Dr. Suryapal Singh Books | Novel | Stories download free pdf

कोइयाँ के फूल - 3

by Dr. Suryapal Singh
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ग़ज़ल खण्ड1हाशिये पर जो यहाँ औंधे पड़े हैं।घर उन्हीं के बारहा क्योंकर जले हैं?हर किसी की ज़िन्दगी उत्सव न ...

कोइयाँ के फूल - 2

by Dr. Suryapal Singh
  • 795

कविताएँ/गीत/मुक्तक11कहकर गया थाकहकर गया थालौटकर आऊँगाकजरी तीज का दिन था।गाँव के उस पारकजरी गाने वालेगा रहे थे कजरी-लछिमन कहाँजानकी ...

कोइयाँ के फूल - 1

by Dr. Suryapal Singh
  • 1.4k

कविताएं/गीत/मुक्तक1कोइयाँ के फूलताल में खिले हैंकोइयाँ के फूलआना तुम साथ-साथ खेलेंगे,साथ-साथ उछलेंगे-कूदेंगे,नीले पानी में आसमान देखेंगे।आना तुम साथ-साथ खेलेंगे।बेर्रा ...

कारवाॅं - 10(3)

by Dr. Suryapal Singh
  • 783

वंशीधर का दिमाग़ घूम फिरकर हठीपुरवा पर ही अँटक जाता है। वही नन्दू, हरवंश, तन्नी, ओर अंजलीधर का चेहरा ...

कारवाॅं - 10(2)

by Dr. Suryapal Singh
  • 726

वंशीधर का दिमाग उलझता जा रहा है। मानवाधिकार आयोग और हठीपुरवा उन्हें परेशान कर रहा है। निरंजन प्रसाद भी ...

कारवाॅं - 10(1)

by Dr. Suryapal Singh
  • 732

अनुच्छेद-दसप्रधान जी करुना और रामकरन के साथ अपने दरवाज़े पर अलाव पर चर्चा कर रहे थे। रात के ग्यारह ...

कारवाॅं - 9

by Dr. Suryapal Singh
  • 849

अनुच्छेद-नौगाँव में प्रधान पद को लेकर तरह तरह की अफवाहें। प्रधान, बीडीसी एवं जिला पंचायत सदस्य पदों के लिए ...

कारवाॅं - 8

by Dr. Suryapal Singh
  • 738

अनुच्छेद- आठजब से ग्राम पंचायतों को सीधे विभिन्न मदों में धन मिलने लगा है, ग्राम प्रधान के चुनाव में ...

कारवाॅं - 7

by Dr. Suryapal Singh
  • 843

अनुच्छेद सातवंशीधर अपनी बैठक में चाय पी रहे थे। चाय की चुस्कियों के बीच वे बड़बड़ा उठते-तन्नी नन्दू..., हरवंश ...

कारवाॅं - 6

by Dr. Suryapal Singh
  • 797

अनुच्छेद छहविपिन और कान्तिभाई लगे रहे कि हठीपुरवा के तेरह लोगों का किसान क्रेडिट कार्ड बन जाय। विपिन का ...