जाता ह...
रीकैपपिछले चैप्टर में हम यह पढ़ते हैं कि सांची पेंटिंग क्लासेस जाने की जिद करती...
माफ़िया की नज़र में – Part 7: "टूटते वादे, बिखरते सच""कुछ वादे निभाने के लिए बनत...
भाग 6: "जब प्यार और जंग टकराएँ"(जहाँ पुराना दोस्त कल का दुश्मन भी हो सकता है… और...
कितनी भी योजनाएं बना लो, किस्मत से ज्यादा और वक्त से पहले किसी को कुछ नहीं मिलता।' दीवा ने नई सोसाइटी के वेटिंग एरिया में यह लाइन पढ़ी तो वह मन ही मन गाली देते हुए आगे बढ़ गई।...
यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और सिर्फ़ मनोरंजन के उद्देश्य से बनाई गई है। कहानी में दर्शाए गए पात्र , संस्थाएं और घटनाएं काल्पनिक है। इनका उपयोग दृश्यों, पात्रों और घटनाओं को न...
"तुमने कमल के पत्तों पर गिरी ओस देखी है कभी? अच्छी लगती है कितनी। है न?" नीलाभ ने पूछा। "नहीं, कभी देखी नहीं, क्योंकि वह गिरती भी है तो तुरंत फिसल जाती है। कमल के पत...
1.परिंदों के जो पऱ आये तो निकल पड़े जिंदगी का एहतराम करने को। उन्हें क्या मालूम था शिकारी घात लगा के बैठे हैं कत्ले आम करने को।।2माँ ज़िन्दगी का हर हिस्सा है, माँ से सुरू इस सृष्टि क...
एक भव्य राजमहल में उत्सव मनाया जा रहा था क्योंकि उस महल की रानी की गोद भरायी थी आज। रानी का आठवाँ महीना चल रहा था, एक ब्राह्मण देव आकार रानी से कहते हैं, "___रानी सा जहाँ त...
सुबह सुबह का समय है ,Mr. दीक्षित सिंह न्यूज पेपर पढ रहे है और साथ में चाय की चुस्की ले रहे है । तभी वो अपनी वाइफ तनु को आवाज लगाते है और कहते हैं - ये हमारी राजकुमारी अभी तक उठी क्...
पागल,, हां सही नाम से पुकारा करता था वो मुझे। (हंसते हुए) पागल ही तो हूं मैं उसके लिए , उसके पीछे , उसके प्यार में।" रात के 1 बज चुके थे । आंखों से नींद कोसों दूर । आज उसे प...
ये कहानी है बस दो जोड़ी जूतों जैसी जिसमे सिर्फ प्यार भी मिलता ही हैं और जब खत्म भी होता है तो सिर्फ घिस घिस के , ये वो जूते है जो साथ में एक रिश्ते की नीव रखते है , जो कदम ताल को...
डिस्क्लेमर : यह मेरी रचना पूर्ण रूप से काल्पनिक है । इसमें सभी किरदार भी काल्पनिक है । इसका सम्बन्ध किसी व्यक्ति , स्थान , जाती , धर्म से संबंधित नहीं है अगर आपको लगता है की संबंध...
कहानी शुरु होती हैं---------------- एक लड़की गुस्से में अपने सामने खड़े एक लड़के को देखी हुई जोर से चीखीं . उसकी आवाज सुनकर उस लड़के के माता-पिता भी उस कमरे में आ गए थे , जिस कम...
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