एक मुलाक़ातले : विजय शर्मा एरी(लगभग 1500 शब्दों की कहानी)---सर्दियों की हल्की सुबह थी। अमृतसर की गलियों में धूप अभी-अभी पेड़ों की पत्तियों पर उतरना शुरू ही हुई थी। हवा में ठंडक थी, लेकिन मौसम में एक अलग सा नूर घुला हुआ था—शायद इसलिए क्योंकि उस दिन मेरी ज़िंदगी किसी नए मोड़ पर मुड़ने वाली थी। मुझे उस बात का अंदाज़ा नहीं था, पर किस्मत ने शायद पहले से ही सब तय कर रखा था।मैं, आरव, कॉलेज में लेक्चरर बनने के लिए इंटरव्यू देने जा रहा था। रास्ते में कई बार अपना रिज़्यूमे बैग में चेक करता और खुद को