Episodes

जहाँ से खुद को पाया by vikram kori in Hindi Novels
Part .1 ‎‎गाँव की सुबह हमेशा की तरह शांत थी। हल्की धूप खेतों पर फैल रही थी, हवा में मिट्टी की सोंधी खुशबू घुली हुई थी। व...
जहाँ से खुद को पाया by vikram kori in Hindi Novels
PART–2‎‎‎‎दिल्ली की सुबह गाँव की सुबह जैसी नहीं होती। यहाँ सूरज निकलने से पहले ही शोर शुरू हो जाता है। हॉर्न, भीड़, भागत...
जहाँ से खुद को पाया by vikram kori in Hindi Novels
‎part - 3‎‎दिल्ली की रातें अब सयुग को डराती नहीं थीं। ‎पहले जिन सड़कों पर चलते हुए उसे अपने होने पर शक होता था, अब वही स...
जहाँ से खुद को पाया by vikram kori in Hindi Novels
Part - 4 लास्ट पार्ट सुबह की हवा में हल्की ठंडक थी, लेकिन सयुग के भीतर अजीब सी तपिश थी। ‎रात भर उसने करवटें बदली थीं। आँ...