फिर एक दिन रोज की हे तरह बेकार कर दिया है। और न जाने कब तक में इसे हे बेकारी के इस बेबस संसार का हिस्सा होने वाला हु। न परहेज मुझे इस संसार से है बल्कि बेबस तो इस बात से हु कि मुझे खुद के ऊपर कोई भरोसा हे नहीं है। में वर्षों से इस कशमकश में हूं कि मेरे लिए क्या बना है या में किस चीज के लिए बना हु कुछ तो मिले जिससे में खुद को समझ सकूं। लेकिन शायद ये समझना या समझ पाना मेरे लिए उतना हे मुश्किल है जितना इस दुनिया में बिना पैसे के जीवन यापन करना। हालांकि हो सकता है कि मेरे लेख के उदाहरण हे इस बात को समझा रहे हो कि इस दुनिया के जोड़ से जुड़ हे नहीं पाया हु। और ऐसा भी नहीं है कि कोशिश नहीं की कभी जुड़ने की। लेकिन शायद मेरे नियति कुछ और ही है।

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मैं - भाग 1

फिर एक दिन रोज की हे तरह बेकार कर दिया है। और न जाने कब तक में इसे हे के इस बेबस संसार का हिस्सा होने वाला हु। न परहेज मुझे इस संसार से है बल्कि बेबस तो इस बात से हु कि मुझे खुद के ऊपर कोई भरोसा हे नहीं है। में वर्षों से इस कशमकश में हूं कि मेरे लिए क्या बना है या में किस चीज के लिए बना हु कुछ तो मिले जिससे में खुद को समझ सकूं। लेकिन शायद ये समझना या समझ पाना मेरे लिए उतना हे मुश्किल है जितना इस दुनिया में ...Read More