आधी कथा लेखक: विजय शर्मा एरीशहर की भीड़भाड़ वाली सड़कों से दूर, एक पुराना सा मोहल्ला था, जहाँ समय जैसे रुक सा गया हो। लाल ईंटों की दीवारें, टूटे-फूटे फुटपाथ, और हर गली के मोड़ पर चाय की टपरी। इसी मोहल्ले में रहती थी अनन्या। उम्र कोई छब्बीस-सत्ताईस। लंबे काले बाल, जो हमेशा खुल्लम-खुल्ला रहते, और आँखें इतनी गहरी कि देखने वाला डूब जाए। लोग कहते, अनन्या बहुत ख़ामोश है। बात कम करती है, पर जब करती है तो लगता है सालों से जानती हो।उसके सामने वाली पुरानी हवेली में रहता था आरव। तीस के करीब। कभी दिल्ली में बड़ा पत्रकार