तुमसे मिलने की छुट्टी - 9

“पहली छुट्टी… और परिवार का नया सपना”  के बाद की सुबह कुछ अलग थी।हवा हल्की थी, सूरज नरम…और घर में पहली बार कोई अलार्म नहीं बजा।आयुष देर तक सोया रहा—न यूनिफॉर्म, न बूट,बस एक आम-सा इंसान,जिसके सीने पर उसकी बेटी सो रही थी।जिया दरवाज़े पर खड़ी यह दृश्य देख रही थी।उसकी आँखों में सुकून था—यही तो सपना था… एक साधारण सुबह। “आज छुट्टी है!”आयुष ने आँखें खोलीं तो आर्या उसके गाल पर उँगली फेर रही थी।“पापा… उठो…”“क्यों?” उसने आँखें मिचमिचाते हुए पूछा।आर्या ने गंभीर होकर कहा“आज आप ऑफिस नहीं जाओगे।मम्मा ने कहा है… आज पापा सिर्फ हमारे हैं।”आयुष हँस पड़ा।“ओह!