नंदीश संधु सिंह उस रात बंगले से निकल पड़ा आज वह सिर्फ़ एक पति नहीं था , वो वकील भी था और उससे भी ज़्यादा, एक सबूत को सुंघाने वाला शिकारी भी था ...नंदीश की सबसे बड़ी ताक़त उसकी ठंडी समझ थी , कोर्टरूम में वह कभी आवाज़ ऊँची नहीं करता था, मगर सवाल ऐसे दागता कि सामने वाला खुद टूट जाए,वह सबूतों को टुकड़ों में नहीं, कहानी की तरह पढ़ता था , शुरुआत, मध्य और अंत,उसकी गाड़ी तुलसी के फ्लैट के सामने रुकी...तुलसी का अकेलापन भरा फ्लैटछोटी-सी सोसाइटी, तीसरी मंज़िल, कोने का फ्लैट ..दरवाज़ा खुलते ही नंदीश कुछ पल