एपिसोड 4: मुक्ति की पहली दरारउस सुबह आरव देर तक पेंटिंग के सामने खड़ा रहा।रात की बातें अब भी उसके भीतर गूँज रही थीं—अनाया का दर्द, उसकी क़ैद, और वह कलाकार… जिसने कला के नाम पर गुनाह किया था।पहली बार आरव को अपनी कला से डर लग रहा था।उसने ब्रश उठाया…फिर रख दिया।“अगर रंग किसी को क़ैद कर सकते हैं,”वह खुद से बोला,“तो शायद रंग ही किसी को आज़ाद भी कर सकते हैं।”दिन ढलने से पहले आरव पुराने रिकॉर्ड्स, किताबें और आर्ट जर्नल्स लेकर बैठ गया।वह उस कलाकार के बारे में जानना चाहता था—जिसने अनाया की ज़िंदगी छीनी थी।एक