Saptansh - The Critical Mystery

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रास्ते की हल्की ठंडी हवा अद्विक के चेहरे को छू रही थी। उसने बैग कसते हुए सोचा, “ठीक है, अब डरना नहीं। इसे समझना होगा।” घर पहुँचते ही माँ रसोई में व्यस्त थी और पापा अख़बार पढ़ रहे थे।“माँ… पापा…” अद्विक ने धीरे से कहा।माँ ने मुस्कुराते हुए पूछा, “क्या हुआ बेटा? अभी तक स्कूल का होमवर्क भी पूरा नहीं किया?”अद्विक ने हाथ जोड़कर कहा, “मुझे… मुझे कुछ अजीब हो रहा है। कभी-कभी मुझे लगता है कि जो कुछ मैं अभी देख रहा हूँ, वह पहले भी हो चुका है।

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Saptansh - The Critical Mystery - 1

रास्ते की हल्की ठंडी हवा अद्विक के चेहरे को छू रही थी। उसने बैग कसते हुए सोचा, “ठीक है, डरना नहीं। इसे समझना होगा।” घर पहुँचते ही माँ रसोई में व्यस्त थी और पापा अख़बार पढ़ रहे थे।“माँ… पापा…” अद्विक ने धीरे से कहा।माँ ने मुस्कुराते हुए पूछा, “क्या हुआ बेटा? अभी तक स्कूल का होमवर्क भी पूरा नहीं किया?”अद्विक ने हाथ जोड़कर कहा, “मुझे… मुझे कुछ अजीब हो रहा है। कभी-कभी मुझे लगता है कि जो कुछ मैं अभी देख रहा हूँ, वह पहले भी हो चुका है। जैसे अभी जो आम खा रहा हूँ, यह मैंने पहले ...Read More

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Saptansh - The Critical Mystery - 2

रात गहरी हो चुकी थी। अद्विक की आँखें नक्शे पर टिकी थीं, जहाँ “देवजु की आँख” का चिन्ह रहस्यमय बिखेर रहा था। कमरे की लाइट बंद थी, बस वही नक्शा अँधेरे में चमक रहा था।उसने धीरे से फुसफुसाया—“देवजु की आँख… आखिर ये है क्या?”नीचे के कमरे से माँ की आवाज़ आई, “अद्विक! सो गया क्या?”वह घबरा कर बोला, “हाँ माँ, अभी सो रहा हूँ…” और जल्दी से नक्शा बैग में छुपा लिया। लेकिन नींद कहाँ आने वाली थी? उस चमकते चिन्ह ने उसकी आँखों में सवालों की आग लगा दी थी।अगली सुबह स्कूल में उसने राघव और अवनि को ...Read More