कभी-कभी कुछ बातें कही नहीं जातीं,बस वक्त के साथ हल्के-हल्के दिल में गूंजती रहती हैंजैसे किसी पुराने गाने की धुन,जो अब भी कहीं दूर से सुनाई देती है…कई महीने बीत चुके थे उस मुलाक़ात को।Aarav अपनी नौकरी में व्यस्त था,शहर, काम, लोग — सब नए थे, बस यादें पुरानी थीं।हर सुबह वही routine, वही rush —पर दिल में अब भी एक कोना था जहाँ वो थी।कभी-कभी वो कैफ़े के पास से गुज़रता,तो कदम अपने आप ठहर जाते।वहीं एक कोने में बैठी उसकी याद मुस्कुरा उठती —“फिर मिल गए?”Prakhra अब पहले से ज़्यादा शांत हो गई थी।उसने खुद को काम, किताबों