मैं तेरे प्यार में पागल

विशाल, अथाह समुद्र के बीचों-बीच एक आलीशान-सी क्रूज़ लहरों से जूझ रही थी। चारों ओर सिर्फ़ काला पानी, तेज़ हवा और इंजन की भारी-भरकम आवाज़। उसी क्रूज़ के एक कोने में तुलसी बिखरे बालों और काँपते शरीर के साथ दीवार से लगी खड़ी थी। उसकी आँखों में खौफ़ था, साँसें बेतरतीब और आवाज़ टूटती हुई—“को… कोई है…?”उसकी चीख समुद्र की लहरों में गुम हो जाती।“कोई सुन रहा है मेरी बात… मुझे बचाओ… प्लीज़… कोई तो बचाओ…”वह चीखते-चीखते रोने लगती। उसकी हथेलियाँ दीवार पर फिसलतीं, घुटनों में जान नहीं बचती, आँखों के सामने अँधेरा छाने लगता है, आख़िरी बार वह खुद