कृष्णा कैफ़े

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एक प्रेम कथा, जो आस्था और इंसानियत के संगम से जन्मी) --- दृश्य 1 — कॉलेज की सुबह सेंट पीटर्स यूनिवर्सिटी, मुंबई। सुबह का वक्त। कैंपस में पेड़ों के बीच से आती धूप, चिड़ियों की चहचहाहट और स्टूडेंट्स की हलचल। लॉन के किनारे एक लड़की बैठी थी — किताबों के बीच खोई हुई। उसका नाम था सावित्री नायर। उसके माथे पर हल्का-सा तिलक, आँखों में गहराई और चेहरे पर एक अद्भुत शांति थी। क्लास की सबसे होशियार और सबसे संकोची छात्रा। पास में एक लड़का क्रिकेट बैट लिए हँसते हुए अपने दोस्तों के साथ दौड़ रहा था। वो था — मार्क्स एंडरसन। नीली आँखें, आत्मविश्वास से भरा चेहरा और दिल में बेमिसाल अपनापन।

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कृष्णा कैफ़े - भाग 1

कृष्णा कैफ़े – भाग 1 (एक प्रेम कथा, जो आस्था और इंसानियत के संगम से जन्मी)---दृश्य 1 — कॉलेज सुबहसेंट पीटर्स यूनिवर्सिटी, मुंबई।सुबह का वक्त। कैंपस में पेड़ों के बीच से आती धूप, चिड़ियों की चहचहाहट और स्टूडेंट्स की हलचल।लॉन के किनारे एक लड़की बैठी थी — किताबों के बीच खोई हुई।उसका नाम था सावित्री नायर।उसके माथे पर हल्का-सा तिलक, आँखों में गहराई और चेहरे पर एक अद्भुत शांति थी।क्लास की सबसे होशियार और सबसे संकोची छात्रा।पास में एक लड़का क्रिकेट बैट लिए हँसते हुए अपने दोस्तों के साथ दौड़ रहा था।वो था — मार्क्स एंडरसन।नीली आँखें, आत्मविश्वास ...Read More

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कृष्णा कैफ़े - भाग 2

कृष्णा कैफ़े भाग 2अध्याय एक — समय की रेतकृष्णा कैफ़े — बंद पडे कई साल बाद।सांझ का समय है. हवा चल रही है.पुराने शहर की एक गली में, एक छोटा- सा ढाबा जैसा घर —“ कृष्णा कैफे”दीवारों पर धूल की परतें, टूटी कुर्सियाँ, और एक कोने में टंगी हुई एला और मार्क्स की तस्वीर.नीचे वही पुरानी कृष्ण मूर्ति, जिसके सामने अब रोज दीपक जलता है —और दीपक जलाने वाला है — डेविड.वह अब बूढा हो चुका है.कंधे झुके हुए, चेहरे पर झुर्रियाँ, लेकिन आँखों में वही सच्चाई, वही आस्था.डेविड दीपक जलाता है, हाथ जोडता है)डेविड( धीरे, श्रद्धा से)कृष्ण. जब ...Read More