सुनहरे चंदन के पेड़ों की लंबी कतारों के बीच, एक छोटी-सी गुफा थी—शांत, ठंडी और सुगंध से भरी हुई। वही थी चंदनी का घर, चंदनवन की रक्षिणी। न जाने कितने वर्षों से वह अकेले ही इस विशाल चंदनवन की देखभाल करती आई थी। उसका काम था— पेड़ों को पानी देना, खाद डालना, घावों पर लेप लगाना, और सबसे बड़ी बात—उन्हें हर खतरे से बचाना।
चंदनी - भाग 1
चंदनीलेखक राज फुलवरेसुनहरे चंदन के पेड़ों की लंबी कतारों के बीच, एक छोटी-सी गुफा थी—शांत, ठंडी और सुगंध से हुई। वही थी चंदनी का घर, चंदनवन की रक्षिणी।न जाने कितने वर्षों से वह अकेले ही इस विशाल चंदनवन की देखभाल करती आई थी। उसका काम था—पेड़ों को पानी देना,खाद डालना,घावों पर लेप लगाना,और सबसे बड़ी बात—उन्हें हर खतरे से बचाना।वह पेड़ों से बात करती थी, उनकी सांसों को समझती थी। और हर सुबह, जब सूरज सुनहरी रोशनी लेकर उगता, चंदनी एक-एक पेड़ के अंदर घुसकर उसकी खुशबू बढ़ाती। यह उसकी एक अनोखी शक्ति थी—जिससे चंदन के पेड़ों की सुगंध ...Read More