अंतर्मन (दैनंदिनी पत्रिका)

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अंतर्मन अर्थात अपने मन की वो असीम गहराई जहां हित, नात , यार, मित्र, समाज, रिश्ते नाते, कार्य, प्रतिभा, विशेष कला, स्वार्थ, साम, दाम, लोभ, दंड, भेद इत्यादि सब से परे जा कर एकाग्रचित हो कर अपनी आत्मा से आत्म-साक्षात्कार करना या कहें खुद को खुद से जानना, यही है अंतर्मन। मुझे महसूस हुआ पत्रिका या दैनंदिनी आप जो भी महसूस करें... तो अपनी आत्मा के भावों को मैं आदरणीय श्रद्धेय स्व. अटल जी की स्मृति को ध्यान मे रखते हुए इसे लिखना आरंभ करूंगा। इसमे कई लेख मेरी डायरी से निकलेंगे या फिर नित नूतन विचार होंगे। मुझे मात्र आपका स्नेह और समीक्षा चाहिए यदि आपको सुलभ लगे। तो अपनी पत्रिका /डायरी का आरंभ मैं अटल जी को समर्पित करते हुए लिखना चाहूँगा ?❤️❤️ "युग-पुरुष" भारतीय राजनीति के अजातशत्रु, भारत रत्न से विभूषित पूर्व प्रधानमंत्री कुशल वक्ता, परम श्रद्धेय स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी को भावभीनी आदरांजलि एवं कोटि-कोटि नमन।

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अंतर्मन (दैनंदिनी पत्रिका) - 1

अंतर्मन अर्थात अपने मन की वो असीम गहराई जहां हित, नात , यार, मित्र, समाज, रिश्ते नाते, कार्य, प्रतिभा, कला, स्वार्थ, साम, दाम, लोभ, दंड, भेद इत्यादि सब से परे जा कर एकाग्रचित हो कर अपनी आत्मा से आत्म-साक्षात्कार करना या कहें खुद को खुद से जानना, यही है अंतर्मन। मुझे महसूस हुआ पत्रिका या दैनंदिनी आप जो भी महसूस करें... तो अपनी आत्मा के भावों को मैं आदरणीय श्रद्धेय स्व. अटल जी की स्मृति को ध्यान मे रखते हुए इसे लिखना आरंभ करूंगा। इसमे कई लेख मेरी डायरी से निकलेंगे या फिर नित नूतन विचार होंगे। मुझे मात्र ...Read More

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अंतर्मन (दैनंदिनी पत्रिका) - 2

संबंध का आधार रिश्ता - दो व्यक्ति अथवा प्रिय जनों के प्रगाढ़ भावनात्मक लगाव झुकाव, समर्पण, और स्नेह परिपाटी पर संबंध स्थापित होता है। और इसी संबंध को आम बोलचाल की भाषा में रिश्ता कहा जाता है। मेरी समझ क्षमता के लिहाज से रिश्ते निम्न प्रकार के होते है - ▪️1- ईश्वरीय संबंध - जो माँ और शिशु का होता है। शिशु जो गर्भ से धरती पर कदम रखता है, और वह अनभिज्ञ अबोध शिशु फिर भी माँ को, उनके सानिध्य को महसूस कर लेता है। हालांकि यही जब युवा होकर पत्नी प्रेम के वशीभूत माँ बाप को ...Read More

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अंतर्मन (दैनंदिनी पत्रिका) - 3

प्रिय डायरी " अंतर्मन", यार डायरी बुरा मत मानना, पर ये संदीप भी ना... दुनिया भर की बातों को साझा करता है । भला व्यस्त इंसान औरों के विषय मे, समाज के प्रगति के विषयों मे अपनी सहभागिता क्यों रखेगा। अपना दिमाग क्यों खपायेगा। पर तुम्हें तो पता है कि, अपना संदीप बचपन से ही कागज कलम का घनिष्ट मित्र है, और आने वाले समय मे भी रहेगा।फिर भला अपने हृदय की बात घनिष्ट मित्र से क्यों ना साझा की जाए। अंतर्मन के माध्यम से मुझे स्नेह प्रदान करने वाले प्रतिलिपि परिवार के सभी सम्मानित परिजनों को सादर प्रणाम, ...Read More

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अंतर्मन (दैनंदिनी पत्रिका) - 4

प्रिय डायरी अंतर्मन आज जब सुबह प्रतिलिपि की चर्चा देखी तो स्कूल काल का एक संस्मरण याद आया सोचा साझा करूँ, डायरी के पन्ने के रूप मे। आज किसी खास विषय के बजाय संस्मरण पर लिखना चाहूँगा। संस्मरण स्कूल का किस्सा 2003 चर्चा का विषय - स्कूल मे घटी घटना या किस्सा हमे बताएं जो आज भी आपको गुदगुदाता है? आज का प्रश्न मन मे गुदगुदी कर रहा है। आज स्कुल का वो किस्सा साझा करने जा रहा हूँ, जिससे आज तो मुस्कराहट आ रही है किन्तु उस समय चेहरा धुआं धुआं सा था। बात कक्षा 9 की है ...Read More

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अंतर्मन (दैनंदिनी पत्रिका) - 5

प्रिय डायरी अंतर्मन आज जब सुबह स्कूल काल का एक संस्मरण याद आया सोचा यहां साझा करूँ, डायरी के के रूप मे। आज किसी खास विषय के बजाय संस्मरण पर लिखना चाहूँगा। संस्मरण स्कूल का किस्सा 2002 चर्चा का विषय - स्कूल मे घटी घटना जो आज भी मुझे गुदगुदाती है? आज का प्रश्न मन मे गुदगुदी कर रहा है। आज स्कुल का वो किस्सा साझा करने जा रहा हूँ, जिससे आज तो मुस्कराहट आ रही है किन्तु उस समय चेहरा धुआं धुआं सा था। बात कक्षा 9 की है लंच के पश्चात इतिहास की कक्षा का समय था। ...Read More