यह कहानी भारतीय समाज की उस गहरी मानसिकता को उजागर करती है, जहाँ बेटी का जन्म आज भी अभिशाप माना जाता है और बेटे को वंश का दीपक समझा जाता है। एक छोटे-से गाँव में, जहाँ हर सुबह मंदिर की घंटियों और पक्षियों की चहचहाहट से होती है, वहाँ एक झोपड़ी के भीतर एक नई ज़िंदगी जन्म लेने वाली थी। लेकिन यह जन्म खुशियों की सौगात लाने वाला था या किसी परिवार के लिए बोझ?
बेटी - 1
यह कहानी भारतीय समाज की उस गहरी मानसिकता को उजागर करती है, जहाँ बेटी का जन्म आज भी अभिशाप जाता है और बेटे को वंश का दीपक समझा जाता है। एक छोटे-से गाँव में, जहाँ हर सुबह मंदिर की घंटियों और पक्षियों की चहचहाहट से होती है, वहाँ एक झोपड़ी के भीतर एक नई ज़िंदगी जन्म लेने वाली थी। लेकिन यह जन्म खुशियों की सौगात लाने वाला था या किसी परिवार के लिए बोझ?चलिए कहानी शुरू करते है ~गाँव का नाम: बगवानीपुर , एक बहुत ही सुंदर सा गाँव था, जो पहाड़ी इलाकों के बीच बसा हुआ था। चारों ओर ...Read More
बेटी - 2
अब आगे -माधुरी फीकी मुस्कान के साथ सिर हिला देती है।दाई माँ कहती हैं – "ठीक है बिटिया, अब भी चलते हैं।इतना कहकर वे कमरे से बाहर निकल जाती हैं।घर में एक अजीब सा सन्नाटा था। शाम ढल चुकी थी। तभी माधुरी की सास कमरे में झाँकते हुए तंज कसती है – "अब काम-धंधा भी करेगी कि बस सोती ही रहेगी?"। इतना कहकर वो बिना माधुरी की बात सुने ही पलट जाती हैं। माधुरी का पति भी उस वक्त घर पर नहीं था। वो किसी तरह हिम्मत जुटाकर उठने की कोशिश करती है। तभी उसकी नवजात बच्ची धीमे से ...Read More