मौत का छलावा

(8)
  • 21.6k
  • 0
  • 9k

सूर्यवंशी नाम है तेरा न बहुत सुना है मैने तुझे तेरी ताकत पर बहुत अंहकार है न, देख महाबली! तू और तेरी यह ताकत दोनों मेरे आगे विवश हो गये है। लगा अपनी ताकत और सिद्ध कर जी लोगों से कहता था और लोग जो तेरे बारे में कहते है वो दोनो बातें एकदम सत्य है, " कहकर वह कंकाल ठठाकर हंसा और सामने रख्खे विशाल स्वर्ण सिंहासन पर जाकर बैठ गया। उस कंकाल के सिर पर सोने का मुकुट था, हाथों मे भी उसने सोने के खड़े पहने हुए थे। शरीर पर उसके राजाओं की तरह कपड़े मौजूद थे उसकी शानो-शौकत किसी राजा से कम नही। वह पूरा नर कंकाल था शरीर पर कही भी गोश्त नही था, फिर भी वह मनुष्यों की तरह अंहकार से सराबोर था। मै उसके सामने एक कैदी था। एक ऐसा कैदी जिसके पूरे शरीर पर लाल रेशमी धागों की बनी रस्सियों जकड़ी हुई थी। मेरा शरीर चाहकर भी रत्ती भर हिल नही पा रहा था। दोनों हाथ लोहे के विशाल खम्भों से खींच कर उसी लाल रस्सी से बांधा हुआ था । पावों को भी उन्ही विशाल खम्भों से बांध दिया गया था। मैं जिसे अपनी ताकत खूब गरूर था, आज एक कैदी की तरह विवश होकर बंधा हुआ था ।

1

मौत का छलावा - भाग 1 - (सूर्यवंशी सीरीज)

सूर्यवंशी नाम है तेरा न बहुत सुना है मैने तुझे तेरी ताकत पर बहुत अंहकार है न, देख महाबली! और तेरी यह ताकत दोनों मेरे आगे विवश हो गये है। लगा अपनी ताकत और सिद्ध कर जी लोगों से कहता था और लोग जो तेरे बारे में कहते है वो दोनो बातें एकदम सत्य है, " कहकर वह कंकाल ठठाकर हंसा और सामने रख्खे विशाल स्वर्ण सिंहासन पर जाकर बैठ गया। उस कंकाल के सिर पर सोने का मुकुट था, हाथों मे भी उसने सोने के खड़े पहने हुए थे। शरीर पर उसके राजाओं की तरह कपड़े मौजूद थे ...Read More

2

मौत का छलावा - भाग 2 - (सूर्यवंशी सीरीज)

इसने मुझे कैसे कैद किया और फिर उसके बाद क्या हुआ मुझे कुछ भी याद नहीं। मै तीन दिन इसकी कैद में हूँ यह बात मुझे भली प्रकार याद है, यह सुबह शाम मेरी उन लाल रस्सियों को पता नही कैसे ढीली कर देता और मै आराम से अपने दैनिक कर्म कर लेता और फिर यह भोजन के वक्त मुझे वैसे ही छोड़ता है। लेकिन यह लाल रस्सियाँ कभी भी मुझे मुक्त नहीं करती चाहे कुछ भी हो जाये। । वह कंकाल रोज सुबह शाम मेरे पास आता है और फिर कुछ देर मेरे साथ बहस बाजी करके चला ...Read More

3

मौत का छलावा - भाग 3

'उस खुदा के नेक बंदे ने, जिसके पास उस खुदा की दी हुई असीम " ताकते थी ने तुरंत उस कंकाल को साफ किया। फिर उसने अपनी ताकत के व्दारा मुझे मेरी आत्मा से जोड़ दिया। और फिर उसने मुझे बताया की मै तुम्हारे इस शरीर को भौतिक शरीर जैसा तो नहीं बना सकता पर इसमें असीम ताकते भर सकता हूँ, यह वैसे कार्य करेगा जैसे तुम्हारा भौतिक शरीर काम करता है । यह इतना ताकतवर हो जायेगा की इस धरती का रहने वाला शायद ही इसे हरा पायेगा। यह शायद मैने इसलिए लगा दिया कि इस धरती पर ...Read More

4

मौत का छलावा - भाग 4

" अरे महाबली तुम कैसे विचलित हो उठे ? तुम तो मेरे वह शिष्य हो जो मौत से भी नही होता। भय की झील को मन से उलेच दो। तुम प्रयास का दामन मत छोड़ो वत्स जहां से अंधेरे की शुरूआत होती है वही पर उसका अंत भी रहता है। इसलिए तुम अपने समस्त आत्मबल को एकत्र करो। मुझे विश्वास है कि तुम निश्चित ही इस जाल से निकल जाओगे, " गुरू बाबा ने सूर्यवंशी को कहा।'एक दुखद खबर है तुम्हारे लिए सूर्यवंशी, मै चाहकर अपनी शक्तियों से भी तुम्हारी सहायता नही कर सकता। यह जो चक्र तुम्हारे इर्द-गिर्द ...Read More