"यह द्वार बाहरी नहीं —यह भीतर है।इसे कोई शस्त्र नहीं, केवल स्वीकृति ही खोल सकती है।जो स्वयं को क्षमा नहीं कर पाए…वे मानवकुल में प्रवेश नहीं कर सकते।"तीनों — अर्जुन, अनाया और ओजस —मौन थे।तभी उनके सामने एक दिव्य दर्पण प्रकट हुआ —“आत्म-दर्पण” —जो हर उस छवि को दिखाता हैजिससे मनुष्य भागता है।--- अर्जुन का सामना – एक भूला पापदर्पण में अर्जुन ने खुद को देखा">