सीन 1: (कॉफी शॉप, शहर में – सभी दोस्त मिले हुए हैं) अजय: यार, ये शहर अब बोर करने लगा है। हर दिन वही ट्रैफिक, वही काम... कुछ नया चाहिए। नीलू (थक कर): सच कह रहा है! ऐसा लग रहा है जैसे बैटरी डाउन हो गई है। सिम्मी: चलो न कहीं घूमने चलते हैं! एक छोटा सा ट्रिप? कबीर: घूमने की बात सुनते ही मेरी आँखों में चमक आ जाती है। (सब हँसते हैं) रोहित (मुस्कुराते हुए): अगर सच में घूमना है... तो चलो मेरे गाँव। हरा-भरा, शांत और एकदम फ्रेश हवा।
दोस्तों के गाँव की यात्रा
सीन 1: (कॉफी शॉप, शहर में – सभी दोस्त मिले हुए हैं)अजय: यार, ये शहर अब बोर करने लगा हर दिन वही ट्रैफिक, वही काम... कुछ नया चाहिए।नीलू (थक कर): सच कह रहा है! ऐसा लग रहा है जैसे बैटरी डाउन हो गई है।सिम्मी: चलो न कहीं घूमने चलते हैं! एक छोटा सा ट्रिप?कबीर: घूमने की बात सुनते ही मेरी आँखों में चमक आ जाती है।(सब हँसते हैं)रोहित (मुस्कुराते हुए): अगर सच में घूमना है... तो चलो मेरे गाँव। हरा-भरा, शांत और एकदम फ्रेश हवा।सिम्मी: गाँव? अच्छा आइडिया है यार! कब चलें?नीलू: हां! वहाँ तो बिना मोबाइल नेटवर्क के ...Read More
दोस्तों के गाँव की यात्रा - 2
कबीर (हाथ तापते हुए): यार... ये आग, ये हवा, और ये चाय... शहर में कहाँ मिलती है ऐसी luxury?सिम्मी बैठती है): और बिना किसी डिस्ट्रैक्शन के... सिर्फ हम, और हमारी बातें।अजय: चलो आज कुछ दिल से बातें हों। हर कोई एक-एक याद शेयर करे, जो अब तक किसी से नहीं कही।नीलू (धीरे से मुस्कुराती है): पहली बार किसी ट्रिप पर आई हूँ जहाँ शांति डरावनी नहीं, सुकून देती है।सीन 19: (सब बैठ जाते हैं – गोल घेरे में, हल्की-हल्की आग की रौशनी चेहरे चमका रही है)रोहित: मैं शुरू करता हूँ। जब छोटा था, तो यहीं इसी आम के पेड़ ...Read More
दोस्तों के गाँव की यात्रा - 3
सीन 34: (घर की छत पर सबने अपनी-अपनी चादरें बिछा ली हैं, टॉर्च की हल्की रौशनी, रात का सन्नाटा दिल में भारीपन)कबीर (आसमान की तरफ देखते हुए): यार... ये तारें भी आज कुछ ज़्यादा चमक रही हैं ना?नीलू (धीरे से): शायद उन्हें भी पता है... हम कल यहाँ नहीं होंगे।अजय: मुझे लग रहा है जैसे इस छत ने हमारी हर बात, हर मज़ाक... अपने पास सहेज लिया है।सिम्मी (आँखों में नमी लिए): जाने क्यों लग रहा है… ये सब फिर नहीं दोहराया जा सकेगा।---सीन 35: (रोहित गाँव की मिट्टी की एक छोटी सी पुड़िया बनाता है, सब चुपचाप उसे ...Read More