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  • अंगद - एक योद्धा। - 9

    अब अंगद के जीवन में एक नई यात्रा की शुरुआत हुई। यह आरंभ था नहीं चेतना का, नए उत्...

  • कॉर्पोरेट जीवन: संघर्ष और समाधान - भाग 1

    पात्र: परिचयसुबह का समय था, और एक बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी की कार्यलय की हलचल धीर...

  • इंटरनेट वाला लव - 90

    कर ये भाई आ गया में अब हैपी ना. नमस्ते पंडित जी. कैसे है आप सब ठीक है ना.हा नमस्...

  • नज़रिया

    “माँ किधर जा रही हो” 38 साल के युवा ने अपनी 60 वर्षीय वृद्ध माँ को पुकारते हुए क...

  • मनस्वी - भाग 1

    पुरोवाक्'मनस्वी' एक शोकगाथा है एक करुण उपन्यासिका (Elegiac Novelette) ।...

  • गोमती, तुम बहती रहना - 6

                     ज़िंदगी क्या है ? पानी का बुलबुला ?लेखक द्वारा लिखी जा रही किसी...

  • खुशी का सिर्फ अहसास

    1. लालची कुत्ताएक गाँव में एक कुत्ता था । वह बहुत लालची था । वह भोजन की खोज में...

  • सनातन - 1

    (1)हम लोग एक व्हाट्सएप समूह के मार्फत आभासी मित्र थे। वह लगभग अस्सी-नब्बे लोगों...

  • सही या गलत...

    कहते हैं इंसान वही जिसमें इंसानियत जिंदा हो.... लेकिन कभी कभी ये इंसानियत हमें स...

  • ख़्वाबों की दुनिया में खो जाऊं

    "मेरी उदाशी तुमे केसे नजर आयेगी ,तुम्हे देखकर तो हम मुस्कुराने लागते है.....️***...

पाप-पुण्य By Disha Jain

पाप या पुण्य, जीवन में किये गए किसी भी कार्य का फल माना जाता है।

इस पुस्तक में दादाश्री हमें बहुत ही गहराई से इन दोनों का मतलब समझाते हुए यह बताते है कि, कोई भी काम जिससे दूसरों...

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मेरे अजनबी हमसफ़र By DINESH KUMAR KEER

पूरा पढ़ना न भूलें :- यह एक काल्पनिक कहानी है इसका वास्तविक जीवन से कोई वास्ता नहीं।

वह ट्रेन के आरक्षण की बोगी में बाथरूम के तरफ वाली सीट पर बैठी थी...
उसके चेहरे के भाव से पता...

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सर्व दुखों से मुक्ति By Disha Jain

सांसारिक दु:ख किसे नहीं है? हर कोई उससे छूटना चाहता है। लेकिन वह छूट नहीं पाता। उससे छूटने का मार्ग क्या है? ज्ञानी पुरूष के मिलते ही सर्व दु:खों से मुक्तिमिलती है। औरों को जो दु:ख...

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मानव धर्म By Disha Jain

जून 1958 की एक संध्या का करीब छः बजे का समय, भीड़ से भरा सूरत शहर का रेल्वे स्टेशन, प्लेटफार्म नं. 3 की बेंच पर बैठे श्री अंबालाल मूलजीभाई पटेल रूपी देहमंदिर में कुदरती रूप से, अक्र...

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युद्ध कला (The Art of War) By Praveen kumrawat

“आर्ट ऑफ वार” सुन त्ज़ू द्वारा 500-550 ईसा पूर्व लिखी गई एक प्रभावशाली पुस्तक है। जिसे उस समय के हालात में सिर्फ और सिर्फ युद्ध को मद्देनज़र रखते हुए लिखा गया था। इसमें कोई दोमत नह...

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बालम हो परदेश में तो By Kishanlal Sharma

रमेश का तबादला पुणे से मुम्बई हो गया। कुछ कारणों से वह पत्नी और बच्चों को अपने साथ नही ले जा सका।और उसे अकेले ही अपनी नई पोस्टिंग पर जाना पड़ा।
रमेश मुम्बई में पेइंग गेस्ट के रूप म...

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सीरियल क्या संस्कार दे रहे हैं By Kishanlal Sharma

सावित्री,सीता,गांधारी न जाने कितनी स्त्रियी के पतिव्रता धर्म,प्रेम,त्याग और बलिदान से हमारे पौराणिक ग्रन्थ भरे पड़े है।
हमारे देश मे मान्यता है कि मर्द औरत का रिश्ता जन्म से पहले ह...

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स्वप्न--भुलाए नही भूलता By Kishanlal Sharma

पचास साल से ज्यादा हो गए पर मुझे आज भी वह सपना ऐसे याद है मानो कल की ही बात हो।भूल भी कैसे सकता हूँ।उस सपने ने साकार होकर मेरे उज्ज्वल भविष्य के सपने को निगल लिया था।उस सपने की टीस...

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परम् वैष्णव देवर्षि नारद By Praveen kumrawat

पौराणिक कथाओं के सबसे अधिक लोकप्रिय पात्र हैं "देवर्षि नारद।" शायद ही कोई ऐसी महत्वपूर्ण घटना घटित होती होगी जिसमें नारद की भूमिका न रहती हो। उनकी एक विशेषता यह बताई जाती ह...

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कुछ हादसे ज़िन्दगी के By Harsh Parmar

हमारी ज़िन्दगी में ऐसे कुछ हादसे होते हैं जिन्हें हम कभी भूल नहीं सकते है । अजय की लाइफ में भी कुछ ऐसा हुआ था.

अजय की फेमिली बहुत बड़ी हैं। फेमिली में मम्मी पापा तीन भाई और दो ब...

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पाप-पुण्य By Disha Jain

पाप या पुण्य, जीवन में किये गए किसी भी कार्य का फल माना जाता है।

इस पुस्तक में दादाश्री हमें बहुत ही गहराई से इन दोनों का मतलब समझाते हुए यह बताते है कि, कोई भी काम जिससे दूसरों...

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सांसारिक दु:ख किसे नहीं है? हर कोई उससे छूटना चाहता है। लेकिन वह छूट नहीं पाता। उससे छूटने का मार्ग क्या है? ज्ञानी पुरूष के मिलते ही सर्व दु:खों से मुक्तिमिलती है। औरों को जो दु:ख...

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बालम हो परदेश में तो By Kishanlal Sharma

रमेश का तबादला पुणे से मुम्बई हो गया। कुछ कारणों से वह पत्नी और बच्चों को अपने साथ नही ले जा सका।और उसे अकेले ही अपनी नई पोस्टिंग पर जाना पड़ा।
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सावित्री,सीता,गांधारी न जाने कितनी स्त्रियी के पतिव्रता धर्म,प्रेम,त्याग और बलिदान से हमारे पौराणिक ग्रन्थ भरे पड़े है।
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स्वप्न--भुलाए नही भूलता By Kishanlal Sharma

पचास साल से ज्यादा हो गए पर मुझे आज भी वह सपना ऐसे याद है मानो कल की ही बात हो।भूल भी कैसे सकता हूँ।उस सपने ने साकार होकर मेरे उज्ज्वल भविष्य के सपने को निगल लिया था।उस सपने की टीस...

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पौराणिक कथाओं के सबसे अधिक लोकप्रिय पात्र हैं "देवर्षि नारद।" शायद ही कोई ऐसी महत्वपूर्ण घटना घटित होती होगी जिसमें नारद की भूमिका न रहती हो। उनकी एक विशेषता यह बताई जाती ह...

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हमारी ज़िन्दगी में ऐसे कुछ हादसे होते हैं जिन्हें हम कभी भूल नहीं सकते है । अजय की लाइफ में भी कुछ ऐसा हुआ था.

अजय की फेमिली बहुत बड़ी हैं। फेमिली में मम्मी पापा तीन भाई और दो ब...

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