Dr. Suryapal Singh Books | Novel | Stories download free pdf

आश्वस्ति

by Dr. Suryapal Singh
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शंकर प्रसाद अपना डेढ़ एकड़ खेत गोण्डा के रजिस्ट्री कार्यालय में रमेश प्रधान को लिखकर गांव नहीं लौटे। उनके ...

धांधू

by Dr. Suryapal Singh
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बैसाख की रात का पिछला प्रहर। गुलाबी ठंड । गांव में उषा के आगमन तक बिछी चांदनी। इमरती दाल ...

सलमा का स्वप्न

by Dr. Suryapal Singh
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रामधीरज को जो भी मिल जाता उसका हाल चाल पूछते। खुश रहते पर बात करते समय कुछ ज्यादा ही ...

भालू नाच

by Dr. Suryapal Singh
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1859 ई० । गर्मियों के दिन सत्तावनी क्रान्ति दबा दी गई। आज कुछ इसकी असफलता पर प्रसन्न हैं कुछ ...

मासूम

by Dr. Suryapal Singh
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टोलेडो विश्वविद्यालय कर परिसर खिला खिला सा। खिलेफूल जैसे आपस में बतियाते हुए। दिन के दस बजे हैं। एक ...

बुच्चू

by Dr. Suryapal Singh
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रात के बारह बजे थे। चाँद भले ही ऊबड़-खाबड़, धरातल वाला क्षेत्र हो पर उससे निःसृत चांदनी धरती पर ...

जिन्दगी यहीं खत्म नहीं होती

by Dr. Suryapal Singh
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कल केन्द्र सरकार ने शासकीय कर्मचारियों, शिक्षकों के लिए छठे वेतन आयोग की संस्तुतियों को मंजूरी दे दी। आज ...

नौ साल की लड़की

by Dr. Suryapal Singh
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गर्मियों के दिन। अन्ना अपने कमरे में दर्पण के सामने खड़ी अपने बालों को निहारती हुई। मन में थोड़ी ...

उदास चेहरा

by Dr. Suryapal Singh
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अपराह्न दो बजे का समय। गोण्डा का बस स्टेशन। दिल्ली जाने वाली बस में लोग बैठ रहे हैं। चालक ...

चन्द्रिका

by Dr. Suryapal Singh
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चन्द्रिकादो नदियों के मिलने पर जिस नदी का पानी स्थिर हो जाता है उसका समापन मान लिया जाता है। ...