कहानी "कर्मभूमि" के इस अध्याय में, अमरकान्त अपने पुराने दोस्त सलीम से मिलने के लिए पहाड़ी रास्ते पर चल पड़ता है जब उसे पता चलता है कि सलीम अब एक अफसर बन गया है। अमर की यात्रा कठिन होती है, और ठंड बढ़ती जाती है, लेकिन वह अपने दोस्त से मिलने की उत्कंठा को रोक नहीं पाता। जब वह सलीम से मिलता है, तो सलीम उसकी साधारणता पर व्यंग्य करता है और उसे अपने कपड़ों और स्थिति का मजाक उड़ाता है। सलीम ने अपनी नौकरी को हुकूमत कहा और अमर की स्थिति देखकर दुखी होता है। अमर अपने आत्म-सम्मान की रक्षा करते हुए कहता है कि कपड़े केवल शरीर की सुरक्षा के लिए होते हैं, दिखावे के लिए नहीं। सलीम और अमर के बीच बातचीत में सामाजिक स्थिति और जीवन के दृष्टिकोण की भिन्नता दिखती है। सलीम अमर को उसकी साधारण जीवनशैली को छोड़ने के लिए कहता है, जबकि अमर अपनी मेहनत और संयम पर गर्व करता है। अंततः, ठंड के कारण सलीम अमर को अपने कमरे में ले जाने के लिए मजबूर होता है, जहां अमर सलीम के समृद्ध जीवन की झलक देखता है। यह अध्याय दोस्ती, सामाजिक स्थिति, और व्यक्तिगत मूल्यों के बीच की जद्दोजहद को उजागर करता है। कर्मभूमि अध्याय 4 by Munshi Premchand in Hindi Fiction Stories 6 2.4k Downloads 13.6k Views Writen by Munshi Premchand Category Fiction Stories Read Full Story Download on Mobile Description कर्मभूमि प्रेमचन्द का राजनीतिक उपन्यास है जो पहली बार १९३२ में प्रकाशित हुआ। अंत में सेठ धनीराम की मध्यस्थता से सरकार द्वारा एक कमेटी नियुक्त हो जाती है जो सरकार से मिलकर किसानों और गरीबों की समस्याओं पर विचार करेगी। उस कमेटी में अमर और सलीम तो रहते ही हैं, उनके अतिरिक्त तीन अन्य सदस्यों को चुनने का उन्हें अधिकार दिया गया। सरकार ने भी उस कमेटी में दो सदस्यों अपने रखे। यह समझौते वाली नीति 1930 के कांग्रेस और सरकार के अस्थायी समझौते के प्रभाव के रूप में है। सरकार तब कैदियों को छोड़ देती है। अमरकांत, सकीना और मुन्नी को बहन के रूप में स्वीकार करते हैं और अमरकांत और सुखदा एक दूसरे का महत्त्व पहचानते हैं। Novels कर्मभूमि कर्मभूमि प्रेमचन्द का राजनीतिक उपन्यास है जो पहली बार १९३२ में प्रकाशित हुआ। अमरकांत बनारस के रईस समरकांत के पुत्र हैं। वे विद्यार्थी- जीवन से ही... More Likes This काठगोदाम की गर्मियाँ - 1 by DHIRENDRA BISHT DHiR Dastane - ishq - 1 by Tanya Gauniyal Rent A Soul ?? - 2 by Goku अंधकार का देवता - 1 by Goku सर्वथा मौलिक चिंतन - भाग 1 by Brijmohan sharma मेरा रक्षक - भाग 1 by ekshayra अम्मा का मटकी भर सोना और प्लेनचिट - 1 by Neelam Kulshreshtha More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories