राख की शपथ: पुनर्जन्मी राक्षसी

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तमोराज, वह रा-राजपुत्री, फिर से भाग गई थी। तमोराज्या के राजा कालनार्थ के विशाल कक्ष में एक धीमी आवाज़ गूंजी। पहले से ही भारी हवा अब और भी अंधेरी हो गई, जब वह परदों के पीछे से बाहर आया — परदे जो कुछ ही मिनटों में उसकी चारों ओर फैलती हुई दैवी अंधकारमय आभा से जलने वाले थे। “और शतागिनी(राक्षस सैनिक) क्या कर रहे थे?” उसकी लाल रक्त जैसी आँखें सेना प्रमुख पर जा टिकीं — वही दानव योद्धा जिसे उसकी कैद की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। वह पत्थर की श्रापित बेड़ियों में बंधी थी, पर तूफ़ान को पत्थर बाँध नहीं सकता। सेना प्रमुख, जो स्वयं महान दानवों में से एक था, झुक गया। माथे पर पसीने की बूंदें, गले की नस धड़कती हुई — मानो अंधकार का रक्त भीतर खौल रहा हो।

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राख की शपथ: पुनर्जन्मी राक्षसी - पाठ 1

तमोराज, वह रा-राजपुत्री, फिर से भाग गई थी।तमोराज्या के राजा कालनार्थ के विशाल कक्ष में एक धीमी आवाज़ गूंजी। से ही भारी हवा अब और भी अंधेरी हो गई, जब वह परदों के पीछे से बाहर आया — परदे जो कुछ ही मिनटों में उसकी चारों ओर फैलती हुई दैवी अंधकारमय आभा से जलने वाले थे।“और शतागिनी(राक्षस सैनिक) क्या कर रहे थे?” उसकी लाल रक्त जैसी आँखें सेना प्रमुख पर जा टिकीं — वही दानव योद्धा जिसे उसकी कैद की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी।वह पत्थर की श्रापित बेड़ियों में बंधी थी,पर तूफ़ान को पत्थर बाँध नहीं सकता।सेना प्रमुख, जो ...Read More