शिक्षा: शुरू में विज्ञान के विद्यार्थी रहे। आगरा कॉलेजए आगरा से भौतिक विज्ञान में एम.एस-सी. (1973)। फिर साहित्यिक रुझान के कारण जीवन का ताना-बाना ही बदल गया। 1975 में आगरा विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए.। 1980 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यायल में यू.जी.सी. के फैलोशिप के तहत ष्छायावाद एवं परवर्ती कविता में सौंदर्यानुभूतिष् विषय पर शोध। कुछ वर्ष प्राध्यापक रहे। लगभग ढ़ाई दशकों तक बच्चों की लोकप्रिय पत्रिका ष्नंदनष् के संपादन से जुड़े रहे। अब स्वतंत्र लेखन। बाल साहित्य से जुड़ी कुछ बड़ी योजनाओं पर काम कर रहे हैं।