शाम ढल चुकी थी। कॉलोनी के मोड़ पर बनी उस पुरानी चाय की टपरी से भाप उड़ाती हुई केतली, छनते हुए छनकती चाय की खुशबू और खटाखट होती गिलासों की आवाज़ें पूरे सबका दिल बहला रही थीं। मैं रोज़ की तरह अपनी जगह पर आकर बैठा ही था कि सामने से आते दिखे—मजनू भोपाली। 55 साल की उमर, सफ़ेद बालों की दाढ़ी, आँखों में हमेशा चमक और चेहरे पर वो “आशिक़ाना मुस्कान” जो मोहल्ले की आधी औरतों को खटकती और आधे लड़कों को प्रेरित करती थी। उनका आना मतलब टपरी की शाम में हलचल। हर कोई जानता था—अब चाय सिर्फ पीने की चीज़ नहीं, बल्कि "महफ़िल" जमने वाली है।
मजनू की मोहब्बत पार्ट-1
मजनू की मोहब्बतशाम ढल चुकी थी। कॉलोनी के मोड़ पर बनी उस पुरानी चाय की टपरी से भाप उड़ाती केतली, छनते हुए छनकती चाय की खुशबू और खटाखट होती गिलासों की आवाज़ें पूरे सबका दिल बहला रही थीं।मैं रोज़ की तरह अपनी जगह पर आकर बैठा ही था कि सामने से आते दिखे—मजनू भोपाली। 55 साल की उमर, सफ़ेद बालों की दाढ़ी, आँखों में हमेशा चमक और चेहरे पर वो “आशिक़ाना मुस्कान” जो मोहल्ले की आधी औरतों को खटकती और आधे लड़कों को प्रेरित करती थी। उनका आना मतलब टपरी की शाम में हलचल। हर कोई जानता था—अब चाय ...Read More