आँगन की चाँदनी

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प्यार करना मतलब कुछ नहीं है, प्यार करने लायक बनना थोडा बहोत अच्छा है लेकिन प्यार करने और साथ में करने लायक बनना, ये सब कुछ है. प्यार को कभी किसी का दिया हुआ अनुदान समझकर स्वीकार ना करे. बल्कि जिस से भी हम प्यार करते है, उस से बिना किसी शर्त के, बिना किसी लालच के बिना किसी द्वेषभावना के हमेशा दिल से प्यार करते रहना चाहिये. क्यूकी जब हम किसी को दिल से प्यार करते है तब हम सामने वाले के दिल में हमेशा के लिए बस जाते है. की जब दो लोगो के बिच प्यार होता है तब वह किसी दौलत का भूका नहीं होता, वह भूका होता है तो सिर्फ स्नेहभाव का. जिस से भी हम प्यार करते है उनसे हमेशा हमें प्यार से पेश आना चाहिये. एक दुसरे के लिए समय निकलते रहना चाहिये. तभी हम हमारे रिश्ते को सफलता से आगे बढ़ा पाएंगे. प्यार से बोला गया आपका एक शब्द दो दिलो के बिच हो रहे बड़े से बड़े मनमुटाव को भी खत्म कर सकता है. प्रेमभाव से रहना कभी-कभी हमारे लिए भी फायदेमंद साबित होता है. क्यू की कई बार जो काम हजारो रुपये नहीं कर पाते वही प्यार से बोले गये हमारे दो शब्द काम आते है.

Full Novel

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आँगन की चाँदनी - 1

प्यार करना मतलब कुछ नहीं है, प्यार करने लायक बनना थोडा बहोत अच्छा है लेकिन प्यार करने और साथ करने लायक बनना, ये सब कुछ है. प्यार को कभी किसी का दिया हुआ अनुदान समझकर स्वीकार ना करे.बल्कि जिस से भी हम प्यार करते है, उस से बिना किसी शर्त के, बिना किसी लालच के बिना किसी द्वेषभावना के हमेशा दिल से प्यार करते रहना चाहिये. क्यूकी जब हम किसी को दिल से प्यार करते है तब हम सामने वाले के दिल में हमेशा के लिए बस जाते है. की जब दो लोगो के बिच प्यार होता है तब ...Read More

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आँगन की चाँदनी - 2

वो अपने कदम पीछे लिए जल्दी से सीढ़ियों से उतरते हुए सोचने लगी, दी ने तो बताई ही नही उनका कोई मेहमान आने वाला है, पता नही यह अजनबी कौन है, दी से पूछती हु। इसी खयाल के साथ आरोही आरूषि के कमरे में गयी, कमरे में जा कर देखा तो आरूषि रोहित की शर्ट को प्रेस कर रही थी। आरोही: दी आरूषि सर उठा कर मुस्कुराते हुए बोली तुम उठ गई। आरोही: लेकिन आप यह बताये आपने मुझे जगाया क्यों नही। आरुषि: मैं तुम्हारे कमरे में गयी तो थी लेकिन तुम इतनी गहरी नींद में सो रही थी ...Read More

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आँगन की चाँदनी - 3

रोहित: आपने तो मेरे दिल की बात कह दी, छा महीना घर से दूर रह कर मुझे घर की पता चल गई। में तो दिन गिन रहा था कब ट्रेनिंग खत्म हो कब घर जाऊं। पता है आरूही जिस वक्त मेरी ओर रोहित की शादी हुई थी उस वक़्त राहुल ट्रेनिंग पर थे इसीलिए अपने एकलौते भी की शादी में नही आ पाए थे। राहुल: अगर में शादी में होता तो हम दोनों एक दूसरे से मिले होते और हमारे बीच कोई गलतफहमी नही होती। लेकिन भाभी मैं ने आपकी शादी की फोटेग देखी है उसमें आपकी बहन कहि ...Read More

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आँगन की चाँदनी - 4

राहुल:यह बात तो आप सही कह रही है आपकी उंगुलियों में जादू है जो भी पकाती है बहोत ही होता है, लेकिन आरोहि भी टेस्टी बनाती है, मैं एक और लेलू,,,? आरुषि: एक ज़्यादा नही, फिर वो आरोहि की तरफ मुड़ कर बोली, तुम ऐसा करो पकौड़े की प्लेट बाहर ले कर जाओ तुम्हारे जीजू को पकौड़े बहोत पसंद है वो खुश हो जाएंगे। राहुल बीच मे बोलते हुए, भाभी आप उन्हें क्यों तकलीफ दे रही है मैं ले जाता हु और हा भैया ने कहा था मीठी चटनी बनवा लेना आप जल्दी से चटनी बना ले, वो प्लेट ...Read More

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आँगन की चाँदनी - 5

अगली सुबह आरोहि कपड़े प्रेस कर रही थी आरुषि तह लगा रही थी तभी डोर बेल बाजी, आरोहि प्रेस साइड में रखते हुए बोली में देखती हु, आरोहि ने जैसे ही दरवाज़ा खोला बाहर रोहित के ममी पापा खड़े थे, आरोहि खुशी से उन्हें गले लगाते हुए फूफी और फूफा जी आप दोनों आ गए,,,,,, वो आरुषि को आवाज़ देने लगी उसकी आवाज़ सुन कर आरुषि सर पर दुपट्टा रखते हुए बाहर आई, और उन दोने के आशीर्वाद लेने लगी। वंश रावत(रोहित के पिता): खुशी से उसके सर पर हाथ फेरते हुए खुश रहो बेटी। वंशिका रावत( रोहित की ...Read More

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आँगन की चाँदनी - 6

राहुल: एक दम सही पकड़ा तुमने वो सच मे दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की है, राहुल खुशी से पागल हुए अपनी धुन में बोले जा रहा था। यहां आरोहि का गुस्से और जलन से बुरा हाल हो रहा था। आरोहि: मैं भी देखती हूं आपकी बातों में कितनी सच्चाई है। राहुल: ज़रूर, ज़रूर, इसीलिए तो तुम्हे बता रहा था, यह कह कर उसने फ़ोन कट कर दिया। आरोहि गुस्से से खुद में बड़बड़ाती हुई मैं तो दी से बात करने के लिए फ़ोन की इसने बात ही नही कराई और अपनी होने वाली बीवी की तारीफ करके कट कर ...Read More

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आँगन की चाँदनी - 7

आरोही तैयार होकर अंजलि जी के पास जा कर बोली, माँ मैं अपनी दोस्त से मिलने जा रही हु। जी: ठीक है लेकिन जल्दी आ जाना। आरोही: ठीक माँ फिर वोह गाड़ी की चाभी ले कर वहां से निकल गयी लेकिन रास्ते मे ट्रैफिक होने की वजह से वो वहां पहुचने में लेट हो गयी, जब वोह रेस्टुरेंट पहोंची तो देखा राहुल टेबल पर बैठे इधर उधर देख रहा था, आरोही चुप चाप अंदर गयी और पीछे से राहुल की आंखों पर अपने हाथ रख दिये। राहुल: मेरी नज़रे तरस गयी है तुम्हे देखने के लिए और तुम होके ...Read More

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आँगन की चाँदनी - 8

खूबसूरत सुबहें और हस्ती हुए शामें बीत गयी देखते ही देखते आरोही के बीएससी के एग्जाम शुरू हो गए,आरोही की तैयारीयों में इतना बिजी हो गयी कि उसके पास राहुल से बात करने का भी वक़्त नही था, एग्जाम खत्म होगये आरोही को अब जा कर राहुल का खयाल आया उसने राहुल को कॉल की लेकिन राहुल ने फोन नही उठाया, आरोही ने से सोचा शायद वो बिज़ी है तो उसने आरूषि को कॉल की लेकिन इत्तेफाक से फ़ोन राहुल ने उठाया, फ़ोन उठाते ही वो गुस्से से बोला, तो आपको टाइम मिल ही गया। आरोही: आपने इतने दिन ...Read More

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आँगन की चाँदनी - 9

शाम को सब लोग हॉस्पिटल में मौजूद थे, डॉक्टर कमरे से बाहर आ कर मुस्कुराते हुए बोले,मुबारक हो आपके को होश आ गया है यह खबर सुनकर सबके उतरे हुए चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी, आरुषि दौड़ते हुए आरोही को गले लगा कर मुस्कुराते हुए बोली, अब तो मुस्कुरा दो तुम्हारे मंगीतर को होश आ गया। आरोही शर्माते हुए बोली, दी राहुल को होश में आने के बाद उसके माँ पापा उसके पास ही बैठे थे, राहुल के परे चेहरे पर पट्टियां बधी थी वो किसी को देख नही सकता था लेकिन अटक अटक कर बोल रहा ...Read More

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आँगन की चाँदनी - आखिरी भाग

दोपहर होगयी थी जब आरोही वापस हॉस्पिटल आयी तो राहुल के घरवालों में से कोई भी वहां मौजूद नही आरोही दरवाज़ा खोल कर चुपके से अंदर चली गयी, अंदर जाने के बाद आरोही ने देखा मेज़ पर खाने का टिफ़िन और फल रखा था, आरोही सोचने लगी लगता है कोई अभी आ कर गया है सोचते से सोचते करोहि बैठने लगी तो आहट हुए,राहुल ने अपनी आंखें खोली लेकिन गहरे अंधेरे के इलावा उसे कुछ भी नज़र नही आया। राहुल ने पूछा, कौन है यहां पर?? आरोही: आप तो मेरी आहट भी पहचान जाते है। राहुल: अच्छा तो आप ...Read More