श्रापयात्रा by tavish in Hindi Novels
मैं आदिब्रह्मा हूँ।मैं ही समस्त संसार का उत्पातिक हूँ।मैं ही चारों ओर और मैं ही आचार हूँ।मैं ही आत्मा और मैं ही परमात्मा...
श्रापयात्रा by tavish in Hindi Novels
आकाश बिजली से चमक रहा था।काले बादल गरज रहे थे, आँधी–तूफ़ान का प्रकोप था।एक पुराने खंडहर के बीच एक तरफ़ आग भड़क रही थी,तो...
श्रापयात्रा by tavish in Hindi Novels
योग कक्षा का दृश्योग शिक्षा के समय, सभी शिष्य ध्यान में बैठे थे।तभी एक लड़का — नीर — चुपके से गुरु निरंजन की नकल करता है...