चंदनी भाग 2 लेखक राज फुलवरेचंदनवन के ऊपर उस दिन अजीब-सी बेचैनी थी।हवा भारी थी, पत्तियाँ धीमे-धीमे काँप रहीं थीं, जैसे किसी बड़ी घटना से पहले प्रकृति स्वयं चेतावनी दे रही हो।चंदनी उस सूखे नीले पड़े चंदन के पेड़ को छूकर आज भी दुखी थी।पेड़ की मृत्यु ने उसे तोड़ दिया था—लेकिन आज वह पेड़ ही नहीं, शंपक भी उसके सामने खड़ा था।शंपक ने गंभीर आवाज़ में कहा—“चंदनी… तुमसे एक बात छुपी हुई है। अब मैं और छुपा नहीं सकता।”चंदनी ने सिर झुकाए हुए कहा—“जो भी कहना है, सच में कहना। अब मुझमें और झूठ सुनने की ताकत नहीं है।”शंपक ने