दिवाकर : दी फादर

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सुबह सुबह रसोई से पराठों की खुशबू आ रही है और दीवाकर जी मंदिर में गायत्री मंत्र का पाठ कर रहे हैं। मगर सुमित्रा जी के पराठों की महक उनके नाक में घर करने लगी...... तभी पायल चिल्लाते हुए सीढ़ियों से उतरी और कहने लगी – “मम्मी.......जल्दी करो लेट हो रहा है.....कल भी बस छूट गई" पायल की आवाज के साथ ही सुमित्रा जी ने तवे पर पराठा रखा और गैस तेज कर टिफिन ढूँढने लगी......पीछे से गोलू जो की पायल का छोटा भाई और इस मोहल्ले का टीपू सुल्तान, छुपके से तैयार पराठों पर आक्रमण कर दिया। पायल की तरफ देख कर कहने लगा – “दीदी ये पराठे तो मैंने ले लिए आज आप बाहर से खा लेना।" सुमित्रा जी ने गोलू की प्लेट से पराठा लिया और तवे से एक ओर उतार कर टिफिन पैक कर दिया..पायल हड़बड़ाते हुए आई और टिफिन डालते हुए वापिस चली गई। गोलू ने मन को दिलासा दिया और मुंह फुलाकर बैठ गया, पायल फिर से दौड़ते हुए अंदर आई और दिवाकर जी को प्रणाम करते हुए मंदिर में आधे हाथ जोड़ कर जल्दी से चप्पल पहनी और फुर्र हो गई।

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दिवाकर : दी फादर - भाग 1

सुबह सुबह रसोई से पराठों की खुशबू आ रही है और दीवाकर जी मंदिर में गायत्री मंत्र का पाठ रहे हैं। मगर सुमित्रा जी के पराठों की महक उनके नाक में घर करने लगी...... तभी पायल चिल्लाते हुए सीढ़ियों से उतरी और कहने लगी – “मम्मी.......जल्दी करो लेट हो रहा है.....कल भी बस छूट गई" पायल की आवाज के साथ ही सुमित्रा जी ने तवे पर पराठा रखाऔर गैस तेज कर टिफिन ढूँढने लगी......पीछे से गोलू जो की पायल का छोटा भाई और इस मोहल्ले का टीपू सुल्तान, छुपके से तैयार पराठों पर आक्रमण कर दिया। पायल की ...Read More