हास्य कथा : दिवाली की झालर नमस्ते! उम्मीद है आप सब अच्छे होंगे, अजी उम्मीद क्या पूरा विश्वास है| ...
यू-ट्यूब पर श्रीमती जी करन-अर्जुन देखने बैठीं तो हमारी करीब पच्चीस साल पुरानी प्रतीज्ञा आज टूट ही गई…जिस बेबाकी ...
आखिरी भाग 14/14: शह और मात एक साधारण सी तीन मंजिला बिल्डिंग के बाहर बाइक रुकती है, दोनों बिल्डिंग ...
भाग 13/14: बरसात की वो शाम महिपाल और मनोज की बाइक सरकारी अस्पताल के अन्दर जाती है और दोनों ...
भाग 12/14: मेवाती लॉज थोड़ी देर बाद महिपाल और मनोज एक साधारण से रेस्टोरेंट में बैठे खाना खा रहे ...
भाग 11/14: वज़ह दिवाकर के पिता बोलते है, “अरे वो कुछ नहीं….एक बार वो लड़की…क्या नाम था…हाँ डॉली….हाँ उसको ...
भाग 10/14: जनरल इंक्वारीकरीब दो-तीन घंटे बाद महिपाल और मनोज थाने के बाहर चाय की दुकान पर खड़े चाय ...
भाग 9/14: सुराग नहाया धोया मनोज तय समय पर राजा पार्क चौराहे पर एक चाय की दुकान पर चाय ...
भाग 8/14:प्यार का पंचनामा मुर्दाघर की एक बेंच पर बेसुध सा बैठा मंदार अपनी पूरी कहानी सुना चुका था| ...
भाग 7/14: तब भी था...आज भी..बातों –बातों में कब नींद लग गई पता ही न चला....छह –सात ग्लास का ...