इंदौर शहर अपनी साफ़-सुथरी सड़कों, स्वादिष्ट पोहे-जलेबी और अपनत्व से भरे मोहल्लों के लिए जाना जाता है। ऐसा ही एक पुराना मोहल्ला था—गणेश नगर। यह मोहल्ला छोटा ज़रूर था, लेकिन यहाँ रहने वालों के दिल बहुत बड़े थे। सुबह मंदिर की घंटी, मस्जिद की अज़ान, और शाम को बच्चों की खिलखिलाहट—सब मिलकर इस मोहल्ले को और चार चांद लगाते थे। इसी मोहल्ले में पनपी एक सच्ची और सादगी भरी प्रेम कहानी, **मोहल्ले का प्यार**।आनंद इसी मोहल्ले में पला-बढ़ा था। उसके पिता नगर निगम में क्लर्क थे और माँ एक गृहिणी। आनंद पढ़ाई में ठीक-ठाक था, लेकिन दिल का बहुत साफ़।