अधूरा मिलन लेखक: विजय शर्मा एरीदिल्ली की सर्द हवाएँ नवंबर के आखिरी दिनों में कुछ ज्यादा ही ठंडी लगती हैं। स्टेशन की प्लेटफॉर्म नंबर सात पर खड़े होकर आरव एक पुरानी घड़ी को बार-बार देख रहा था। ट्रेन अभी दस मिनट लेट थी। उसके हाथ में एक लाल रंग का गुलाब था, जिसकी पंखुड़ियाँ ठंड से सिकुड़ने लगी थीं। दस साल। पूरे दस साल बाद आज वह मिलने वाली थी।नाम था उसका — अनन्या।आरव को आज भी याद है वो दिन। 2015 का दिसंबर। कॉलेज का आखिरी सेमेस्टर। लाइब्रेरी के बाहर बारिश हो रही थी और अनन्या अपनी किताबें बचाने की