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    शहर की भीड़-भाड़ से दूर, एक छोटा-सा कस्बा था—राजपुर। वहाँ लोगसाधारण जीवन जीते थे...

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    62 तेज़   अनुज और यश  उस आदमी  को अपने साथ लेकर जा रहें हैं, जिस  आदमी  ने होटल म...

  • इतिहास के पन्नों से - 1

                                                                   इतिहास के पन्नों...

  • दिल से दिल तक

     **अर्जुन**: 28 साल का फोटोग्राफर, दिल से सच्चा, लेकिन ज़िंदगी की उलझनों में खोय...

  • खोमोश थी मै

    खोमोश थी मै  जब ये एहसास हुआ था पहली बार डर सी गई थी मे जब खुद से भाग रही थी मे।...

  • प्रेम के दो अध्याय - भाग 1

    प्रेम के दो अध्याय  अध्याय- 1| भाग 1           जब मैंने आँखें बंद की तब उस स्वर्...

  • टाम ज़िंदा हैं - 2

    टाम ज़िंदा है -------(2) धारावाहिक।मृत्युलोक मे ज़ब भी अच्छा करने की किसी ने भी को...

  • कवि कंगाल कलम धनवान

    एक भूखे पेट की अमर वाणी, एक अनदेखे कवि की अमूल्य कहानी यह कविता उस भाव की पुकार...

  • एक औरत की ख़ामोश उड़ान - 1

    अध्याय 1: तन्हाईयों की छाँव मेंकुछ कहानियाँ ज़ोर से नहीं बोली जातीं, बस चुपचाप ज...

कैदी By Singh Pams

जेल के रोशनदान से आती सुबह की पहली किरण की छुयन मूक
हो जाया करती थी वो अपनी जिन यादों को दवा कर रखा था वे यादे इस समय जिवंत हो जाया करती थी
पहली बार जब सानवी ने सुना कि उसे जेल ह...

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विविधा By Yashvant Kothari

बात होली की हो और कविता, शेरो-शायरी की चर्चा न हो, यह कैसे संभव हैं ? होली का अपना अंदाज है, और कवियों ने उसे अपने रंग में ढाला है। जाने माने शायर नजीर अकबराबादी कहते हैं:

जब...

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39 Days By Kishanlal Sharma

कैसे भूल सकता हूँ ,उन दिनों को भूलना चाहूं, तो भी नही।ऐसे दिन भगवान किसी भी बाप को न दिखाए।
और माफ भी नही कर सकता उन लोगों को जो आदमी को कर्ज के जाल में फसाते है।सुना है कि हमारे...

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माता-पिता-बच्चो का व्यवहार By Disha Jain

किस जन्म में बच्चे नहीं हुए? माता-पिता के बगैर किसका अस्तित्व संभव है? सभी भगवान माँ के पेट से ही जन्मे थे! इस प्रकार माता-पिता और बच्चों का व्यवहार अनादि अनंत है। यह व्यवहार आदर्श...

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पुस्तकें By Pranava Bharti

ज़िंदगी की उलझनों के दिन-रात, शामें बँट जाती हैं शब्दों में, चुप्पी साधी नहीं जा सकती यदि कोई संवेदनशील हो --कसमसाते हुए दिनों की आहट उसे परेशान करती ही तो रहती है जब तक भावों का पु...

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सच सामने आना अभी बाकी है By Kishanlal Sharma

ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना 31 दिसम्बर 1600 में इंग्लैंड में हुई थी।यह कम्पनी भारत मे व्यापार करना चाहती थी।इस कम्पनी को भारत के साथ व्यापार करने की 21 वर्ष के लिए छूट महारानी ने...

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मैं कौन हूँ ? By Disha Jain

केवल जीवन जी लेना ही जीवन नहीं है। जीवन जीने का कोई ध्येय, कोई लक्ष्य भी तो होगा। जीवन में कोई ऊँचा लक्ष्य प्राप्त करने का ध्येय होना चाहिए। जीवन का असली लक्ष्य ‘मैं कौन हूँ’, इस स...

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पाप-पुण्य By Disha Jain

पाप या पुण्य, जीवन में किये गए किसी भी कार्य का फल माना जाता है।

इस पुस्तक में दादाश्री हमें बहुत ही गहराई से इन दोनों का मतलब समझाते हुए यह बताते है कि, कोई भी काम जिससे दूसरों...

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मेरे अजनबी हमसफ़र By DINESH KUMAR KEER

पूरा पढ़ना न भूलें :- यह एक काल्पनिक कहानी है इसका वास्तविक जीवन से कोई वास्ता नहीं।

वह ट्रेन के आरक्षण की बोगी में बाथरूम के तरफ वाली सीट पर बैठी थी...
उसके चेहरे के भाव से पता...

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सर्व दुखों से मुक्ति By Disha Jain

सांसारिक दु:ख किसे नहीं है? हर कोई उससे छूटना चाहता है। लेकिन वह छूट नहीं पाता। उससे छूटने का मार्ग क्या है? ज्ञानी पुरूष के मिलते ही सर्व दु:खों से मुक्तिमिलती है। औरों को जो दु:ख...

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सच सामने आना अभी बाकी है By Kishanlal Sharma

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सर्व दुखों से मुक्ति By Disha Jain

सांसारिक दु:ख किसे नहीं है? हर कोई उससे छूटना चाहता है। लेकिन वह छूट नहीं पाता। उससे छूटने का मार्ग क्या है? ज्ञानी पुरूष के मिलते ही सर्व दु:खों से मुक्तिमिलती है। औरों को जो दु:ख...

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