अनंत असीम

अनंत असीम लेखक: विजय शर्मा एरी(लगभग १५०० शब्दों में)रात गहरी थी। गाँव की। बिजली गई हुई थी, इसलिए सारे तारे बाहर आ गए थे, जैसे कोई बहुत दिनों से बंद पड़े थे और आज अचानक दरवाज़ा खुल गया हो। छोटा सा आँगन, मिट्टी की दीवारें, और ऊपर वो अनंत आकाश।दस साल का आरव खाट पर लेटा था। उसकी दादी उसके पास बैठी थीं, सिरहाने एक मिट्टी का दीया जल रहा था। दादी ने धीरे से पूछा, “सोया नहीं अभी?”आरव ने सिर हिलाया। “दादी, वो तारे कहाँ से आते हैं?”दादी मुस्कुराईं। “बहुत दूर से, बेटा। जहाँ हमारी आँखें भी नहीं पहुँच पातीं।”“और