हर क्लास में कुछ बच्चे होते हैं जो आगे बैठकर जवाब देते हैं, और कुछ जो पीछे बैठकर सोचते हैं। आर्यन और काव्या, 12-B की वही जोड़ी थे — जो बातें कम, लेकिन महसूस ज़्यादा करते थे। आर्यन को drawing का शौक था। क्लास में चलते हुए उसके हाथ हमेशा pencil से स्याही भरे रहते। काव्या के पास हमेशा एक छोटी diary होती थी, जिसमें वो अपने ख़्याल लिखती रहती — “लोग बातों से पहचान बनाते हैं, मैं खामोशियों से।” दोनों एक-दूसरे से कम बोलते, पर जब भी नजरें मिलतीं, ऐसा लगता जैसे पुराने दोस्त हों जो शब्दों से आगे जुड़ चुके हैं।

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Last Benchers - 1

हर क्लास में कुछ बच्चे होते हैं जो आगे बैठकर जवाब देते हैं,और कुछ जो पीछे बैठकर सोचते हैं।आर्यन काव्या, 12-B की वही जोड़ी थे —जो बातें कम, लेकिन महसूस ज़्यादा करते थे।आर्यन को drawing का शौक था।क्लास में चलते हुए उसके हाथ हमेशा pencil से स्याही भरे रहते।काव्या के पास हमेशा एक छोटी diary होती थी,जिसमें वो अपने ख़्याल लिखती रहती —“लोग बातों से पहचान बनाते हैं, मैं खामोशियों से।”दोनों एक-दूसरे से कम बोलते, पर जब भी नजरें मिलतीं,ऐसा लगता जैसे पुराने दोस्त हों जो शब्दों से आगे जुड़ चुके हैं।---एक दिन क्लास में teacher ने नया प्रोजेक्ट ...Read More

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Last Benchers - 2

क्लास 10 का वो साल अब याद बन चुका था। बोर्ड के एग्ज़ाम ख़त्म हो चुके थे, और सब रास्ते जाने वाले थे। लेकिन राहुल, आयुष और सौरभ — ये तीनों "लास्ट बेंचर्स" — अब भी रोज़ स्कूल आते, बस एक ही बहाने से: "मैडम ने कहा था रिज़ल्ट से पहले सब कॉपी सबमिट करो..."पर असल वजह कुछ और थी — वो अधूरा रह गया पन्ना जो आयुष की डायरी में था।---1. आखिरी दिन की कॉपीउस दिन स्टाफ रूम में कॉपियाँ लौटाई जा रही थीं। सब बच्चे अपनी-अपनी कॉपी लेकर जा रहे थे, हँसते हुए, बातें करते हुए।राहुल ने ...Read More