“जब हौसले काँपे… और फैसले पुख़्ता हुए” सुबह की शुरुआत बेचैनी से हुई।जिया ने आँखें खोलीं तो दिल में अजीब-सा डर था—जैसे आज कुछ बदलने वाला हो।आर्या पास ही सो रही थी,उसकी मासूम साँसें जिया को थामे हुए थीं।जिया ने मन ही मन कहा—“जो भी हो… मुझे मज़बूत रहना है।” मिशन का सबसे ख़तरनाक मोड़पहाड़ों में मौसम अचानक बदल गया।घना कोहरा,फिसलन भरी चट्टानें,और रेडियो सिग्नल टूटता हुआ।टीम रुक गई।एक जवान घबराकर बोला—“सर, अगर आगे बढ़े तो फँस सकते हैं।”आयुष ने चारों ओर देखा।पीछे हटना उतना ही ख़तरनाक था जितना आगे जाना।उसने दृढ़ स्वर में कहा—“हम यहीं रुकेंगे नहीं।सही फैसला वही