सहारा

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मोहित को घर जाने के लिए सिर्फ 1 सप्ताह की छुट्टी मिली थी. समय बचाने के लिए उस ने अपनी पत्नी अलका व बेटे राहुल के साथ मुंबई से दिल्ली तक की यात्रा हवाईजहाज से करने का फैसला किया. अलका ने घर से निकलने से पहले ही साफसाफ कहा था, ‘‘देखो, मैं पूरे 5 महीने के बाद अपने मम्मीपापा से मिलूंगी. भैयाभाभी के घर से अलग होने के बाद वे दोनों बहुत अकेले हो गए हैं. इसलिए मुझे उन के साथ ज्यादा समय रहना है. अगर आप ने अपने घर पर 2 दिनों से ज्यादा रुकने के लिए मुझ पर दबाव बनाया तो झगड़ा हो जाएगा.’’ ‘अपने मम्मीपापा के अकेलेपन से आज तुम इतनी दुखी और परेशान हो रही हो पर शादी होते ही तुम ने रातदिन कलह कर के क्या मुझे घर से अलग होने को मजबूर नहीं किया था? जब तुम ने कभी मेरे मनोभावों को समझने की कोशिश नहीं की तो मुझ से ऐसी उम्मीद क्यों रखती हो?’ मोहित उस से ऐसा सवाल पूछना चाहता था पर झगड़ा और कलह हो जाने के डर से चुप रहा. ‘‘तुम जितने दिन जहां रहना चाहो, वहां रहना पर राहुल अपने दादादादी के साथ ज्यादा समय बिताएगा. वे तड़प रहे हैं अपने पोते के साथ हंसनेखेलने के लिए,’’ मोहित ने रूखे से लहजे में अपनी बात कही और अलका के साथ किसी तरह की बहस में उलझने से बचने के लिए टैक्सी की खिड़की से बाहर देखने लगा था.

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सहारा -1

सहारा -1सहारा: मोहित और अलका आखिर क्यों हैरान थे ?मोहित को घर जाने के लिए सिर्फ 1 सप्ताह की मिली थी. समय बचाने के लिए उस ने अपनी पत्नी अलका व बेटे राहुल के साथ मुंबई से दिल्ली तक की यात्रा हवाईजहाज से करने का फैसला किया. अलका ने घर से निकलने से पहले ही साफसाफ कहा था, ‘‘देखो, मैं पूरे 5 महीने के बाद अपने मम्मीपापा से मिलूंगी. भैयाभाभी के घर से अलग होने के बाद वे दोनों बहुत अकेले हो गए हैं. इसलिए मुझे उन के साथ ज्यादा समय रहना है. अगर आप ने अपने घर पर ...Read More

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सहारा - 2

सहारा -2‘‘मां की कमर का दर्द और पिताजी का ब्लडप्रेशर बढ़ता जा रहा है. अगर अब हम ने उन की उचित देखभाल नहीं की तो उन दोनों के लिए औलाद को पालनेपोसने की इतनी झंझटें उठाने का फायदा ही क्या हुआ?’’अलका के पास मोहित के इस सवाल का कोई माकूल जवाब तो नहीं था पर उस ने अपने सासससुर को साथ न रखने की अपनी जिद नहीं बदली थी. सुबह की फ्लाइट पकड़ कर वे सब 12 बजे के करीब अपने घर पहुंच गए. पूरे सफर के दौरान अलका नाराजगी भरे अंदाज में खामोश रही थी.अपनी ससुराल के साथ ...Read More

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सहारा - 3

सहारा -3मोहित ने एक भगौने पर ढकी तश्तरी को हटाया और बोला, ‘‘वाह, मटरपनीर की सब्जी बनी है. लगता मां सारा लंच तैयार कर के गई हैं.’’ ‘‘डाक्टर के यहां बहुत भीड़ होती है, इसलिए वे तो 3 घंटे पहले घर से चली गई थीं. आज लंच में तुम दोनों को मेरे हाथ की बनी सब्जियां खाने को मिलेंगी,’’ किसी छोटे बच्चे की तरह गर्व से छाती फुलाते हुए महेशजी ने उन दोनों को बताया.‘‘आप ने खाना बनाना कब से सीख लिया, पापा?’’ मोहित हैरान हो उठा. ‘‘घर के सारे काम करने का हुनर हम आदमियों को भी आना ...Read More

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सहारा - 4

सहारा -4नींद आने से पहले बहुत दिनों से परेशान चल रहीं मीना के मन में कोई अवरोध टूटा और आरती से लिपट कर खूब रोई थीं.‘अपने बेटेबहू के घर छोड़ कर अलग हो जाने के बाद मुझे यह एहसास बहुत सता रहा है कि मैं ने आप दोनों के साथ बहुत गलत व्यवहार किया है. अपनी बेटी को समझाने के बजाय मैं उसे भड़का कर हमेशा ससुराल से अलग होने की राय देती रही. अब मुझे अपने किए की सजा मिल गई है, बहनजी…आप मुझे आज माफ कर दोगी तो मेरे मन को कुछ शांति मिलेगी.’ पश्चात्ताप की आग ...Read More

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सहारा - 5

सहारा -5उन की जगह चाय बनाने के लिए अलका रसोई में जाना चाहती थी पर आरती ने उस का पकड़ कर रोक लिया. ‘‘बहू, तुम्हारे पापा के हाथ की बनी स्पेशल चाय पीने की मुझे तो लत पड़ गई है. बना लेने दो उन्हीं को चाय,’’ आरती के मुंह से निकले इन शब्दों ने अलका और मोहित के मनों की उलझन को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया था.‘‘मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा है,’’ उन चारों बुजुर्गों को कुछ देर बाद बच्चा बन कर राहुल के साथ हंसतेबोलते देख अलका ने धीमी आवाज में मोहित के सामने अपने ...Read More