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    जैसे ही देव घर में आता है सामने ही मायादेवी दिख जाती है। देखते ही बोला देव- नमस्...

  • खून का टीका - भाग 10

    पार्ट 10रात गहरी हो चुकी थी। हवाओं में अजीब सी सर्दी थी, जबकि मौसम में ठंड का ना...

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  • कर्म कभी निष्फल नहीं होता

    --- कर्म – ऊर्जा का धर्म — 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓣 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓷𝓲> "कर्म कभी निष्फल नहीं होता —वह या तो व...

  • इतिहास से छेड़छाड़.. - 3

     इतिहास के साथ ‘रचनात्मक’ होना (विकृत करना) जबरदस्ती से की गई नेहरूवादी-मार्क्सव...

  • The Risky Love - 2

    ज़ब मैं इस दुनिया से चली जाउंगी.....अब आगे...........विवेक खुद से ही कहता है........

  • मृत आत्मा की पुकार - 6

    Ch 6 : बंटा हुआ रास्ता  सीढ़ियाँ अब भी नीचे की ओर जा रही थीं, और हर कदम के साथ अ...

  • छाया भ्रम या जाल - भाग 7

    भाग 7बेसमेंट से लौटने के बाद, सबकी मानसिक स्थिति और भी बिगड़ गई थी. उस अँधेरे, घ...

  • महाशक्ति - 50 - फिनाले

    महाशक्ति – एपिसोड 50 (फिनाले)"पुनर्जन्म और नई महाशक्ति की जागृति"---️ प्रस्तावना...

इतिहास से छेड़छाड़. By Mini Kumari

निषेधमात्रवाद क्या है?
“निषेधमात्रवाद का मतलब है—मानवता के खिलाफ ऐतिहासिक अपराधों को नकारना। यह ज्ञात तथ्यों की पुनर्व्याख्या नहीं है, बल्कि ज्ञात तथ्यों को पूरी तरह से नकारना है।...

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हनुमान शतक- समीक्षा एवं पद्य By Ram Bharose Mishra

हनुमान शतक सवैया कविता और दोहों में रचा गया 100 छंदों का ग्रंथ है। जो महा कवि करुणेश "द्वारका" द्वारा सम्वत 2012 के वैशाख माह की तृतीया तिथि रविवार को रचे गए छंदों का संकलन...

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हनुमत पचासा - परिचय व समीक्षा By Ram Bharose Mishra

'हनुमत पचासा' मान कवि कृत 50 कवित्त का संग्रह है। जो लगभग 256 वर्ष ( 256 वर्ष इसलिए क्योकि यह संस्करण अप्रैल 71 में छपा था तब उन्होंने उसे 200 वर्ष पूर्व कहा था तो 71 से...

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हरिसिंह हरीश की कुछ और रचनाएं व समीक्षा By राज बोहरे

दर्द की सीढ़ियां (ग़ज़ल संग्रह)

हरि सिंह हरीश अपनी युवावस्था के समय से ही लिखने के प्रति बड़े समर्पित रहे हैं। वह कहते थे कि जब वह छठवें क्लास में पढ़ रहे थे तो होमवर्क की कॉपिय...

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हरिसिंह हरीश की कविताएं व समीक्षा By राज बोहरे

मेरा खत न मिलने पर 1

हरिसिंह 'हरीश' :

परिचय

: 1 अगस्त, 1935 (दतिया म.प्र.)

शिक्षा

: एम.ए. (हिन्दी) तक ग्वालियर जीवाजी विश्वविद्यालय से ।

मानद

: विद्या...

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पुस्तक समीक्षा By Yashvant Kothari

पागल खाना पर पाठकीय प्रतिक्रिया याने समय का एक नपुंसक विद्रोह यशवंत कोठारी राजकमल ने ज्ञान चतुर्वेदी का पागलखाना छापा है.२७१ पन्नों का ५९५रु. का उपन्या...

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पुस्तक महोत्सव (हिंदी) By Mahendra Sharma

दिव्य प्रकाश दुबे के काफे में मज़ेदार चाय के साथ पराठे वाली फीलिंग कराने वाली कहानी है। क्या हम कभी मिले हैं? हाँ शायद कहाँ? किसी किताब में जो अभी लिखी ही नहीं गई... ऐसी बहुत सारी म...

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गुमशुदा क्रेडिट कार्ड्स - ये कहानियां मेरी नज़र में By Neelam Kulshreshtha

नारी आंदोलन, स्त्री समानता, नारी विमर्श, स्त्री के अधिकार, इन सबकी विभिन्न कलाओं से अभिव्यक्ति, अपना व्यवसाय के अलावा होता है' स्त्रियों की अपने घर परिवार में उनकी अहम भूमिका&#...

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गुजरात में सबसे सफ़ल नारी अदालत : By Neelam Kulshreshtha

जैसे चाँद, सूरज, ज़मीन, और समुद्र एक बड़ा सच है ऐसे ही स्त्री प्रताड़ना भी एक बड़ा सच है., कुछ अपवादों को छोड़कर. सन ११९९ में मैं डभोई तलुका की महिला सामाख्या की नारी अदालत से चमत्क...

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वह जो नहीं कहा By Sneh Goswami

बहुत कुछ कहता 'वह जो नहीं कहा' (लघुकथा संग्रह : स्नेह गोस्वामी )==================000 ॥ पूर्वकथन...

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