घने जंगल के हृदय में, जहाँ सूरज की रोशनी भी डरते-डरते ज़मीन तक पहुँचती थी, वहाँ एक ऐसा प्राणी रहता था जिसकी कहानी पीढ़ियों से सुनी जाती थी। उसे किसी ने नाम नहीं दिया था, फिर भी हर जीव उसे जानता था। वह था — द ग्रेट गोरिल्ला।उसका शरीर किसी पहाड़ जैसा विशाल था। उसके कंधे इतने चौड़े कि उन पर पूरा आसमान टिक सकता था। उसकी आँखें गहरी थीं, जैसे समय के कुएँ, जिनमें बीते हुए युगों की परछाइयाँ तैरती रहती थीं। लेकिन उसकी असली पहचान उसकी ताकत नहीं थी, बल्कि वह खामोशी थी जो उसके चारों ओर रहती